ये हैं बिहार की 7 सबसे टॉप महिला नेत्री, राजनीति में चलती हैं ऐसी चाल बड़े-बड़े हो जाते हैं 'बेहाल'
बिहार की राजनीति में सिर्फ पुरुष ही नहीं, महिलाएं भी खेल की बड़ी खिलाड़ी हैं. कुछ महिला नेता अपनी कूटनीति, जनाधार और तेजतर्रार बयानों से राजनीति की हर बाजी पलटने का दम रखती हैं. जानिए कौन हैं, बिहार की ये टॉप पावरफुल लेडीज जिनकी चाल से बदल जाता है सियासी समीकरण.;
बिहार की सियासत हमेशा से दिलचस्प रही है. गठबंधन से लेकर घोटालों तक जाति से लेकर जनादेश तक के इस खेल में कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं जो ‘बैकसीट’ पर नहीं बल्कि ड्राइविंग सीट पर बैठकर फैसले करवाती हैं. बिहार के महिला नेताओं की सियासी समझ, भाषण कला और पकड़ इतनी मजबूत है कि बड़े-बड़े नेता भी कई बार 'साइलेंट मोड' में चले जाते हैं. आइए, जानें बिहार की उन 7 टॉप महिला नेताओं के बारे में जो न केवल अपने इलाके की शेरनी हैं बल्कि पूरे राज्य की राजनीति को दिशा देने के मामले में बड़ी ताकत हैं.
1. राबड़ी देवी
राबड़ी देवी बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री रही हैं, जिन्होंने लालू प्रसाद यादव की चारा घोटाले में जेल जाने पर बिहार की सत्ता संभाली थी. राजनीति में उनकी एंट्री अचानक हुई, लेकिन उन्होंने कई वर्षों तक शासन चलाकर खुद को स्थापित किया. उनके कार्यकाल को मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिलीं, लेकिन वे आज भी राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा मानी जाती हैं. उनका संघर्ष महिलाओं के लिए राजनीति में जगह बनाने का प्रतीक है. राबड़ी देवी एक ऐसी महिला हैं, जिन्होंने खुद को समय से साथ बदलने में कोई कसर नहीं छोड़तीं.
2. लेसी सिंह
लेसी सिंह JDU की वरिष्ठ नेता हैं और फिलहाल बिहार सरकार में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री हैं. वे नीतीश कुमार की करीबी मानी जाती हैं और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर उनकी पकड़ मजबूत है. वे लगातार चुनाव जीतती आई हैं और संगठन में भी सक्रिय भूमिका निभाती हैं. लेसी पार्टी ओर से दी गई कई अन्य जिम्मेदारियों को भी पूरा करने में जुटी हैं. पार्टी के लिए गई अहम मोड़ पर निर्णायक साबित हुई हैं.
3. शांभवी चौधरी
शांभवी चौधरी की उम्र महज 26 साल है. वह अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी की नेता हैं. शांभवी चौधरी के पिता अशोक चौधरी जेडीयू नेता और बिहार सरकार में प्रभावी मंत्री हैं. अशोक चौधरी नीतीश कुमार की कैबिनेट में सबसे प्रभावशाली मंत्रियों में से एक हैं. अशोक चौधरी कांग्रेस से जेडीयू में आए थे. शांभवी चौधरी के दादा स्वर्गीय महावीर चौधरी भी कांग्रेस के नेता थे. जब पार्टी बिहार में सत्ता में थी तब वे राज्य मंत्री थे. बिहार में एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांभवी चौधरी की खूब प्रशंसा की थी. उन्होंने समस्तीपुर लोकसभा के लोगों से उनके पक्ष में वोट देने की अपील की थी.
4. शालिनी मिश्रा
जनता दल यूनाइटेड (JDU) की तेजतर्रार नेत्री और केसरिया सीट से विधायक शालिनी मिश्रा अपने दम पर दल में एक मजबूत स्थान बना चुकी हैं. वे न सिर्फ एक कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती हैं बल्कि संगठनात्मक कौशल और महिला सशक्तिकरण की पैरोकार भी हैं. बिहार की राजनीति में उनकी छवि एक पढ़ी-लिखी और प्रगतिशील महिला नेता की है.
5. शीला मंडल
बिहार के मधुबनी के फुलपरास से शीला मंडल विधायक हैं. उन्होंने जनता दल यूनाइटेड के चुनाव चिन्ह पर जीत हासिल की थी. फिलहाल, बिहार सरकार में परिवहन और संचार मंत्री हैं. अति पिछड़ी जाति से आने वाली शीला मंडल का परिवार जेडीयू और राजनीति में लंबे समय से जुड़ा हुआ है. शीला मंडल के चचेरे ससुर धनिक लाल मंडल भी फुलपरास से विधायक रह चुके हैं. शीला मंडली नीतीश कुमार के करीबी नेताओं में शुमार हैं.
6. श्रेयसी सिंह
पूर्व शूटर और राष्ट्र मंडल खेलों की गोल्ड मेडलिस्ट श्रेयसी सिंह भाजपा की युवा नेता हैं. खेल से राजनीति में आईं श्रेयसी सिंह जमुई से विधायक हैं.
वह बिहार के शाही परिवार से ताल्लुक रखती हैं. वह पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की बेटी ही नहीं इंटरनेशनल लेवल की शूटर भी हैं. वह कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड विजेता भी रह चुकी हैं. उनकी मां पुतुल सिंह भी सांसद रह चुकी हैं. राजनीति उनको अपने परिवार से विरासत में मिली है. श्रेयसी ने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से ग्रैजुएशन किया और फिर मानव रचना यूनिवर्सिटी फरीदाबाद से एमबीए की डिग्री ली.
7. रश्मि वर्मा
साल 2014 में हुए उपचुनाव में पहली बार रश्मि वर्मा विधायक बनी थी. इससे पहले वह जेडीयू में थी. जेडीयू से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हुई थीं. मौजूदा दौर में रश्मि वर्मा नरकटियागंज से बीजेपी विधायक हैं. वह नरकटियागंज की मेयर भी रह चुकी हैं. वे महिलाओं के खिलाफ हिंसा और शिक्षा जैसे मुद्दों पर मुखर रही हैं. रश्मि वर्मा उच्च शिक्षित महिला हैं. पिछले कुछ दिनों से प्रशांत किशोर द्वारा गंभीर आरोप लगाने के बाद से वह सुर्खियों में हैं.