कोर यूनिट बनी कातिल: अपने ही निकले उग्रवादी बसवराजू के दुश्मन, माओवादी संगठन का सनसनीखेज खुलासा

पिछले छह महीनों में माओवादी संगठन के कई सदस्य आत्मसमर्पण कर चुके हैं. बयान में कहा गया है कि इन सरेंडर करने वालों में से कई माओवादी नेता और सुरक्षाकर्मी भी थे, जिन्होंने बसवराजू की गतिविधियों की पूरी जानकारी पुलिस तक पहुंचाई. इनमें से एक व्यक्ति तो बसवराजू की सुरक्षा यूनिट का भी हिस्सा था.;

Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 27 May 2025 8:59 AM IST

छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में चल रहे दशकों पुराने नक्सली आंदोलन को उस समय बड़ा झटका लगा जब सीपीआई (माओवादी) के शीर्ष कमांडर और रणनीतिकार बसवराजू की मौत की खबर सामने आई. लेकिन ये सिर्फ एक मुठभेड़ नहीं थी. इसके पीछे छिपी थी एक कहानी विश्वासघात, अंदरूनी फूट और खुफिया लीक की.

सीपीआई (माओवादी) की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) ने एक बयान में दावा किया कि बसवराजू की मौत के लिए माड़ क्षेत्र में सक्रिय कुछ "विश्वासघातियों" को जिम्मेदार ठहराया गया है. बयान में बताया गया कि ये वही लोग थे जो संगठन की आंतरिक जानकारी लगातार छत्तीसगढ़ पुलिस और खुफिया एजेंसियों को दे रहे थे.

संगठन का आरोप

संगठन का आरोप है कि PLGA की कंपनी नंबर 7, जिसे बसवराजू की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी, उसमें से कुछ कैडरों ने या तो पुलिस के साथ मिलीभगत की या फिर आत्मसमर्पण कर पुलिस को जानकारी दी.

आत्मसमर्पण और लीक हुई सूचनाएं

पिछले छह महीनों में माओवादी संगठन के कई सदस्य आत्मसमर्पण कर चुके हैं. बयान में कहा गया है कि इन सरेंडर करने वालों में से कई माओवादी नेता और सुरक्षाकर्मी भी थे, जिन्होंने बसवराजू की गतिविधियों की पूरी जानकारी पुलिस तक पहुंचाई. इनमें से एक व्यक्ति तो बसवराजू की सुरक्षा यूनिट का भी हिस्सा था.

बयान के मुताबिक, जनवरी से मार्च के बीच दो बार पुलिस ने लीक हुई जानकारी के आधार पर ऑपरेशन चलाए, लेकिन सफलता नहीं मिली. अंततः मई में यह ऑपरेशन कामयाब रहा और बसवराजू को माड़ के जंगलों में मार गिराया गया.

पुलिस की रणनीति: महिमामंडन से बचाव

छत्तीसगढ़ पुलिस ने बसवराजू के शव को आंध्र प्रदेश स्थित उनके परिवार को सौंपने से इनकार कर दिया. पुलिस को आशंका थी कि सार्वजनिक रूप से अंतिम संस्कार होने पर बसवराजू का महिमामंडन हो सकता है, जो कि नक्सल विचारधारा को फिर से हवा दे सकता है. हालांकि, मुठभेड़ में मारे गए अन्य 19 नक्सलियों के शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए. पुलिस ने यह भी साफ किया कि बसवराजू को जिंदा पकड़ने की बात पूरी तरह गलत है.

अंतिम संस्कार और संगठन की बेचैनी

नारायणपुर में पुलिस ने बसवराजू समेत 8 नक्सलियों का अंतिम संस्कार कर दिया, क्योंकि उनके शवों के लिए कोई स्पष्ट कानूनी दावेदार सामने नहीं आया. इसके बाद माओवादी संगठन की ओर से जारी बयान ने साफ कर दिया कि वे इस घटना को सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि एक गहरी साजिश और अपने ही लोगों के धोखे का नतीजा मानते हैं.

जंगल के भीतर की टूटती दीवारें

बसवराजू की मौत से न केवल CPI (माओवादी) को रणनीतिक नुकसान हुआ है, बल्कि यह भी उजागर हुआ है कि संगठन अब आंतरिक संकटों और विश्वासघात के जाल में उलझता जा रहा है. जिस "क्रांति" की रक्षा के लिए उसने हथियार उठाए थे, उसकी नींव अब अपने ही लोगों की जानकारी से दरक रही है.

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