बिहार चुनाव से पहले हो गया महाझोल! वे 10 सीटें जहां पर आपस में ही भिड़ गए महागठबंधन के साथी
बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण अब नजदीक है, लेकिन महागठबंधन में सीटों की बाजी ऐसे उलझी है जैसे बिना प्लान के शतरंज खेली जा रही हो. जहां एनडीए ने पहले ही मोर्चा संभाल लिया है, वहीं महागठबंधन के अंदर अब तक तय नहीं हो पाया है कि कौन-सी सीट पर किसका हक है. नतीजा ये कि एक ही गठबंधन के दो-दो उम्मीदवार एक ही सीट पर भिड़ गए हैं!;
बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण अब नजदीक है, लेकिन महागठबंधन में सीटों की बाजी ऐसे उलझी है जैसे बिना प्लान के शतरंज खेली जा रही हो. जहां एनडीए ने पहले ही मोर्चा संभाल लिया है, वहीं महागठबंधन के अंदर अब तक तय नहीं हो पाया है कि कौन-सी सीट पर किसका हक है. नतीजा ये कि एक ही गठबंधन के दो-दो उम्मीदवार एक ही सीट पर भिड़ गए हैं! कांग्रेस, आरजेडी, माले और वीआईपी- सबने अपने-अपने पत्ते खोल दिए हैं, और अब जनता देख रही है कि ये 'महागठबंधन' आखिर कब 'महासमझौता' बनेगा.
सीट बंटवारे पर महागठबंधन की महाखींचतान
कई दिनों की बैठकों और दावों के बावजूद जब अंतिम सहमति नहीं बन पाई, तो आरजेडी ने 46 उम्मीदवारों की लिस्ट पहले ही जारी कर दी. कांग्रेस ने नामांकन की आखिरी तारीख से एक दिन पहले 48 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए. वहीं भाकपा-माले ने 20 और वीआईपी ने 15 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए. नतीजा यह हुआ कि कई सीटों पर महागठबंधन के ही दो उम्मीदवारों ने नामांकन भर दिया, और अब 6 नवंबर को पहले चरण में कई जगह 'दोस्ताना जंग' देखने को मिलेगी.
वैशाली से कहलगांव तक ‘फ्रेंडली फाइट’ का फुल ड्रामा
वैशाली- कांग्रेस के संजीव कुमार और आरजेडी के अजय कुशवाहा आमने-सामने हैं. कार्यकर्ता असमंजस में कि प्रचार किसके लिए करें.
लालगंज- बाहुबली मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला (आरजेडी) बनाम कांग्रेस के आदित्य कुमार राजा. जातीय समीकरण जटिल, एनडीए इसे भुना रहा है.
राजापाकर- कांग्रेस की प्रतिमा दास और माले के मोहित पासवान आमने-सामने. दोनों के बीच वोट कटने की पूरी संभावना.
बछवारा- कांग्रेस और माले दोनों ने उम्मीदवार उतार दिए, ग्राउंड पर भारी असंतोष.
गौरा बौराम- वीआईपी और आरजेडी में घमासान, दोनों ने टिकट बांट दिए, अब फैसला नाम वापसी पर टिका है.
रोसरा- फिर वही कहानी, कांग्रेस बनाम आरजेडी. पिछड़े वर्ग की इस सीट पर दोनों का दावा.
बिहारशरीफ- कांग्रेस के उमर खान और सीपीआई के सतीश यादव भिड़ गए हैं. मुस्लिम-यादव समीकरण वाली इस सीट पर एनडीए मजे में है.
कहलगांव- आरजेडी के रजनीश यादव बनाम कांग्रेस के प्रवीण कुशवाहा. दोनों दल एक-दूसरे की नींव हिला रहे हैं.
तारापुर- आरजेडी और वीआईपी के बीच खींचतान जारी.
आलमनगर- एक ही उम्मीदवार नवीन कुमार ने आरजेडी और वीआईपी दोनों के सिंबल पर नामांकन दाखिल कर सबको चौंका दिया!
एनडीए के लिए वरदान बना विपक्ष का झगड़ा
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी भले दावा कर रहे हों कि “सीट बंटवारा लगभग तय है और भ्रम जल्द खत्म होगा,” लेकिन ज़मीनी हालात कुछ और ही कहते हैं. एनडीए ने पहले ही अपना फॉर्मूला फाइनल कर लिया है- बीजेपी 101, जेडीयू 101, एलजेपी (रामविलास) 29 और हम-आरएलएम 6-6 सीटों पर मैदान में हैं. महागठबंधन की फूट से भाजपा नेताओं के चेहरे खिल गए हैं. एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, 'जहां वो लड़ रहे हैं, वहां हम सिर्फ देख रहे हैं.'
नाम वापसी से पहले फंसा मामला
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर 21 अक्टूबर तक कोई नाम वापस नहीं हुआ, तो यह 'फ्रेंडली फाइट' एनडीए के लिए सीधा बोनस साबित होगी. 2020 की तरह इस बार भी महागठबंधन आखिरी वक्त में तालमेल बैठाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन देरी ने वोटर को कन्फ्यूज कर दिया है. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा और भूपेश बघेल का दावा है कि “नाम वापसी तक सब सुलझ जाएगा,” मगर जमीनी समीकरण कुछ और कहानी कह रहे हैं.
महागठबंधन बना ‘महासंकटबंधन’
पहले चरण के नामांकन के साथ ही महागठबंधन की अंदरूनी फूट अब खुले मंच पर आ चुकी है. जहां एनडीए एकजुट होकर मैदान में उतर चुका है, वहीं विपक्षी खेमे में अब भी कुर्सियों और सीटों की खींचतान जारी है. अब निगाहें 21 अक्टूबर पर टिकी हैं- जब यह तय होगा कि क्या महागठबंधन आखिरी वक्त तक एकजुट रह पाएगा, या ये “फ्रेंडली फाइट” एनडीए के लिए दिवाली का तोहफा बन जाएगी.