क्या बिहार में 'इंडस्ट्री' की बात करने पर गड़बड़ा जाता है मंत्री का फ्यूचर, नीतीश मिश्रा को कैबिनेट में जगह न मिलने पर बवाल क्यों?
बिहार कैबिनेट में नीतीश मिश्रा को जगह न मिलने के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. लोग इसके लिए नीतीश कुमार और बीजेपी नेतृत्व को जमकर कोस रहे हैं. सवाल उठा रहे हैं कि बिहार में इंडस्ट्री की बात करने वाले मंत्रियों का राजनीतिक भविष्य क्यों लड़खड़ाता है? जानते हैं पूरा मामला और इसके सियासी संकेत?;
बिहार में नई कैबिनेट बनते ही सबसे ज्यादा चर्चा जिस नाम को लेकर है, वह हैं पूर्व उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा. मिश्रा को इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली. उसके बाद से सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. लोग पूछ रहे हैं . क्यों बिहार में इंडस्ट्री की बात करना मंत्रियों के लिए राजनीतिक जोखिम बन जाता है? बीते वर्षों के रुझान भी बताते हैं कि जब-जब किसी मंत्री ने राज्य में बड़े निवेश, औद्योगिक ढांचा और रोजगार पर खुलकर बोलना शुरू किया, उसकी कुर्सी डगमगा गई. नीतीश मिश्रा का बाहर होना उसी पैटर्न को मजबूत करता दिखा. इससे पहले शाहनवाज हुसैन के साथ भी यही हुआ था.
मंत्री न बनाने के लॉजिक पर सवाल?
पूर्व इंडस्ट्री मिनिस्टर नीतीश मिश्रा को नीतीश कैबिनेट में जगह न मिलने से गुस्सा भड़क गया क्योंकि लोगों ने नीतीश मिश्रा को एक काबिल मंत्री कहा उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में इंडस्ट्री-लेस राज्य में इंडस्ट्री लाने के लिए कड़ी मेहनत की थी. इसका असर भी दिखा. निवेश होने का सिलसिला शुरू हो गया था. कई लोग नीतीश मिश्रा के ट्रैक रिकॉर्ड और बिहार के इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट की स्थिति को देखते हुए उन्हें मंत्रालय से हटाने के पीछे के लॉजिक पर सवाल उठा रहे हैं?
NDA सरकार का नेतृत्व कर रहे नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दूसरे राज्यों के CM और कई बड़े नेताओं की मौजूदगी में एक समारोह में 26 मंत्रियों के साथ शपथ ली. लेकिन नीतीश मिश्रा, जो पहले इंडस्ट्री पोर्टफोलियो संभालते थे और उन्हें भारत के सबसे आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों में से एक में इन्वेस्टमेंट लाने की कोशिशों में अहम माना जाता था, उन्हें नए मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिली.
इससे पहले पूर्व लोकसभा सदस्य सैयद शाहनवाज हुसैन, जिनके पास पहले राज्य में इंडस्ट्रीज का पोर्टफोलियो था, ने भी बिहार में इन्वेस्टर्स को आकर्षित करके मंत्री के तौर पर अच्छे नतीजे दिए थे, फिर भी, उन्हें पद से हटा दिया गया था.
क्या अपशगुन है इंडस्ट्री विभाग?
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेश्वर अपने एक्स पोस्ट में निराशा भरे स्वर में कहा, 'ये बहुत ही जरूरी विभाग बहुत ही अपशकुन साबित हो रहा अपने मंत्रियों के लिए. जो इस विभाग का मंत्री बनता है, उसका भविष्य गड़बड़ा जा रहा है.'
बीजेपी नेतृत्व का फैसला हास्यास्पद
द सोशल साइंटिस्ट@socially321 नामक यूजर ने लिखा है कि इतने प्रचंड बहुमत के बाद बिहार को भाजपा ने जैसा कैबिनेट दिया है, वह हास्यास्पद ही कहा जाएगा. नीतीश मिश्रा, शाहनवाज हुसैन, इन दोनों मंत्रियों ने इंडस्ट्री डिपार्टमेंट में बढ़िया काम किया था पर कोई स्थान नहीं प्राप्त हुआ. वहीं मांझी, कुशवाहा का परिवार सत्ता में है.
