क्या JDU इस बार नंबर दो या तीन से नंबर वन पार्टी बन पाएगी? किस करवट बदलने वाली है बिहार की राजनीति?
बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट बदलने को तैयार है. सीएम नीतीश कुमार लगातार अपनी राजनीतिक हैसियत को बढ़ाने में जुटे है? ऐसे में क्या नीतीश कुमार की पार्टी बिहार चुनाव में इस बार नंबर एक ताकत बन पाएगी? इस सवाल का जवाब देना अभी मुश्किल है. जनता ही तय करेगी कि कौन नंबर एक होगा, कौन नंबर दो या तीन? इसके लिए लोगों चुनाव परिणाम आने तक का इंतजार करना होगा.;
बिहार में राजनीति एक बार फिर चरम पर है. विपक्ष जहां पलायन, बेरोजगारी, अपराध और चुनाव सुधार प्रक्रिया को लेकर सत्ताधारी दल जेडीयू पर हमलावर मोड में है. वही जेडीयू, जो 2010 में राज्य की सबसे मजबूत पार्टी बनकर उभरी थी, अब नई चुनौतियों से घिरी है. नीतीश कुमार के लगातार गठबंधन बदलने और जनता के बदलते रुझान ने जेडीयू की साख को प्रभावित किया है. हालांकि, वो सियासी हैसियत को बदलने की कोशिश में जुटे हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जेडीयू नंबर तीन से नंबर एक पार्टी बन अपने नेता को सीएम बना पाती है या नहीं. जानें, इसको लेकर क्या कहते हैं सियासी दलों के नेता?
बिहार के राजनीतिक जानकारों के अनुसार बीजेपी और आरजेडी जैसे प्रमुख दलों के बीच टक्कर में जेडीयू को अपनी स्पष्ट पहचान बनानी होगी. नीतीश कुमार ने हाल ही में आरक्षण और सामाजिक न्याय के मुद्दों को फिर से उठाकर अपनी पार्टी की वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश की है. हालांकि, पार्टी की अंदरूनी कलह, नेताओं का पलायन और मतदाताओं का बदलता मूड जैसे फैक्टर तय होगा कि जेडीयू किस पायदान पर खड़ी होगी?
इस बार फिर नीतीश का मैजिक बोलेगा - कौशलेंद्र कुमार
जनता दल यूनाइटेड के नालंदा से सांसद कौशलेंद्र कुमार मुताबिक, 'इस बार जेडीयू नंबर वन की पार्टी बनेगी. ऐसा इसलिए कि नीतीश कुमार का बिहार की राजनीति में एक ही 'मैजिक' है और वो है जनता के हित के 'विकास' का काम करना. कोई भी व्यक्ति पहले के बिहार से वर्तमान बिहार की निष्पक्ष होकर तुलना करेगा तो यही कहेगा कि नीतीश कुमार ने बिहार का कायापलट कर दी है. फिर जिस तरह से नीतीश युवाओं, महिलाओं, गरीबों और दलितों के लिए नई नई योजनाओं का एलान कर रहे हैं, उससे साफ है कि इस बार फिर सुशासन बाबू का तिलिस्म बोलेगा.'
कहां हैं आप! सुशासन नहीं, कुशासन बाबू बन गए नीतीश- मुन्ना तिवारी
बिहार के बक्सर से विधायक और कांग्रेस नेता मुन्ना तिवारी ने यह पूछने पर कि जेडीयू इस बार नंबर वन की पार्टी बनेगी या नहीं, के जवाब में कहा, ' कहां हैं आप लोग! बिहार की धरती पर आकर देखिए. बिहार के सुशासन बाबू, अब कुशासन बाबू हो गए हैं. बिहार में बेरोजगारी, पलायन, महंगाई, हिंसा, कानून व्यवस्था का नाम की कोई चीज नहीं है और जनता में आक्रोश चरम पर है. इस बार बीजेपी को अधिकतम 70 और जेडीयू को अधिकतम 30 पर सीटों पर सिमट जाएगी. चिराग पासवान का कोई ठिकाना नहीं है. इसलिए, इस बार महागठबंधन की सरकार बनेगी. इसी के साथ बिहार में 20 साल के कुशासन का भी अंत हो जाएगा.'
नीतीश को BJP ही नहीं बनने देगी CM - समीर महासेठ
मधुबनी विधानसभा सीट से आरजेडी के विधायक समीर महासेठ ने कहा, 'प्रदेश में जो पार्टी नंबर तीन पर है, वो नंबर एक कैसे बन सकती है? जेडीयू का बिहार के विकास में क्या योगदान है? नीतीश कुमार 20 साल से बिहार के सीएम रहे, क्या वो प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिला पाए. पीएम मोदी ने उन्हें अंगूठा दिखा न. इतना ही नहीं, बीजेपी ने नीतीश कुमार को बुरबक (मूर्ख) बनाने से सिवाय और कुछ नहीं किया.'
