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दिल्ली ब्लास्ट का 'एजुकेटेड मॉड्यूल'! डॉक्टर्स, रिसर्चर्स और प्रोफेसर बने मास्टरमाइंड, फरीदाबाद से पुलवामा तक क्या-क्या चला पता?

दिल्ली के लालकिले के पास हुए धमाके ने देश को हिला दिया है. जांच में सामने आया कि यह ब्लास्ट किसी आम मॉड्यूल का नहीं, बल्कि ‘एजुकेटेड टेरर नेटवर्क’ का हिस्सा था, जिसमें डॉक्टर, यूनिवर्सिटी स्टाफ और रिसर्च स्कॉलर्स शामिल थे. फरीदाबाद की डॉ. शाहीना से लेकर पुलवामा के डॉ. उमर और अनंतनाग के डॉ. आदिल तक- यह नेटवर्क दिखाता है कि आतंक अब लैब, लाइब्रेरी और यूनिवर्सिटी तक पहुंच चुका है.

दिल्ली ब्लास्ट का एजुकेटेड मॉड्यूल! डॉक्टर्स, रिसर्चर्स और प्रोफेसर बने मास्टरमाइंड, फरीदाबाद से पुलवामा तक क्या-क्या चला पता?
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( Image Source:  ANI & X/raavan_india )
नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Published on: 11 Nov 2025 3:10 PM

दिल्ली के लालकिले के पास हुए धमाके ने देशभर की सुरक्षा एजेंसियों को झकझोर दिया, लेकिन इस मामले का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि जांच की डोर अब आतंक की नई दिशा “एजुकेटेड मॉड्यूल” की तरफ इशारा कर रही है. जिन हाथों में स्टेथोस्कोप होना चाहिए था, उन्हीं हाथों से अब विस्फोटकों की साजिश रचने के आरोप लग रहे हैं.

फरीदाबाद से लेकर पुलवामा तक, एक-एक गिरफ्तारी ने इस बात को पुख्ता किया है कि आतंक के नेटवर्क ने अब मेडिकल प्रोफेशनल्स को अपना नया चेहरा बना लिया है. डॉक्टरों की इस श्रृंखला ने सुरक्षा एजेंसियों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या आतंक अब शिक्षा के भीतर पनपने लगा है?

डॉ. साजिद अहमद माला

दिल्ली ब्लास्ट केस में सबसे पहले नाम उभरा डॉ. साजिद अहमद माला का, जो जम्मू के रहने वाले हैं. कुछ दिन पहले ही उनकी शादी हुई थी, लेकिन किस्मत ने अचानक करवट ली. बत्रा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद साजिद ने हाल ही में फरीदाबाद की अल-फला यूनिवर्सिटी में नौकरी शुरू की थी. पर अब वही यूनिवर्सिटी इस जांच का केंद्र बन चुकी है. पुलिस का दावा है कि साजिद एक ऐसे नेटवर्क का हिस्सा था जिसकी कड़ी दिल्ली ब्लास्ट से जुड़ती है.

परिवार में सदमा, सुरक्षा एजेंसियों में हलचल

साजिद की गिरफ्तारी के बाद उसके परिवार पर जैसे बिजली गिर पड़ी. दो दिन पहले तक शादी की खुशियाँ मनाने वाले घर में अब पुलिस का पहरा और मीडिया का जमावड़ा है. उनकी मां और पत्नी एक ही सवाल पूछ रही हैं. क्या इतनी पढ़ाई का यही नतीजा था? यह घटना उस मानसिक और सामाजिक झटके को भी दिखाती है जो आतंकी नेटवर्क के पीछे छिपे "शिक्षित चेहरे" समाज को दे रहे हैं.

पुलवामा से जुड़ा नाम: डॉ. उमर उन नबी

इस केस में अगला नाम डॉ. उमर उन नबी का आया, जो पुलवामा के रहने वाले हैं. बताया जा रहा है कि उनका भी इस मॉड्यूल से संपर्क था. उमर के परिवार ने आरोपों से इंकार किया है. उनकी भाभी मुज़म्मिला के मुताबिक, “वो बच्चों के साथ क्रिकेट खेलता था, पढ़ाई में व्यस्त था, और दो महीने से घर नहीं आया.” लेकिन जांच एजेंसियों को शक है कि उमर ही वह व्यक्ति था जो उस कार को चला रहा था जिसमें धमाका हुआ.

फरीदाबाद से श्रीनगर तक फैला नेटवर्क

जम्मू-कश्मीर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, इस मॉड्यूल की कड़ी दिल्ली, फरीदाबाद और श्रीनगर तक फैली है. यह कोई पारंपरिक आतंकी गिरोह नहीं बल्कि शिक्षित युवाओं का नेटवर्क है, जिनका इस्तेमाल लॉजिस्टिक्स, तकनीकी उपकरण और सप्लाई चेन संभालने के लिए किया जा रहा था. फरीदाबाद स्थित अल-फला यूनिवर्सिटी से एजेंसियों को रासायनिक पदार्थ, टाइमर और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के टुकड़े मिले हैं, जिनकी जांच जारी है.

अनंतनाग से गिरफ्तार डॉ. आदिल अहमद राठर

इस केस में तीसरी बड़ी गिरफ्तारी हुई अनंतनाग से, जहां से डॉ. आदिल अहमद राठर को पकड़ा गया. उनके लॉकर से AK-47 राइफल बरामद की गई. राठर पर आरोप है कि उसका संबंध जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवात-उल-हिंद जैसे आतंकी संगठनों से है. डॉक्टर आदिल का नाम इस मॉड्यूल में बतौर आयुध आपूर्तिकर्ता सामने आया है, जिसने फरीदाबाद के संपर्कों तक गोला-बारूद पहुंचाया.

