कंधे पर बंदूक, सिर पर 5 लाख का इनाम... महिला माओवादी कमांडर गीता ने किया सरेंडर, जानें कौन
कभी जंगलों में बंदूकें लहराने वाली और सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बनी महिला नक्सली कमांडर गीता उर्फ कमली सलाम ने आखिरकार आत्मसमर्पण कर दिया. छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में पुलिस के सामने सरेंडर करने वाली गीता पर राज्य सरकार ने 5 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था. वह माओवादी संगठन के ईस्ट बस्तर डिविजन में सक्रिय थी और टेलर टीम की कमांड संभालती थी.;
छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलवाद की जड़ें गहरी हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों में जो दृश्य देखने को मिले, उन्होंने दशकों पुरानी इस हिंसक विचारधारा की नींव को हिला दिया है. इसी बदलते माहौल का एक बड़ा उदाहरण हैं गीता उर्फ कमली सलाम, जो कभी नक्सलियों की महिला कमांडर थीं.
शनिवार को उन्होंने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया. यह सरेंडर उस समय हुआ है जब बस्तर में लगातार नक्सलियों के हथियार डालने की घटनाएं सामने आ रही हैं.
नक्सलों की "टेलर टीम कमांडर" रही गीता कौन?
गीता पूर्वी बस्तर डिवीजन में नक्सल संगठन की टेलर टीम कमांडर रही थीं. उनके जिम्मे वर्दी तैयार करने से लेकर संगठन के लिए जरूरी सामग्री की व्यवस्था करना शामिल था. पर यह भूमिका जितनी छोटी दिखती है, उतनी थी नहीं, यह टीम संवेदनशील और जिम्मेदार विभाग माना जाता है. गीता पर राज्य सरकार ने 5 लाख रुपये का इनाम घोषित किया हुआ था, जो उनके संगठन में प्रभाव को दिखाता है.
क्यों छोड़ा नक्सलवाद का रास्ता?
गीता ने कोंडागांव जिले के एसपी अक्षय कुमार के सामने आत्मसमर्पण किया. आत्मसमर्पण के दौरान उन्होंने जो बातें कहीं, वे चौंकाने वाली भी थीं और सोचने पर मजबूर करने वाली भी. उन्होंने कहा कि 'नक्सली आंदोलन अब दिशा खो चुका है. संगठन के अंदर आंतरिक कलह, शोषण और झूठे वादे बढ़ गए हैं. विचारधारा के नाम पर निर्दोष ग्रामीणों को हिंसा में धकेला जा रहा है. हाल ही में हथियार छोड़ने वालों ने उन्हें नई राह सोचने की प्रेरणा दी.
जगदलपुर में हुआ ऐतिहासिक आत्मसमर्पण
गीता के हथियार डालने की पृष्ठभूमि समझना भी जरूरी है. एक दिन पहले ही जगदलपुर में छत्तीसगढ़ के इतिहास का सबसे बड़ा सामूहिक आत्मसमर्पण हुआ था. इस दौरान 210 नक्सलियों ने भारतीय संविधान की कसम खाकर हिंसा छोड़ने की घोषणा की थी.
सरकार का भरोसा और पुनर्वास योजना
छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति के तहत गीता को तुरंत 50,000 रुपये प्रोत्साहन राशि दी गई है. आगे चलकर सुरक्षित आवास, शिक्षा और रोजगार के अवसर, समाज में पुनर्वास की योजनाएं उन्हें मिलेंगी. सरकार का कहना है कि “जो हिंसा छोड़कर लौटना चाहे, उसे सुरक्षा और सम्मान दिया जाएगा.”
क्या बदल रहा है बस्तर?
पिछले तीन दिनों में 238 नक्सली हथियार डाल चुके हैं. यह सिर्फ सरेंडर नहीं, बल्कि एक संकेत है, एक संदेश कि हिंसा की दीवारें अब दरक रही हैं. सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि लगातार चल रहे कॉम्बिंग ऑपरेशन, सड़कों और मोबाइल नेटवर्क जैसी विकास योजनाएं, जनजागरूकता और संवाद नीति, इन तीनों ने मिलकर नक्सलवाद कमजोर किया है.