Bihar Election 2025: बिहार को लेकर BJP कॉन्फिडेंट क्यों? 5 प्वाइंट्स में जानें सब कुछ
Bihar Chunav 2025 News: बिहार चुनाव के लिए बीजेपी (BJP) ने इस बार नई रणनीति बनाई है. इस रणनीति के तहत बीजेपी चुनाव में सामाजिक समीकरण, जातिगत जनगणना, ऑपरेशन सिंदूर और नीतीश कुमार के प्रति सहानुभूति लहर पर जोर देगी. हालांकि, बीजेपी इस बात को लेकर अलर्ट है और अति आत्मविश्वास से बचने के संकेत दिए हैं. ;
Bihar Chunav 2025 News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर प्रदेश में सियासी माहौल गरमाने लगा है. इस बार भी मुख्य मुकाबला 2020 की तरह एनडीए गठबंधन और महागठबंधन (इंडिया गठबंधन) के बीच है. सभी के चुनावी जीत को लेकर सभी के अपने-अपने दावे हैं, लेकिन बीजेपी के नेता इस बार अभी से कहने लगे हैं कि इस बार एनडीए गठबंधन की जीत तय है.
1. 'ओवर कॉन्फिडेंस' नहीं बल्कि 'कॉन्फिडेंस'
दरअसल, बीजेपी नेताओं का कहना है कि पहले के चुनावों को छोड़ भी दें तो ऐसे कई फैक्टर हैं, जो इस यह संकेत देते हैं कि बीजेपी चुनाव जीतने जा रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि एनडीए गठबंधन लोकसभा चुनाव में 243 विधानसभा सीटों में 155 पर नंबर वन पर रही. हालांकि, इसके विरोध में ये तर्क दिया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग माहौल होता है, लेकिन उसका फ्लेवर तो अभी बना हुआ है. इस बात से तो हमारे विरोधी भी इनकार नहीं कर सकते. बीजेपी नेता यह भी कहते हैं कि आप देख लेना यह 'ओवर कॉन्फिडेंस' नहीं बल्कि 'कॉन्फिडेंस' है.
2. इन मुद्दों को भुनाएगी BJP
बिहार के बीजेपी के नेताओं का कहना है कि बीजेपी ने कमर कस ली है. इतना ही नहीं, बीजेपी अपनी रणनीति भी तय कर चुकी है. बीजेपी यह मानकर चल रही है कि बिहार में कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है. बेहतर जाति समीकरण, ऑपरेशन सिंदूर, पॉजिटिव माहौल, जाति जनगणना कार्ड और नीतीश कुमार के प्रति सहानुभूति का लाभ बीजेपी को मिलेगा.
बीजेपी सिर्फ यह सुनिश्चित करने में जुटी है कि चुनाव के दौरान किसी भी तरह की लापरवाही या ओवर कॉन्फिडेंस की स्थिति न बने. ऐसा इसलिए कि बीजेपी नेता जातीय मामलों में उलझने से बचना चाहते हैं. उन्हें इस बात का आभास है कि चुनाव का फैसला तो जातियों से ही होगा.
3. जाति को लेकर बीजेपी नहीं करेगी बेकार की बात
बीजेपी नेताओं को कहना है कि बिहार में कास्ट बैटल यहां की हकीकत है. हमेशा से जाति आधारित वोटिंग होती रही है. आरजेडी इस बार अपने यादव-मुस्लिम वोट बैंक के अलावा अन्य जाति समूहों को आक्रामक रूप से लुभा रही है. लालू यादव की आरजेडी आगामी विधानसभा चुनावों में सपा के अखिलेश यादव की तरह बिहार में यादव-मुस्लिम कार्ड खेलेंगे. अखिलेश की तर्ज पर आरजेडी की इस बार मुसलमान और यादवों को ज्यादा से ज्यादा टिकट देने की योजना है. जबकि बीजेपी की रणनीति सभी को साथ लेकर चलने की है.
4. पीएम और अन्य शीर्ष नेताओं का जनता से सीधा संवाद- संजय मयूख
बिहार बीजेपी के एमएलसी और राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय मयूख का कहना है कि बीजेपी को चुनावी जीत का भरोसा है इसलिए है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व सीधे जनता से संवाद करते हैं. अपने पक्ष के तर्क देते हुए कहा है कि कोई प्रधानमंत्री ऐसा मिलेगा जिससे ने पिछले 11 सालों तक बिहार का 50 बार दौरा किया है. इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं. पार्टी केवल शीर्ष नेतृत्व नहीं, प्रदेश के नेता भी हमेशा लोगों के बीच में रहते हैं. विकास के कार्यों में जुटे रहते हैं. चाहे डीबीटी योजना, गैस कनेक्शन योजना हो या पीएम आवास योजना, सड़क, रेल और मेट्रो, एयरपोर्ट व अन्य आधारभूत सुविधाओं को विकास. हर क्षेत्र में पिछले 11 सालों में बिहार में तेजी से विकास हुआ है.
5. 20 बनाम 15 साल के राज पर होगा चुनाव- गुरु प्रकाश पासवान
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान ने कहा, "इस बार ओवर कॉन्फिडेंस नहीं कॉन्फिडेंस की बात कीजिए. बिहार में इस बार विधानसभा चुनाव 20 साल बनाम 15 साल के बीच है. 20 साल यानी एनडीए गठबंधन की सरकार और 15 साल यानी उससे पहले लालू यादव (आरजेडी) का जंगलराज. अगर आप आरजेडी और एनडीए गठबंधन की तुलना करेंगे तो जमीन आसमान का फर्क नजर आएगा."
गुरु प्रकाश पासवान ने आगे कहा, "लालू और राबड़ी के कार्यकाल में बिहार में विकास विरोधी राजनीति के साथ भ्रष्टाचार और जंगलराज था. बिहार में क्राइम का बोलबाला था. किसी भी क्षेत्र में विकास नहीं हुआ. इसके उलट अगर आप नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार की बात करेंगे तो सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, महिला व शिशु कल्याण और चार करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने सहित सभी क्षेत्रों में रिकॉर्ड काम हुए हैं."
राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश के मुताबिक, "बीजेपी-जेडीयू नेतृत्व में एनडीए सरकार ने सामाजिक समरसता के क्षेत्र में सबसे बेहतर काम काम किया है. पिछले 20 साल के दौरान बिहार के सभी वर्गों के कल्याण के लिए काम हुए है. चाहे किसी भी समूह या समुदाय के लोग क्यों न हों, उन्हें सरकार और सामुदायिक विकास योजनाओं को भागीदार बनाया गया. बिहार में अब कानून का शासन है. पहले की तरह जंगलराज नहीं. इस बात को प्रदेश के मतदाता बेहतर जानते हैं."