छत्तीसगढ़ में संविधान वाली शादी! आंबेडकर की फोटो के सामने लिए सात फेरे

छत्तीसगढ़ के एक कपल ने अनोखी शादी की है, जिसमें उन्होंने हिंदू रीति-रिवाजों को दरकिनार किया. इसके बजाय जोड़े से सात जन्मों के सफर के लिए संविधान की शपथ ली. अब पूरे इलाके में इस शादी की चर्चा हो रही है.;

( Image Source:  freepik )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 21 Dec 2024 4:10 PM IST

शादियों का सीजन चल रहा है. जहां एक तरफ शादी के लिए लोग लाखों रूपये खर्च करते हैं. धूमधाम से बारात ले जाते हैं. वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग शादियों में हाथी और घोड़ों का इस्तेमाल करते हैं. हिंदू शादियां रीति-रिवाजों से पूरी होती है. इसमें मंत्र, फेरे और सात वचन शामिल है. इसके बाद लोग सात जन्मों के लिए हमसफर बन जाते हैं. सोचिए क्या हो जब बिना बैंड बाजा, मंत्र और फेरों के शादी संपन्न हो? शायद ये सुनकर आपको अजीब लगे, लेकिन यह सच है.

मगर छत्तीसगढ़ के कापू गांव से एक मामला सामने आया है, जिसकी चर्चा हो रही है. सोचिए क्या हो जब बिना बैंड बाजा, मंत्र और फेरों के शादी संपन्न हो? शायद ये सुनकर आपको अजीब लगे, लेकिन यह सच है. यहां एक जोड़े ने शादी के लिए पारंपरिक रिवाज के बजाय संविधान की शपथ लेकर शादी करने का फैसला किया.

जोड़े ने ली संविधान की शपथ

टीओआई के अनुसार इस जोड़े ने 18 दिसंबर को शादी रचाई, जहां दुल्हन प्रतिमा लहरे और दूल्हे इमान लहरे ने मंगल सूत्र और सिंदूर की रस्म नहीं निभाई. इसके बजाय उन्होंने डॉ. बीआर अंबेडकर की फोटो के सामने उम्र भर साथ निभाने का वादा किया.

क्यों ली संविधान की शपथ?

फिजूलखर्ची से बचने के लिए इस कपल ने इस तरह की शादी करने का फैसला लिया. इस पर दूल्हे इमान ने कहा कि हमने अपने परिवारवालों की सहमति से शादी करने का फैसला किया.

लोगों के रिएक्शन

कपल की यह अनोखी शादी का चर्चा हो रही है. जहां कई लोगों ने इस कदम की तारीफ कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि इस तरह की शादी से इंस्पिरेशन लेनी चाहिए. इतना ही नहीं, बल्कि जोड़े के इस फैसले पर माता-पिता और अन्य लोगों ने ने खुशी जाहिर की. साथ ही, नवविवाहित जोड़े को अपना आशीर्वाद भी दिया.

यह शादी इस क्षेत्र में प्रचलित पारंपरिक रीति-रिवाजों में बदलाव को दिखाता है और छत्तीसगढ़ में विवाह और सामाजिक मूल्यों के प्रति मॉर्डन अप्रोच की बढ़ती स्वीकार्यता को उजागर करता है. 

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