गोली मार दूंगा... समीक्षा बैठक में आपस में भिड़े कांग्रेस नेता, बिहार चुनाव में शर्मनाक हार के क्या रहे बड़े कारण?
बिहार चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस की दिल्ली बैठक शुरू होने से पहले ही दो नेताओं संजीव सिंह और जितेंद्र यादव के बीच तीखी बहस गाली-गलौज में बदल गई. संजीव सिंह पर “गोली मार दूंगा” कहने का आरोप लगाया गया, जिसे उन्होंने नकारा. राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे इसके बाद नाराज दिखे और बैठक में दस–दस के समूहों में उम्मीदवारों से फीडबैक लिया. कई नेताओं ने टिकट वितरण, देरी, आंतरिक कलह और वोट चोरी को हार की बड़ी वजह बताया.;
बिहार चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने जब समीक्षा के लिए दिल्ली में उम्मीदवारों और पदाधिकारियों को बुलाया, तो उम्मीद थी कि बैठक में हार के कारणों पर शांति से चर्चा होगी. लेकिन समीक्षा शुरू होने से पहले ही पार्टी मुख्यालय में ऐसा बवाल मचा, जिसने कांग्रेस की अंदरूनी फूट को एक बार फिर उजागर कर दिया. गाली–गलौज, आरोप–प्रत्यारोप और यहां तक कि “गोली मार दूंगा” जैसी धमकी तक… ये सब कुछ कांग्रेस की रणनीति बैठक के भीतर हुआ, वो भी उस समय जब राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे महज कुछ मिनट बाद प्रवेश करने वाले थे.
यह विवाद कांग्रेस की उस आंतरिक लड़ाई की निशानी बन गया, जो विधानसभा चुनावों से लेकर टिकट वितरण तक हर स्तर पर दिख रही थी. पार्टी लगातार यह दावा करती रही कि हार पर गंभीर मंथन होगा, लेकिन जिस तरह से दो नेताओं में झगड़ा हिंसा की धमकी तक पहुँच गया, उसने यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या कांग्रेस खुद अपनी व्यवस्थाओं को नियंत्रित करने की स्थिति में भी है?
समीक्षा बैठक से पहले ‘इंदिरा भवन’ में हंगामा
सूत्रों के मुताबिक, सभी उम्मीदवार समय से पहले दिल्ली स्थित इंदिरा भवन में जमा हो गए थे और राहुल–खरगे के आने का इंतजार कर रहे थे. इसी बीच वैशाली से उम्मीदवार रहे संजीव सिंह ने टिकट वितरण पर सवाल उठाते हुए कहा कि “बाहरी लोगों को टिकट देकर पार्टी ने गलती की है.” यह टिप्पणी सीधे पूर्णिया से नए उम्मीदवार बने जितेंद्र यादव पर निशाना मानी गई.
बहस से गाली–गलौज और गोली की धमकी तक
जितेंद्र यादव ने संजीव सिंह के आरोपों पर आपत्ति जताई तो माहौल बिगड़ गया. संजीव सिंह ने कहा कि वह 20 साल से पार्टी में हैं लेकिन यादव को वह पहचानते तक नहीं. आरोप–प्रत्यारोप की यह बहस अचानक गाली–गलौज में बदल गई और फिर संजीव सिंह ने हाथ के इशारे के साथ कहा, “मुंह बंद रखो, नहीं तो गोली मार दूंगा.” यह पल कुछ ही सेकंड में पूरे मुख्यालय में तनाव फैला गया.
वरिष्ठ नेता बीच में कूदे, लेकिन शर्मिंदगी बच न सकी
स्थिति बिगड़ती देखकर अन्य नेताओं ने दोनों को अलग किया. लेकिन जब राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को इस घटना की जानकारी मिली, तो वे काफी नाराज़ हुए. बैठक को जारी रखा गया, लेकिन माहौल पहले ही तनावपूर्ण हो चुका था.
सब कुछ कैमरे के सामने हुआ: जितेंद्र यादव
जितेंद्र यादव ने यह स्वीकार किया कि संजीव सिंह ने उन्हें गोली मारने की धमकी दी थी. हालांकि संजीव सिंह ने इसे पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि आरोप “मनगढ़ंत” हैं. कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने भी विवाद को टालने की कोशिश करते हुए कहा कि “मेरे सामने ऐसा कुछ नहीं हुआ.”
बैठक में हार के कारणों पर भी खूब उंगली उठी
बैठक में कई उम्मीदवारों ने कहा...
- एनडीए सरकार की ₹10,000 वाली योजना ने बड़ा असर डाला
- महागठबंधन में सीट बंटवारे में देरी हुई
- कांग्रेस की आंतरिक कलह उम्मीदवारों को बांटती रही
- और कई जगह वोट चोरी की घटनाएं सामने आईं
- राहुल गांधी ने माना कि रणनीति में कई कमियां रहीं
टिकट वितरण से लेकर चुनाव तक, हर जगह विद्रोह
चुनाव के दौरान ही कांग्रेस में बगावत हो चुकी थी. कई नेताओं ने प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष के ख़िलाफ़ धरना दिया था. हार के बाद समीक्षा बैठक तक यह अंदरूनी लड़ाई पहुंच गई और अब "गोली–गाली" वाली घटना इस कलह का प्रतीक बनकर चर्चा में है.
जनादेश असली नहीं था: कांग्रेस
चार घंटे की लंबी बैठक के बाद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि “यह चुनाव वास्तविक जनादेश नहीं था, बल्कि पूरी तरह प्रभावित परिणाम था.” लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच जो भिड़ंत हुई, उसने सवाल उठाए हैं. क्या कांग्रेस अपनी ही टीम को संभालने में सक्षम है, जबकि वह जनता का विश्वास जीतने का दावा करती है?