कदम-कदम पर लड़ना सीखो... चिराग पासवान की डिमांड से एनडीए में हलचल, BJP-JDU की पॉलिटिक्स पर क्या होगा असर?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए और लोजपा के बीच सीट शेयरिंग पर जारी तनाव. चिराग पासवान ने पिता रामविलास पासवान के आदर्श और 'बिहार फ़र्स्ट, बिहारी फ़र्स्ट' विजन के तहत अपनी मांगें दोहराईं. जानें कैसे यह बिहार की सियासी तस्वीर बदल सकता है.;

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Edited By :  नवनीत कुमार
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बिहार विधानसभा चुनाव अब दो चरणों में संपन्न होंगे. इस बीच एनडीए के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग को अंतिम रूप देने की कवायद तेज हो गई है. भाजपा ने अधिकांश घटक दलों के साथ सहमति लगभग पक्की कर ली है, लेकिन लोजपा (रामविलास) के साथ बातचीत अभी भी लंबित है. सूत्रों का कहना है कि लोजपा की अड़चन के कारण सीट बंटवारे का फाइनल ड्राफ्ट फिलहाल तैयार नहीं हो पाया है.

लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने सीट बंटवारे पर किसी भी तरह की जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है. विश्लेषकों का मानना है कि यह रणनीति भाजपा और जेडीयू के लिए चिंता का सबब बन सकती है. पिछली बार भी लोजपा को संतोषजनक सीटें नहीं मिलने के कारण एनडीए में खटास आई थी, जिसका सीधा असर जेडीयू की चुनावी ताकत पर पड़ा था.

रामविलास पासवान को दी श्रद्धांजलि

आज चिराग पासवान ने अपने पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को याद किया. उन्होंने सोशल मीडिया पर पिता के आदर्शों को साझा करते हुए लिखा कि “जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत. जीना है तो मरना सीखो, कदम-कदम पर लड़ना सीखो.” यह संदेश पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच उत्साह और प्रतिबद्धता पैदा करने वाला माना जा रहा है.

बिहार फ़र्स्ट का विजन

चिराग ने ट्वीट में लिखा कि वह अपने पिता के दिखाए मार्ग और “बिहार फ़र्स्ट, बिहारी फ़र्स्ट” विजन को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह बयान संकेत देता है कि चिराग आगामी चुनाव में लोजपा की दखल और सीट मांग को मजबूती से रखने वाले हैं. इसका सीधा असर एनडीए के सीट बंटवारे और गठबंधन रणनीति पर पड़ सकता है.

लोकतंत्र का महापर्व शुरू

चिराग ने अपने संदेश में कहा कि बिहार में लोकतंत्र का महापर्व शुरू होने जा रहा है. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से अपील की कि वे आगामी चुनाव में अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए पूरी ताकत झोंकें. विश्लेषकों का मानना है कि यह लोक जनशक्ति पार्टी के अंदर एकजुटता और संगठनात्मक मजबूती को बढ़ावा देने का भी संकेत है.

आगामी चुनावों में संभावित असर

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, लोजपा की सख्त रुख और चिराग के दृढ़ संदेश के चलते एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर हलचल बढ़ सकती है. यदि लोजपा अपनी मांगों पर अड़ जाती है, तो भाजपा और जेडीयू के लिए गठबंधन प्रबंधन चुनौतीपूर्ण हो जाएगा. ऐसे में आगामी चुनावों में लोजपा की भूमिका निर्णायक साबित हो सकती है, जो बिहार की सियासत के समीकरण बदल सकती है.

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