डोमिसाइल नीति से युवाओं को कितना लुभा पाएंगे नीतीश कुमार? जमीनी हकीकत तो कुछ और है, जानें क्या कहते हैं युवा

बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने नई डोमिसाइल नीति का एलान कर बड़ा दांव खेला है. क्या यह युवाओं के सपनों को पंख देगी या सिर्फ चुनावी लोक लुभावन वादे साबित होंगे. ऐसा इसलिए कि टीचर्स भर्ती परीक्षा और CTET का एग्जाम न होने से सोशल मीडिया पर प्रदेश के युवा असंतोष जता रहे हैं. जानें क्या है डोमिसाइल नीति की हकीकत.;

Curated By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 8 Aug 2025 12:49 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले ने नीतीश कुमार ने बिहार के युवाओं के हित में बड़ा फैसला लिया और शिक्षा विभाग की नौकरियों में 40 प्रतिशत डोमिसाइल नीति लागू कर दी है. यह प्रस्ताव कैबिनेट से पास भी हो गया है. सवाल है कि नीतीश कुमार की डोमिसाईल पॉलिसी क्या है और इससे बिहार के युवाओं को कितना फायदा होगा? अन्य राज्य के युवाओं पर क्या असर पड़ेगा?

नीयत पर सवाल

शिक्षक भर्ती (TRE-4/TRE-5) में बिहार के युवाओं को मिली प्राथमिकता की वजह से नीतीश कुमार की डोमिसाइल नीति (Domicile Policy) युवा वर्ग को काफी आकर्षित कर सकती है, लेकिन इस राह में एक अड़चन यह है कि प्रदेश के युवा पहले सी-टेट का एग्जाम करवाना चाहते हैं. कुछ रिपोर्ट बताती हैं कि राजनीतिक दबाव में नीतीश सरकार ने इस मुद्दे को तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर को सौंपते हुए खुद दूरी बना ली है, जिससे नीति की स्थायित्व पर सवाल उठते हैं.

प्रदेश के लोगों का कहना है कि नीतीश सरकार की डोमिसाइल नीति के पीछे छिपा है एक बड़ा पॉलिटिकल मैसेज है. हकीकत यह है कि बिहार में बेरोजगारी का ग्राफ लंबे समय से चर्चा का विषय है. पढ़े-लिखे युवा दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु तक नौकरी के लिए पलायन करते हैं. ऐसे में डोमिसाइल पॉलिसी को लेकर सरकार का दावा है कि इससे राज्य के युवाओं को स्थानीय अवसर मिलेंगे, प्रतियोगिता में बाहरी उम्मीदवारों का दबाव घटेगा और ब्रेन ड्रेन पर भी रोक लगेगी.

तेजस्वी यादव के इस एलान से सीएम थे दबाव में

 

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने 15 जून को कहा था कि बिहार में आरजेडी की सरकार बनी तो प्रदेश के युवाओं को सभी की सभी सीटों पर प्रदेश के युवाओं को मौके देने वाला डोमिसाइल नीति लागू करेंगे. ताकि बिहार में सभी नौकरियां केवल बिहार के लोगों को मिले. बाहरी लोगों को नहीं.

क्या कहते हैं प्रदेश के युवा

कई युवाओं का कहना है कि "सरकारी नौकरी के लिए सिर्फ डोमिसाइल नहीं, बल्कि पर्याप्त वैकेंसी, पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया और स्किल डेवलपमेंट जरूरी है. सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाएं बंटी हुई हैं. कुछ इसे "युवाओं के लिए सुरक्षा कवच" बता रहे हैं, तो कुछ इसे "पॉलिटिकल स्टंट." छात्र संगठनों का कहना है कि यह पॉलिसी तब कारगर होगी जब प्राइवेट सेक्टर में भी स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक चुनावी साल में इस तरह के ऐलान अक्सर मतदाताओं को साधने की कोशिश होते हैं. वहीं, विपक्ष इसे बेरोजगारी के असली मुद्दे से ध्यान भटकाने का प्रयास बता रहा है. फिलहाल, बिहार के युवा इंतजार कर रहे हैं कि यह पॉलिसी सिर्फ कागज पर रहेगी या सच में उनके भविष्य का नक्शा बदलेगी.

नीतीश कुमार सरकार की डोमिसाइल नीति पर सोशल मीडिया यूजर @ivkashyap_LJP ने सीएम से मांग की है कि प्रदेश के लाखों युवा STET के इंतजार में हैं. आपसे अनुरोध है कि बीपीएससी TRE-4 से पहले STET परीक्षा ली जाए और TRE-4 में संपूर्ण डोमिसाइल लागू की जाए. STET का न होना लाखों युवाओं की हक में सेंधमारी होगी!

