टाइगर रिजर्व में बाघ की संदिग्ध मौत, टाइगर के नाखून और दांत गायब, वन विभाग में हड़कंप

टाइगर रिजर्व जैसे संरक्षित इलाके में भी अगर बाघ शिकारियों के जाल का शिकार हो जाए, तो यह वन्यजीव सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है. छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में सामने आई इस घटना ने पूरे वन विभाग को हिला कर रख दिया है. जाल में फंसाए गए बाघ के शरीर पर चोटों के कई निशान मिले हैं, जबकि उसके नाखून और दांत तोड़कर ले जाए गए;

( Image Source:  x-@karkalasunil )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 15 Dec 2025 6:31 PM IST

छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में एक बाघ की मौत ने वन विभाग और स्थानीय लोगों में चिंता की लहर दौड़ा दी है. घुई रेंज में मिले बाघ के शव ने न केवल वन्यजीव संरक्षण की गंभीर चुनौतियों को सामने रखा है, बल्कि शिकारियों द्वारा जंगल के इन खतरनाक खेलों की भी पोल खोल दी है. यह घटना एक चेतावनी की तरह है कि कैसे मानव हस्तक्षेप वन्यजीवन के लिए खतरा बन सकता है.

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घुई रेंज के गुरु घासीदास-तैमोर-पिंगला टाइगर रिजर्व इलाके में सोमवार सुबह स्थानीय लोगों ने बाघ का शव देखा. शिकारियों ने केवल शिकार किया, बल्कि बाघ की नाखून और दांत तोड़कर ले गए. इतना ही नहीं, टाइगर के शरीर पर चोटों के कई निशान भी मिले हैं.

बाघ के दांत और नाखून गायब

बाघ के दांत और नाखून गायब पाए गए, जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि शिकारियों ने उसे जानबूझकर मारा और शव के हिस्सों को हड़प लिया. वन विभाग के अधिकारी का मानना है कि बाघ का जाल में फंसने के बाद शिकार किया गया. यह मामला जंगल में शिकारियों की मनगढ़ंत योजनाओं और वन्यजीवों की सुरक्षा में खामी को सामने लाता है. 

घुई वन है टाइगर रिजर्व का हिस्सा

घुई वन परिक्षेत्र का यह क्षेत्र टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है, जहां अक्सर बाघों की मौजूदगी और उनकी आवाजाही देखी जाती है. अधिकारियों के मुताबिक, जिस बाघ की मौत हुई है, वह वाड्रफनगर या बिहारपुर वन क्षेत्र से भटकते हुए घुई रेंज तक पहुंचा होगा. वन विभाग का कहना है कि यह बाघ उनकी नियमित निगरानी सूची में शामिल नहीं था, जिस कारण उसकी मूवमेंट पर नजर रखना और समय रहते सुरक्षा सुनिश्चित करना मुश्किल हो गया.

पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार

बाघ के शव का विधिवत पोस्टमार्टम किया जा चुका है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही उसकी मौत की वास्तविक वजह साफ हो पाएगी. जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद वन विभाग ने बाघ के शव का गरिमापूर्ण तरीके से अंतिम संस्कार किया, ताकि वन्यजीवों के संरक्षण और उनके प्रति सम्मान का संदेश दिया जा सके. यह घटना यह याद दिलाती है कि वन्यजीवन की सुरक्षा केवल विभाग की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि स्थानीय समुदायों की भी जिम्मेदारी है. शिकार और अवैध गतिविधियों पर कड़ी निगरानी और जागरूकता बढ़ाना जरूरी है, ताकि बाघ और अन्य जंगली जीव सुरक्षित रह सकें.

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