Bihar Chunav 2025: तेज प्रताप ने जिन 5 दलों से किया गठबंधन, वो कितना रखते हैं प्रभाव?
टीम तेज प्रताप यादव के अगुवा तेज प्रताप यादव ने बिहार की सियासत में एक अलग मोर्चा बनाते हुए 5 छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है. उनके इस रुख को लेकर बिहार के मतदाता अचंभित हैं. लोग यह कयास नहीं लगा पा रहे हैं कि वो अपने पिता से अलग होकर कुछ सियासी खेल कर पाएंगे या भी नहीं. सवाल ये है कि ये पार्टियां वाकई कोई जनाधार रखती हैं या सिर्फ नाम भर की राजनीति करती हैं?;
बिहार की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से अगर कोई सबसे ज्यादा चर्चा में है तो उस शख्स का नाम तेज प्रताप यादव है. जब लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने 5 अगस्त को ऐलान किया कि वो 5 दलों के साथ मिलकर चुनावी समर में उतरेंगे, तो कई लोगों ने सिर खुजाना शुरू कर दिया था. कौन हैं ये पार्टियां? और इनका वजूद कितना है? क्या ये गठबंधन सिर्फ एक पॉलिटिकल शोपीस है या फिर वाकई कुछ वोट ट्रांसफर करवा सकता है? आइए, एक-एक कर के समझते हैं तेज प्रताप के इस 'पंचमेल गठबंधन' की असली ताकत क्या है?
गठबंधन में शामिल पार्टियां
दरअसल, बिहार के पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव ने 5 अगस्त को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पांच छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन की घोषणा की है. जिन पार्टियों के साथ उन्होंने गठबंधन को एलान किया है, उनमें विकासशील वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी), भोजपुरिया जन मोर्चा (बीजेएम), प्रगतिशील जनता पार्टी (पीजेपी), वाजिब अधिकार पार्टी (डब्ल्यूएपी) और संयुक्त किसान विकास पार्टी (एसकेवीपी) शामिल हैं. इस मौके पर पांचों पार्टी के राष्ट्रीय के अध्यक्ष भी मौजूद थे.
तेज प्रताप यादव ने कहा कि वह इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव महुआ सीट से लड़ेंगे, जिसका प्रतिनिधित्व उन्होंने 2020 तक किया था. उसके बाद राष्ट्रीय जनता ने उन्हें हसनपुर भेज दिया था. उन्होंने ये कहा, "लोग मेरा मजाक उड़ाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन मैं अपना रास्ता खुद चुनूंगा. हमारा गठबंधन सामाजिक न्याय, सामाजिक अधिकार और बिहार के पूर्ण परिवर्तन को सुनिश्चित करने के लिए मिलकर आगे बढ़ेगा."
तेज प्रताप यादव ने आगे कहा, "अगर लोग हमें जनादेश देते हैं, तो हम राज्य के विकास के लिए काम करेंगे. हम राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जयप्रकाश नारायण के सपनों को पूरा करने के लिए काम करेंगे."
तेज प्रताप यादव ने कहा कि मैं महुआ विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ूंगा. महुआ के लोग मेरा समर्थन कर रहे हैं और बड़ी संख्या में लोग अब मेरी 'टीम तेज प्रताप यादव' से जुड़ रहे हैं, जो लोगों तक पहुंचने का एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है.
गठबंधन में शामिल दलों का सियासी असर
1. VVIP (विकासशील वंचित इंसान पार्टी) के प्रमुख प्रदीप निषाद हैं. इस पार्टी की पकड़ निषाद, मल्लाह समुदाय के बीच है. यह पूर्वांचल और बिहार के कुछ हिस्सों में प्रभावशाली हैं. प्रदेश के 12 प्रतिशत मतदाताओं में इस पार्टी का प्रभाव होने का दावा है.
2. BJM (भोजपुरिया जन मोर्चा) हाल के वर्षों में क्षेत्रीय अस्मिता के नाम पर बनाई गई. इसका मकसद भोजपुरिया भाषा, संस्कृति और पूर्वांचल हित है. इस पार्टी ने अभी तक चुनावों में कोई बड़ा प्रदर्शन नहीं किया है. सोशल मीडिया या सांस्कृतिक संगठनों में थोड़ी पकड़, लेकिन जमीनी स्तर पर राजनीतिक आधार कमजोर है.
3. PJP (प्रगतिशील जनता पार्टी) कई छोटे संगठनों का एक महासंगठन है. इसका मुख्य एजेंडा प्रगतिशील समाजवाद, सामाजिक न्याय है. अभी तक चुनावी जीत का कोई इतिहास नहीं है.
4. WAP (वाजिब अधिकार पार्टी) का मुख्य एजेंडा वंचितों के हक की बात और सामाजिक न्याय है. इस पार्टी की बिहार के ग्रामीण इलाकों में नाममात्र पहचान. इस पार्टी ने अभी तक कोई चुनावी सफलता दर्ज नहीं की है.
5. SKVP (संयुक्त किसान विकास पार्टी) का मुख्य एजेंडा किसानों के हक, कृषि सुधार, पंचायत आधारित विकास है. किसान समुदाय के बीच बहुत सीमित पहचान है. यह पार्टी मुख्यधारा में नहीं आई है और कोई संसदीय/विधानसभा सीट नहीं जीती है.
कुल मिलाकर इन पांचों दलों का जनाधार या तो एक खास समुदाय तक सीमित है या बहुत ही मामूली है. इनका प्रभाव स्थानीय स्तर पर हो सकता है, लेकिन राज्य या राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में फिलहाल कोई निर्णायक भूमिका नहीं है. यदि कोई बड़ा गठबंधन (जैसे तेज प्रताप यादव) से जुड़ता है, तो वह प्रतीकात्मक या जातीय समीकरण साधने की कोशिश हो सकती है, न कि ठोस जनाधार आधारित राजनीतिक शक्ति.
पार्टी और घर दोनों से बेदखल हैं तेज प्रताप
बिहार के पूर्व मंत्री को उनके पिता लालू प्रसाद ने 25 मई को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था। एक दिन पहले ही उन्होंने कथित तौर पर अनुष्का नाम की एक महिला के साथ "रिश्ते में" होने की बात कबूल की थी. हालांकि, बाद में उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट को यह कहते हुए हटा दिया कि उनका पेज "हैक" हो गया था. लालू प्रसाद ने भी तेज प्रताप के "गैर-ज़िम्मेदाराना व्यवहार" के कारण उन्हें अस्वीकार कर दिया था.
इसके बाद तेज प्रताप यादव ने कहा कि कुछ दिनों बाद पार्टी से निष्कासन के बाद, तेज प्रताप ने आरोप लगाया था कि उनके और उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव के बीच दरार पैदा करने की "साजिश" रची गई थी. उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर कुछ पोस्ट में अपनी भावनाओं को व्यक्त किया था, जिसमें 'जयचंद', जो देशद्रोहियों का प्रतीक है, पर संकट गहरा गया है. उनका निष्कासन बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले हुआ है, जिसे राजद तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ेगा. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों, प्रसाद और राबड़ी देवी के घर जन्मे ये दोनों भाई राजनीति में सक्रिय नौ भाई-बहनों में से चार में से हैं.