क्या सच में 40 हज़ार करोड़ रुपये में खरीदा गया बहुमत? जनसुराज ने लगाया आरोप; पार्टी बोली- 3 दिनों में वोट एनडीए की तरफ भागे
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों पर अब बड़ा सवाल उठ रहा है. जनसुराज पार्टी के अध्यक्ष उदय सिंह ने एनडीए की भारी जीत को ‘खरीदा हुआ बहुमत’ बताते हुए दावा किया है कि सरकार ने 40 हजार करोड़ खर्च किए और चुनाव के अंतिम दिनों में डर का माहौल बनाकर वोटों की दिशा बदल दी. उनका कहना है कि यह जनादेश प्राकृतिक नहीं, बल्कि मैनेज्ड और प्रबंधित था. उदय सिंह ने भ्रष्टाचार, दागी मंत्रियों, औद्योगिक विकास और बिहार से पलायन जैसे मुद्दों पर सरकार को कठघरे में खड़ा किया है. क्या बिहार की राजनीति नए संकट में है?;
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने जहाँ एक ओर एनडीए की शानदार जीत के रास्ते खोले, वहीं दूसरी तरफ इस जीत की विश्वसनीयता को लेकर विपक्षी खेमे में असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा है. चुनावी परिणामों ने राजनीतिक तापमान इस कदर बढ़ा दिया है कि अब बहुमत के पीछे की कहानी पर खुलकर सवाल उठाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में जनसुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने ऐसा दावा किया है, जिसने पूरे बिहार की सियासत को हिला दिया है.
उदय सिंह का कहना है कि बिहार का यह जनादेश पूरी तरह प्राकृतिक नहीं है, बल्कि चुनाव के आख़िरी दिनों में हुए राजनीतिक दांव-पेच, भारी खर्च और डर के वातावरण ने नतीजों को प्रभावित किया. उनका मानना है कि बिहार की जनता ने मतदान तो किया, लेकिन यह सरकार इसलिए बनी क्योंकि पीछे से ‘बहुमत खरीदने’ का खेल चला. यह आरोप आने के बाद बिहार की राजनीति एक नए विवाद के दौर में प्रवेश कर चुकी है.
एनडीए पर 'खरीदा हुआ बहुमत' का आरोप
जनसुराज प्रमुख उदय सिंह का दावा है कि एनडीए को मिला भारी बहुमत जनता की पसंद से नहीं, बल्कि योजनाबद्ध तरीके से जुटाए गए संसाधनों की ताकत पर आधारित है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने 40 हजार करोड़ रुपये खर्च कर राजनीतिक माहौल को प्रभावित किया. उनके अनुसार यह लोकतंत्र नहीं, बल्कि सत्ता का प्रबंधन है.
आखिरी तीन दिनों का ‘डर फैक्टर’ और वोट शिफ्टिंग
उदय सिंह का कहना है कि चुनाव के अंतिम चरण में आरजेडी को लेकर एक भय का माहौल तैयार किया गया. इस डर के कारण जनसुराज का कोर वोटबैंक तेजी से एनडीए की तरफ मुड़ गया. उनका दावा है कि यह शिफ्टिंग इतनी अचानक और व्यापक थी कि चुनाव का पुरा समीकरण रातों-रात बदल गया.
काम और विकास पर बहुमत मिलता तब खुशी होती: उदय सिंह
उदय सिंह ने कहा कि वह बिहार की जनता का सम्मान करते हैं, लेकिन उन्हें खुशी तब होती जब एनडीए की जीत काम, विकास और सुशासन के आधार पर होती. उनके अनुसार, यदि बहुमत वास्तविक कार्यों की वजह से मिलता, तो यह जनादेश अधिक मजबूत होता और लोकतंत्र की जीत कहलाती.
भ्रष्टाचार पर जीरो-टॉलरेंस की मांग
चुनाव नतीजों के बाद उदय सिंह ने खुलकर कहा कि नई सरकार को भ्रष्टाचार-मुक्त चेहरों के साथ कैबिनेट बनानी चाहिए. उन्होंने पिछले मंत्रिमंडल में शामिल विवादित और आरोपी मंत्रियों का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसे किसी भी व्यक्ति को दोबारा जिम्मेदारी देना जनता के विश्वास के साथ खिलवाड़ होगा.
बिहार में औद्योगिक विकास की राह पर जोर
उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि बिहार के बड़े मुद्दों पलायन, बेरोजगारी और औद्योगिक पिछड़ापन पर तत्काल काम शुरू होना चाहिए. उदय सिंह का मानना है कि अगर बिहार में फैक्ट्रियां खुलें, रोजगार पैदा हों और युवाओं का पलायन रुके, तभी राज्य में असली बदलाव आएगा.
विपक्ष की विफलता और जनसुराज की चुनौती
उदय सिंह ने बिहार के मौजूदा विपक्ष को भी कठघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा कि विपक्ष अपनी भूमिका निभाने में नाकाम रहा, जिसकी वजह से जनता के सामने मजबूत विकल्प मौजूद ही नहीं था. यही वजह है कि सत्ता और विपक्ष के बीच संतुलन बिगड़ गया.
सड़क पर विपक्ष की भूमिका निभाएगा जनसुराज
उन्होंने स्पष्ट कहा कि भले ही जनसुराज को विधानसभा में सीटें न मिली हों, लेकिन पार्टी सड़क से लेकर जनमंच तक हर जगह सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाएगी. उनके अनुसार जनसुराज आने वाले दिनों में भ्रष्टाचार उजागर करने, जनहित से जुड़े मुद्दे उठाने और प्रशासन को जवाबदेह बनाने की दिशा में लगातार काम करेगा.
जनसुराज का खुला वार
उदय सिंह के आरोपों और बयानबाजी ने राजनीतिक गलियारों में सबसे बड़ी बहस छेड़ दी है. एनडीए की जीत के बाद जहाँ एक तरफ जश्न का माहौल है, वहीं दूसरी तरफ जनसुराज के दावे बिहार की राजनीति को नई दिशा दे रहे हैं. आने वाले दिनों में चुनावी खर्च, वोट शिफ्टिंग और बहुमत की पारदर्शिता पर बहस और तेज होने की संभावना है.