वहीं, यूजर @mk_milankumar ने लिखा है कि सीएम सर ये कहा से न्याय है. जब #STET कि परीक्षाओं में अपेरिंग वालो को बैठने की इजाजत नहीं देना 2022-24/2023-25 के पास विद्यार्थियों के साथ अन्याय है. दुःख की बात एक और है कि इस बार #CTET भी नहीं हुआ है. हम लोगों के पास आत्महत्या के अलावे कोई और उपाय ही नहीं हैं.

यूजर @PawanTBihari के मुताबिक अगर TRE-4 से पहले STET नहीं हुआ तो याद रखिए डोमिसाइल नीति काम नहीं आएगा. आज का फैसला नीतीश कुमार के ताबूत की आखिरी कील साबित होगा. B.Ed करने वाले बिहारी छात्र लगभग 7 लाख परिवार से अगर सिर्फ 5 वोटर भी विरोध में वोट दें तो  35 लाख वोट सीधे सरकार के खिलाफ! जाएगा. नीतीश सरकार इस पर ध्यान दे.

क्या है डोमिसाइल नीति?

बिहार डोमिसाइल नीति का मतलब है किसी व्यक्ति का स्थायी निवास या वह स्थान जहां वह कानूनी रूप से रह रहा है, से संबंधित नीति से है. नीतीश कुमार सरकार द्वारा लागू इस नीति के अनुसार अब सरकारी नौकरियों में प्रदेश के लोगों के लिए सीटों को आरक्षित रखने का फैसला लिया है. पहले बिहार सरकारी की नीति के दूसरी प्रदेश के छात्र भी समान रूप से आवेदन करते थे, लेकिन नई डोमिसाइल नीति लागू होने से अब बाहरी युवा तय सीटों पर ही सरकारी नौकरी का लाभ उठा पाएंगे.

ऐसे समझें आरक्षण का गुणा-गणित

बिहार में जाति के आधार पर 50 फीसद और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 फीसद आरक्षण है. यानी कुल 60 फीसद हो गया. शेष 40 फीसद सामान्य सीट में से 35 फीसद बिहार की महिलाओं के लिए रिजर्व है. अब नियमावली में संशोधन कर 40 फीसद सामान्य सीटों के बचे 65 फीसद सीटों में से 40 प्रतिशत सीट आरक्षित कर दी गई है. ऐसे में 40 फीसद सामान्य सीटों में से 15 फीसद सीटें बच जाएंगी. इन पर बिहार और दूसरे राज्य के सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी आवेदन कर सकेंगे.

डोमिसाइल नीति का किस किसको मिलेगा लाभ?

बिहार के शिक्षा विभाग में 40 प्रतिशत डोमिसाइल नीति लागू कर दी गई है तो इसका असर क्या होगा यह समझना जरूरी है. अब इससे बिहार के 85 से 86 प्रतिशत युवाओं के लिए शिक्षा विभाग में नौकरी आरक्षित हो गई है. जिन अभ्यर्थियों का मैट्रिक और इंटरमीडिएट का सर्टिफिकेट बिहार का होगा उसी को यह लाभ मिलेगा. इसमें बाहर के राज्यों के जिन्होंने बिहार से ही मैट्रिक और इंटरमीडिएट की शिक्षा ली है उन्हें भी यह लाभ मिल जाएगा.

बिहार में युवा वोटरों की संख्या कितनी है?

चुनाव आयोग के मुताबिक लोकसभा चुनाव 2024 तक बिहार की मतदाता सूची में कुल 7.64 करोड़ वोटर्स के नाम दर्ज हैं. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 4 करोड़ और महिला मतदाताओं की संख्या 3.6 करोड़ है. लोकसभा चुनाव में 9.26 लाख वोटर्स को पहली बार मतदान के लिए योग्य माना गया था. राज्य के 20 से 29 साल के युवा वोटरों की संख्या 1.6 करोड़ है.

बिहार में कितने बेरोजगार?

बिहार सरकार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023-24 के मुताबिक राज्य में बेरोजगारी की स्थिति देश के औसत से अधिक है. इस रिपोर्ट के अनुसार राज्य में बेरोजगारी दर 4.3% है जो राष्ट्रीय औसत 3.4% से 0.9% से अधिक है. हालांकि, केरल (8.4%), हरियाणा (6.4%) और पंजाब (6.7%) जैसे राज्यों के मुकाबले बिहार की स्थिति काफी बेहतर है.

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