बाहरी लॉबी का खेल
मोहम्मद फैज अशरफ @faizashraf99 का कहना है कि नीतीश मिश्रा का कार्य बिहार को हमेशा प्रभावशाली लगा है. उन्हें उद्योग मंत्रालय न मिलना यह संकेत देता है कि शायद निर्णय पर किसी बाहरी लॉबी का प्रभाव हो, जो प्रदेश में उद्योगों का विकास होते नहीं देखना चाहता है.
स्टैंड साफ करे सरकार
Satya एकंगर मगही @EkangarMagahi के मुताबिक नीतीश मिश्रा जी का नाम क्यों नहीं है मंत्री वाले लिस्ट में? आज जितने लोग भी शपथ ग्रहण ले रहे हैं, उसमें नीतीश मिश्रा जी का नाम न देखकर मुझे आश्चर्य हुआ है. जहां तक मेरी जानकारी है नीतीश मिश्रा ने काफी अच्छा काम किया था. यह जानना जरूरी है कि वह कौन से कारण है जिसके तहत नीतीश मिश्रा जी को पदच्युत कर दिया गया है. या फिर अगर आने वाले समय में मंत्रिमंडल विस्तार में उनका नाम आएगा तो यह भी जानकारी आम जनता तक आनी चाहिए.
ऐसा उस समय हुआ है, जब बिहार में इंडस्ट्री को लाने की बात हो रही है. सोशल मीडिया यूजर्स ने मिश्रा के ट्रैक रिकॉर्ड की ओर इशारा करते हुए निराशा जताई. मिश्रा ने बेरोजगारी की समस्या के बारे में बात की थी जो दशकों से बिहार को परेशान कर रही है. वह एक ऐसे राज्य में इंडस्ट्रियल ग्रोथ के लिए भी जोर दे रहे थे, जहां से मजदूर कई मुश्किलों के बीच भारत के सभी हिस्सों में जाते हैं.
बिहार पर फोकस करने वाले एक पॉपुलर पेज ने भी एक तंजिया पोस्ट में कहा, "नाम: नीतीश मिश्रा। क्राइम: अनपढ़ लोगों में सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा होना. इसलिए, उन्हें बिहार मिनिस्ट्री पोर्टफोलियो से इग्नोर किया गया."
सोशल मीडिया पर यह गुस्सा बिहार में इंडस्ट्रियल ठहराव और नौकरियों के लिए माइग्रेशन की ज्यादा दर को लेकर लोगों की चिंता दिखाता है. कई लोगों ने मिश्रा को न शामिल करने को बिहार में डेवलपमेंट और रोजगार के मौके लाने की कोशिशों के लिए एक झटका माना है.
कौन हैं नीतीश मिश्रा?
वह बिहार के तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री जगन्नाथ मिश्रा के बेटे और दिवंगत केंद्रीय मंत्री ललित नारायण मिश्रा के भतीजे हैं. मिश्रा के पास भारत और नीदरलैंड के संस्थानों से MBA, UK की यूनिवर्सिटी ऑफ़ हल से ग्लोबल पॉलिटिकल इकोनॉमी में PG डिप्लोमा है, और उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के कैनेडी स्कूल से एग्जीक्यूटिव लीडरशिप की डिग्री भी है.
राजनीति में आने से पहले, उन्होंने शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रों में काम किया. वह बिहार स्थित एक आर्थिक रिसर्च संगठन में असिस्टेंट डायरेक्टर थे और बाद में मुजफ्फरपुर के एक मैनेजमेंट कॉलेज में एडमिनिस्ट्रेटिव भूमिकाओं में काम किया. मिश्रा ने 2005 से 2015 तक बिहार सरकार में कई मंत्री पदों पर काम किया, जिसमें ग्रामीण विकास, सामाजिक कल्याण, आपदा प्रबंधन – स्वतंत्र प्रभार वाले MoS के रूप में, और गन्ना उद्योग – स्वतंत्र प्रभार वाले MoS भी शामिल हैं. वह BJP की बिहार यूनिट में वाइस-प्रेसिडेंट का पद भी संभाल चुके हैं.