सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में घायल हुए चार बच्चे, 16 वर्षीय युवती की गर्दन में फंसी गोली
घायल युवक ने कहा कि उसने अपने पिता को गोली लगने से पहले उन्हें मरते हुए देखा था. वहीं चौथे नाबालिग की बांह से मांस के लोथड़े उड़ गए.

12 दिसंबर को अबूझमाड़ में सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में कम से कम चार बच्चे घायल हो गए थे, जिसमें सुरक्षा बलों ने सात कथित कैडरों को मार गिराया था. 16 साल की एक लड़की की गर्दन में एक हफ्ते से गोली फंसी हुई है. उसे रायपुर लाया गया है. चार साल का एक लड़का बाल-बाल बच गया क्योंकि एक गोली उसके सिर को छूती हुई निकल गई लेकिन उसे गहरा घाव हो गया है.
एक अन्य घायल युवक ने कहा कि उसने अपने पिता को गोली लगने से पहले उन्हें मरते हुए देखा था. वहीं चौथे नाबालिग की बांह से मांस के लोथड़े उड़ गए. दो अन्य लड़कों की उम्र 14 और 17 साल है. कई ग्रामीणों ने टीओआई को बताया कि जब वे आग की चपेट में आए तो वे 'कोसरा' बाजरा की फसल काट रहे थे. घायल नाबालिगों में से एक, 17 वर्षीय युवक अपने खेत में कटाई कर रहा था, तभी एक गोली उसकी बांह में घुस गई, बाहर निकल गई और उसके पैर को चीरती हुई निकल गई.
पांच निर्दोष ग्रामीण भी थे
माओवादियों का आरोप है कि उस दिन मारे गए सात लोगों में से पांच निर्दोष ग्रामीण थे. बच्चों के घायल होने के छह दिन बाद मंगलवार को बस्तर पुलिस ने एक बयान जारी किया कि माओवादियों ने एक वरिष्ठ नक्सली कमांडर कार्तिक को बचाने के लिए बच्चों और ग्रामीणों को 'मानव ढाल' के रूप में इस्तेमाल किया, जिसके कारण चार नाबालिग घायल हो गए.
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शवों को ले गए बच्चों को अस्पताल क्यों नहीं?
आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता सोनी सोरी स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ शनिवार को सुदूर गांव गईं और तीनों बच्चों को नाव से भैरमगढ़ ले आईं और फिर उन्हें दंतेवाड़ा और जगदलपुर के अस्पतालों में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने उनकी हालत स्थिर कर दी है, लेकिन गर्दन में गोली लगने के कारण लड़की की हालत गंभीर बनी हुई है. सोरी को चौथे लड़के की जानकारी बाद में मिली और उन्होंने उसे अस्पताल में भर्ती कराने की व्यवस्था की. लेकिन अपने एक बयान में आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता सोनी सोरी ने टीओआई से कहा, 'जब सुरक्षा बल शवों को बेस तक ले जा सकते हैं, तो वे घायल बच्चों को अस्पताल क्यों नहीं ले गए? क्योंकि, शवों की गिनती से उन्हें मैडल मिलेगा, लेकिन घायल बच्चों को बचाने से नहीं. जब बलों ने घटनास्थल की तलाशी ली, तो उन्हें केवल शव मिले और कोई भी घायल नहीं हुआ?.'
नक्सलियों ने किया है ग्रामीणों का इस्तेमाल
यह क्षेत्र जंगल के अंदर, रायपुर से 350 किमी से अधिक दूर और महाराष्ट्र सीमा के करीब है. सुरक्षा बलों ने दो महिलाओं और 25 लाख रुपये के इनामी ओडिशा राज्य समिति के सदस्य दसरू सहित सात नक्सलियों के शव बरामद करने का दावा किया है. प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने अपने बयान में कहा, 'हमें पता चला है कि नक्सलियों ने अपना सामान ढोने के लिए ग्रामीणों का इस्तेमाल किया था. जब मुठभेड़ शुरू हुई, तो माओवादियों ने इन ग्रामीणों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया, जिससे चार लोग घायल हो गए. घायलों को प्राथमिक उपचार दिया जा रहा है और अधिक जानकारी जुटाई जा रही है.'