दिल्ली की इन 7 मुस्लिम बहुल सीटों पर 2020 में बीजेपी का नहीं खुला था खाता, क्या इस बार मिलेगी जीत?
दिल्ली की 7 मुस्लिम बाहुल्य सीटें ऐसी हैं, जहां पिछली बार 2020 में बीजेपी का खाता नहीं खुला था. वहीं, आम आदमी पार्टी ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके पहले, 2015 में भी इन 7 सीटों में से बीजेपी बमुश्किल एक सीट जीत पाई. ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या इस बार बीजेपी इन सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रहती है या नहीं...;
Muslim Majority Seats in Delhi: दिल्ली में विधानसभा की कुल 70 सीटें हैं. इसमें से 7 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. इन सीटों में मुस्तफाबाद, चांदनी चौक, बाबरपुर, मटिया महल, सीलमपुर , बल्लीमारान और ओखला शामिल हैं. पिछले दो चुनावों से इसमें से सभी सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जीतते आ रहे हैं, लेकिन इस बार मुकाबला रोचक है. पार्टी के नेताओं को लगता है कि जीत तो उनकी ही होगी, लेकिन अंतर कम हो सकता है.
'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, इन 7 सीटों पर मुस्लिमों के AAP को ही वोट देनी की संभावना है, क्योंकि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है. उन्हें इस बात का भी डर है कि अगर वे AAP को वोट नहीं देंगे तो बीजेपी सरकार बना लेगी. बीजेपी ने अभी तक इन सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. आइए, मुस्लिम बाहुल्य 7 सीटों के बारे में विस्तार से जानते हैं...
1- सीलमपुर
सीलमपुर में 2020 में AAP के अब्दुल रहमान की जीत हुई थी. उन्हें 56.025 फीसदी वोट मिले थे. बीजेपी के कौशल मिश्रा 27.58 फीसदी वोट के साथ दूसरे नंबर पर थे. कांग्रेस के मटीन अहमद को 15.61 फीसदी वोट मिले. इससे पहले, 2015 में AAP के मोहम्मद इशराक ने जीत दर्ज की थी. उन्हें 51.26 फीसदी वोट मिले, जबकि बीजेपी के संजय जैन को 26.31 और कांग्रेस के मटीन अहमद को 21.28 फीसदी वोट मिले. कांग्रेस ने इस बार पूर्व विधायक मोहम्मद इशराक को मैदान में उतारा है, जिससे स्थानीय कार्यकर्ता नाखुश हैं. उनका आरोप है कि पार्टी हमेशा बड़े नामों के साथ जाती है और उन लोगों को नज़रअंदाज़ करती है, जिन्होंने सालों तक ज़मीन पर काम किया है.
2- बाबरपुर
बाबरपुर में मुसलमानों की आबादी करीब 45 फीसदी है. पिछली बार यहां से AAP के गोपाल राय ने 59.39 फीसदी वोट हासिल करते हुए जीत दर्ज की थी. वहीं, बीजेपी के नरेश गौर को 36.23 और कांग्रेस के अन्विक्षा जैन को 3.59 फीसदी वोट मिले. वहीं, 2015 में गोपाल राय को 59.14 फीसदी, बीजेपी के नरेश गौर को 31.76 फीसदी और कांग्रेस के जाकिर खान को 7.73 फीसदी वोट मिले. AAP ने बाबरपुर से एक बार फिर गोपाल राय को टिकट दिया है.
3- मुस्तफाबाद
मुस्तफाबाद से 2020 में AAP के हाजी यूनुस ने जीत दर्ज की थी. उन्हें 53.2 फीसदी वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के जगदीश प्रधान को 42.06 फीसदी और कांग्रेस के अली मेहदी को 2.89 फीसदी वोट मिले. इससे पहले, 2015 में यहां से बीजेपी के जगदीश प्रधान ने जीत दर्ज की थी. उन्हें 64.65फीसदी वोट मिले, जबकि कांग्रेस के हसन अहमद को 31.68 और AAP के मोहम्मद यूनुस को 30.13 फीसदी वोट मिले. हालांकि, इस बार असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के मैदान में उतरने से मुकाबला जटिल हो गया है. वह 10 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है.