महिला डॉक्टर की कार से मिली असॉल्ट राइफल

7 नवंबर को हरियाणा के फरीदाबाद से एक और चौंकाने वाली गिरफ्तारी हुई. डॉ. शाहीन शाहिद, जो अल-फला यूनिवर्सिटी में ही कार्यरत थीं, उनकी कार से “कैरोम कॉक” नाम की असॉल्ट राइफल मिली. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि शाहीन इस नेटवर्क में किस भूमिका में थीं, सहयोगी, रिक्रूटर या फाइनेंसर? उसे जैश की लेडी कमांडर बताया जा रहा है.

डॉ. अहमद मोहियुद्दीन: ज़हर के मिशन का वैज्ञानिक

इसी दिन गुजरात ATS ने एक और डॉक्टर अहमद मोहियुद्दीन सैयद को गिरफ्तार किया. यह डॉक्टर हैदराबाद का रहने वाला था और चीन से पढ़ाई कर चुका है. जांच में सामने आया कि वह “रिसिन” नामक जानलेवा ज़हर तैयार कर रहा था, जो केवल कुछ मिलीग्राम में सैकड़ों लोगों की जान ले सकता है. उसने दिल्ली, अहमदाबाद और लखनऊ की भीड़भाड़ वाली जगहों की महीनों तक रेकी की थी, जिससे पता चलता है कि इस मॉड्यूल की तैयारी कितनी खतरनाक थी.

डॉ. मुझमिल शकील की गिरफ्तारी

10 नवंबर को एक और गिरफ्तारी ने सबको चौंका दिया. फरीदाबाद से डॉ. मुझमिल शकील नामक कश्मीरी डॉक्टर को पकड़ा गया. उसके पास से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट और दूसरे ठिकाने से 2563 किलो विस्फोटक मिला. यह अब तक की सबसे बड़ी जब्ती बताई जा रही है. पुलिस के मुताबिक, मुझमिल के जैश से पुराने संबंध हैं और उसने श्रीनगर में कई बार आतंकी पोस्टर लगाए थे. उसकी गिरफ्तारी अनंतनाग में पकड़े गए आदिल अहमद की जानकारी के आधार पर हुई.

कार, डीएनए और सीसीटीवी की गुत्थी

जिस i20 कार में धमाका हुआ, वह डॉ. उमर उन नबी चला रहा था. सीसीटीवी फुटेज में गाड़ी को 3:19 बजे पार्किंग में खड़ा और 6:48 पर बाहर निकलते देखा गया. पुलिस का मानना है कि उसी दौरान विस्फोटक सक्रिय हुआ. अब एजेंसियां यह जांच कर रही हैं कि उस कार को पार्क करने और निकालने वाला व्यक्ति कौन था. विस्फोट स्थल पर मिले मानव अवशेषों का डीएनए टेस्ट करवाया जा रहा है ताकि पता चल सके कि ड्राइवर कौन था.

देवेंद्र और दिनेश: दो नाम, जो अचानक जांच के दायरे में आए

दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके के बाद जब पुलिस ने ब्लास्ट साइट से बरामद i20 कार की जांच शुरू की, तो उसके रजिस्ट्रेशन डिटेल्स ने दो आम नामों को सुर्खियों में ला दिया- देवेंद्र और दिनेश. पहली नजर में ये नाम संदिग्ध लगे, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, यह साफ हुआ कि इन दोनों का सीधा संबंध धमाके की साजिश से नहीं, बल्कि कार की खरीद-फरोख्त से जुड़ा था.

देवेंद्र ने खरीदी थी कार

जांच में पता चला कि देवेंद्र दिल्ली के ओखला इलाके का निवासी है. करीब डेढ़ साल पहले उसने वही i20 कार खरीदी थी, जो बाद में धमाके में इस्तेमाल की गई. देवेंद्र ने यह कार एक सेकंड हैंड वाहन बाजार से खरीदी थी. अब बात दिनेश की. यह वह व्यक्ति है जिसके पते पर गाड़ी रजिस्टर्ड थी. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, वह गुरुग्राम के शांति नगर, मकान नंबर 631/21 का मकान मालिक है.

कार थी ब्लास्ट की चाबी

इस पूरे केस में i20 कार सबसे अहम सबूत बनी. सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक, यह कार 3:19 बजे पार्किंग में खड़ी हुई थी और 6:48 बजे बाहर निकली, ठीक उसी वक्त जब धमाका हुआ. जांच एजेंसियां मान रही हैं कि कार में पहले से ही विस्फोटक लगाया गया था, जिसे रिमोट या टाइमर के ज़रिए सक्रिय किया गया. इसलिए पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि कार देवेंद्र से खरीदने के बाद किस-किस के पास पहुंची, और अंतिम रूप से किसने उसे दिल्ली लाया.

डीएनए और कार के अंदर मिले सुराग

विस्फोट स्थल पर मिले मानव अवशेषों और कार के हिस्सों से DNA सैंपल लिए गए हैं. पुलिस को शक है कि कार चलाने वाला व्यक्ति वही था जो ब्लास्ट में मारा गया , संभवतः डॉ. उमर उन नबी (पुलवामा निवासी). DNA सैंपल उसकी मां से मिलान के लिए लिए गए हैं. इस जांच से ही यह तय होगा कि कार के अंतिम चरण में कौन शामिल था और किसे इसका संचालन सौंपा गया था.

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