उन्होंने आगे कहा, 'आप पूछ रहे हैं नंबर वन बनेगी की नहीं. सच यह है कि बीजेपी और जेडीयू में होड़ मची है. सीएम चेहरा कौन होगा, ये भी फाइनल नहीं है. बीजेपी में ही दो सीएम पद के लिए दो दावेदार हैं. एक विजय सिन्हा हैं और उनके खिलाफ सम्राट चौधरी भी सीएम की रेस में हैं. जूनियर मौसम वैज्ञानिक चिराग पासवान किसे फायदा पहुंचा रहे हैं. एक और सच यह है कि इस बार नीतीश कुमार का सीएम बनने का सपना पूरा नहीं होगा. बीजेपी उन्हें अब और सीएम नहीं बनने देगी. नीतीश कुमार के गर्दन पर बीजेपी की सियासी छूरी है. इस बात को आप नोट कर लीजिए'
बिहार में 2 दशक के दौरान संपन्न विधानसभा चुनाव का इतिहास
बिहार विधानसभा चुनाव 2020: सरकार बनाने से चूक गई थी RJD
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जेडीयू ने 122 जबकि भाजपा ने 121 सीटों पर चुनाव लड़ा था. जीतन राम मांझी को जेडीयू ने अपने खाते से 7 सीटें दी थी. भाजपा ने मुकेश सहनी की वीआईपी को अपने कोटे से 4 सीटें सीटें दी थी. लोक जनशक्ति पार्टी एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ी थी.
महागठबंधन में कांग्रेस, आरजेडी और वाम दलों-सीपीआईएमएल, सीपीआई, सीपीएम का गठजोड़ था. आरजेडी 144, कांग्रेस 70 और वामदल को 29 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था.
बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम 2020 के मुताबिक आरजेडी ने 75 सीटें, भारतीय जनता पार्टी ने 74 सीटें, जेडीयू ने 43 सीटें, कांग्रेस 19 सीटें और अन्य 31 सीट जीतने में कामयाब हुए थे. पांच साल पहले विधानसभा चुनाव की 2010 की सबसे बड़ी पार्टी तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. इसके बावजूद सरकार एनडीए की बनी थी और नौंवी बार नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने.
बिहार विधानसभा चुनाव 2015: आरजेडी को मिली थी सबसे ज्यादा सीटें
साल 2015 की चुनाव की बात करें तो उसमें में भी दो प्रमुख गठबंधन ही थे. महागठबंधन में जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस, जनता दल, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल और समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) का महागठबंधन था. दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने मिलकर साथ लड़ा था. 243 सीटों पर हुए चुनाव में 122 सीट के बहुमत के लिए चाहिए थे. आरजेडी ने और जेडीयू 101—101 सीटों पर चुनाव लड़ा था. भारतीय जनता पार्टी ने 157 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे.
आरजेडी 80 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी. जनता दल यूनाइटेड ने 71 सीटे जीती थी. भारतीय जनता पार्टी 53 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी. कांग्रेस को 27 सीटों पर जीत प्राप्त हुई थी. 2015 में भी सीएम नीतीश कुमार ही सीएम बने थे. आरजेडी नेता और तेजस्वी प्रसाद यादव डिप्टी सीएम बने थे.
विधानसभा चुनाव 2010: जेडीयू 115 सीटें जीत कर बनीं थी सबसे बड़ी पार्टी
साल 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड, बीजेपी के साथ गठबंधन में थी. जेडीयू ने 141 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिनमें 115 पर जीत दर्ज की थी. भाजपा ने 102 में 91 सीटों पर जीत हासिल की थी. आरजेडी 168 सीटों पर लड़कर महज 22 सीटे ही जीत पाई थी. लोक जनशक्ति पार्टी 75 सीटों में से केवल 3 सीटें ही जीत सकी थी. कांग्रेस सिर्फ चार सीटें ही मिली थी. कांग्रेस की यह बेहद ही करारी हार थी. इस बार भी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बने थे.
बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम २००५
साल 2005 में किसी दल को बहुमत न मिलने और सरकार गठन में सहमति न बनने से दो बार फरवरी और अक्तूबर में चुनाव करवाने पड़े थे. 2005 में जनता दल के शरद यादव गुट, लोक जनशक्ति पार्टी, जॉर्ज फर्नांडीज और नीतीश कुमार की समता पार्टी ने मिलकर जदयू का गठन किया था. तब लालू यादव के करीबी रहे नीतीश कुमार ने उन्हें चुनौती दी. फरवरी 2005 में हुए चुनाव में राबड़ी देवी के नेतृत्व में आरजेडी ने 75 सीटें ही जीत पाया. डीयू ने 138 सीटों पर चुनाव लड़ा और 55 सीटें जीती थी. भाजपा को 103 में से 37 सीटे प्राप्त हुईं तो कांग्रेस को 84 में से महज 10 सीटों पर जीत हासिल हुई.