AIMIM ने मुस्तफाबाद से पूर्व AAP पार्षद ताहिर हुसैन को मैदान में उतारा है, जो दिल्ली में हुए दंगों के आरोपियों में से एक है. इस मामले में कुछ समय वह जेल में भी रहा है. कांग्रेस ने मेहदी को फिर से मैदान में उतारा है. वही, AAP ने एक नए उम्मीदवार आदिल अहमद खान को टिकट दिया है.
4- ओखला
ओखला विधानसभा सीट को AAP के अमानतुल्लाह खान का गढ़ माना जाता है. यहां अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी करीब 55 फीसदी हैं. यहां से पिछली बार 2020 में अमानतुल्लाह ने 66.03 फीसदी वोट पाकर सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी, जबकि बीजेपी के ब्रह्म सिंह 29.65 फीसदी और कांग्रेस के परवेज हाशमी को 2.59 फीसदी वोट मिले थे. इससे पहले, 2015 में यहां से अमानतुल्लाह ने 62.57 फीसदी वोट के साथ जीत दर्ज की थी. वहीं, बह्म सिंह को 23.84 और कांग्रेस के आसिफ मोहम्मद खान को 12.08 फीसदी वोट मिले थे.
5- मटिया महल
सेंट्रल दिल्ली में मटिया महल सीट में जामा मस्जिद आती है. यहां 60 फीसदी मुस्लिम आबादी है. पिछले चुनाव में AAP के शोएब इकबाल ने 75.96 फीसदी वोट हासिल करते हुए जीत दर्ज की थी, जबकि बीजेपी के रविंदर गुप्ता 19.24 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरे स्थान और कांग्रेस के मिर्जा जावेद अली 3.85 फीसदी वोट शेयर के साथ तीसरे स्थान पर रहे. इससे पहले, 2015 में AAP के आसिम अहमद खान ने 59.23 फीसदी वोट के साथ जीत दर्ज की थी. वहीं, कांग्रेस से चुनाव लड़े शोएब इकबाल को 26.75 फीसदी वोट और बीजेपी के शकील अंजुम देहलवी को 11.3 फीसदी वोट मिले.
6- बल्लीमारान
बल्लीमारान विधानसभा सीट से 2020 में AAP के इमरान हुसैन ने जीत दर्ज की थी. उन्हें 64.65 फीसदी वोट मिले. वहीं, बीजेपी की लता को 29.03 फीसदी और कांग्रेस के हारून यूसुफ को 4.73 फीसदी वोट मिले. इसके पहले, 2015 में हुए चुनाव में इमरान हुसैन को 59.71 फीसदी, बीजेपी के श्याम लाल मोरवाल को 24.3 फीसदी और कांग्रेस के हारून यूसुफ को 13.8 फीसदी वोट मिले.
7- चांदनी चौक
चांदनी चौक सीट से 2020 में AAP के प्रह्लाद सिंह साहनी ने 65.92 फीसदी वोट के साथ जीत दर्ज की थी. वहीं, बीजेपी प्रत्याशी सुमन कुमार गुप्ता को 27.6 फीसदी और कांग्रेस की अलका लांबा को 5.03 फीसदी वोट मिले. इसके पहले, 2015 में हुए चुनाव में AAP प्रत्याशी अलका लांबा ने 49.35 फीसदी वोट के साथ जीत हासिल की थी, जबकि बीजेपी के सुमन कुमार गुप्ता को 24.8 फीसदी और कांग्रेस के प्रह्लाद सिंह साहनी को 24.07 फीसदी वोट मिले थे.BJP had lost these 7 Muslim majority seats of Delhi in 2020, will AAP win again?