बिहार में मिशन रोजगार शुरू: नीतीश का मास्टरस्ट्रोक - युवा, स्किल और हायर एजुकेशन पर सीधा फोकस
बिहार सरकार ने चुनावी वादों को धरातल पर उतारते हुए रोजगार और कौशल विकास पर बड़ा कदम उठाया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीन नए विभाग—युवा, रोजगार और कौशल विकास, उच्च शिक्षा और नागरिक उड्डयन—के गठन की घोषणा की है. लक्ष्य है अगले पांच वर्षों में राज्य के युवाओं को 1 करोड़ रोजगार और उद्यमिता अवसर उपलब्ध कराना. हर जिले में मेगा स्किल सेंटर, MSME निदेशालय और बिहार मार्केटिंग प्रमोशन कॉरपोरेशन के जरिए सरकारी व निजी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर नौकरी और उद्यम बढ़ाने की योजना तैयार की जा रही है.;
बिहार में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के दौरान रोजगार, प्रवास (माइग्रेशन) और बुनियादी ढांचे का मुद्दा सबसे बड़ा राजनीतिक एजेंडा रहा. लगातार दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले नीतीश कुमार की नई एनडीए सरकार ने अब चुनावी वादों को धरातल पर उतारने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा दिए हैं. सरकार ने युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से तीन नए विभागों के गठन की घोषणा की है, जिनके जरिए आने वाले पांच वर्षों में एक करोड़ नौकरियां उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है. यह बिहार के प्रशासनिक ढांचे में बड़े बदलाव का संकेत है.
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नए बने इन तीन विभागों में सबसे महत्वपूर्ण है - युवा, रोजगार और कौशल विकास विभाग, जिसे राज्य में अगले पांच वर्षों (2025–2030) के भीतर एक करोड़ नौकरियां और रोजगार उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दी गई है. अन्य दो विभाग हैं - उच्च शिक्षा विभाग और नागरिक उड्डयन विभाग. इसके साथ ही सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) निदेशालय और बिहार मार्केटिंग प्रमोशन कॉरपोरेशन बनाने की भी घोषणा की है. इन सभी पहलुओं के साथ अब बिहार सरकार के विभागों की संख्या बढ़कर 40 हो गई है.
सरकार ने तय कर दी है अपनी प्राथमिकता
नई कैबिनेट का आकार 15% के नियमत सीमा में होने के कारण बिहार में अधिकतम 36 मंत्री हो सकते हैं. 26 मंत्रियों के शपथ लेने के साथ 21 नवंबर को नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. अब नए विभागों और निदेशालयों के गठन ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार संसाधनों का पुनर्गठन कर रोजगार सृजन को शीर्ष प्राथमिकता दे रही है.
उच्च शिक्षा विभाग को भी बड़ी जिम्मेदारी
चुनावों से पहले लगभग सभी दलों ने बेरोजगारी, सरकारी भर्तियों की गति और पलायन की समस्या पर जोर दिया था. बिहार में लंबे समय से मांग थी कि उच्च शिक्षा पर अलग से फोकस हो, क्योंकि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी, सत्र की देरी और शोध गतिविधियों की स्थिति बेहद कमजोर रही है. अब उच्च शिक्षा विभाग शिक्षकों की भर्ती, अनुसंधान, तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा और युवाओं के लिए रोजगारपरक उच्च शिक्षा विकसित करने की जिम्मेदारी संभालेगा.
चुनावी वादे पूरे करने में जुटी नीतीश सरकार
एनडीए ने अपने चुनावी घोषणापत्र में एक करोड़ सरकारी नौकरियां देने, प्रत्येक जिले में स्किल सेंटर बनाने, पांच हजार करोड़ रुपये की लागत से विश्वस्तरीय शिक्षा शहर विकसित करने और स्कूलों के ढांचे को मजबूत करने का वादा किया था. सरकार ने अब इन वादों को टार्गेट के रूप में सार्वजनिक रूप से आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है.
सीएम नीतीश कुमार ने शुक्रवार को X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा - “अगले पांच वर्षों में एक करोड़ युवाओं को रोजगार और नौकरी के अवसर उपलब्ध कराना हमारा लक्ष्य है. इसके लिए आवश्यक है कि राज्य के अधिक से अधिक युवाओं को स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग, उच्च स्तरीय उच्च व तकनीकी शिक्षा मिल सके. लक्ष्य की पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सख्त मॉनिटरिंग की जाएगी.” उन्होंने आगे कहा कि युवा, रोजगार और कौशल विकास विभाग के माध्यम से युवाओं को उद्यमिता (एंटरप्रेन्योरशिप) और रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे.
बेरोजगारी और पलायन है पुरानी समस्या
बिहार में बेरोजगारी और प्रवासन वर्षों से एक बड़ी सामाजिक-आर्थिक चुनौती रही है. PLFS (Periodic Labour Force Survey) के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जून तिमाही में बिहार की बेरोजगारी दर 15 वर्ष से अधिक आयु वालों में 5.2% थी, जो राष्ट्रीय औसत 5.4% से नीचे है. लेकिन यह इसलिए क्योंकि बिहार में कार्यबल भागीदारी दर (LFPR) केवल 48.8% है - यानी आधे से भी कम कार्य-योग्य लोग रोजगार की तलाश में हैं. युवाओं (15–29 वर्ष) में यह दर और भी चिंताजनक है - केवल 33.9%, जो देश में सबसे कम है. 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार के 74.54 लाख प्रवासियों में से 30% ने रोजगार को पलायन का मुख्य कारण बताया.
बाकी दो विभाग करेंगे ये काम
सरकार के अनुसार नागरिक उड्डयन विभाग का गठन राज्य में कई नए हवाईअड्डों के निर्माण और केंद्र की UDAN स्कीम के तहत प्रस्तावित हवाई कनेक्टिविटी को देखते हुए किया गया है. वहीं MSME निदेशालय हर जिले में “मेगा स्किल सेंटर” स्थापित करेगा, ताकि कौशल विकास के साथ उद्योगों को प्रशिक्षित जनशक्ति मिल सके. बिहार मार्केटिंग प्रमोशन कॉरपोरेशन कृषि, पशुपालन, बागवानी, खाद्य प्रसंस्करण, हैंडीक्राफ्ट, ग्रामीण उद्योग और सूक्ष्म उद्यमों के उत्पादों के वितरण एवं बाजार उपलब्धता को सशक्त करेगा, जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की उम्मीद है.
सत्तापक्ष ने इन फैसलों को युवाओं के हित में “भविष्य की दिशा में कदम” बताया है. जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार के अनुसार - “यह भारी जनादेश का सम्मान है. सरकार पहले ही 19 वर्षों में 28 लाख से अधिक नौकरियां दे चुकी है, अब लक्ष्य नए विभागों के माध्यम से सभी सेक्टरों में रोजगार संभावनाओं को खोलना है.” बीजेपी उपाध्यक्ष संतोष पाठक कहते हैं, “लक्ष्य है अगले दस वर्षों में बिहार को औद्योगिक उत्पादन और विकास का गढ़ बनाना. प्रो-पब्लिक गवर्नेंस हमारी ताकत है और हम बिहार को विकसित राज्य बनाने को प्रतिबद्ध हैं.”
वहीं विपक्ष ने सरकार के इन कदमों का स्वागत करते हुए तंज भी कसा है. RJD प्रवक्ता ने कहा कि युवाओं, रोजगार और पलायन का मुद्दा “तेजस्वी यादव ने चुनावों में मुख्यधारा में लाया, जिसके दबाव में सरकार को अब ये कदम उठाने पड़े.”