बिहार की राजनीति में हर दौर में दिखा दबदबा! जानिए 5 सबसे ताकतवर राजपूत नेता कौन
राजपूत समुदाय के लोग एक दौर में बिहार की सियासत के सबसे ताकतवर कास्ट ब्लॉक माने जाते थे. सत्ता की चाभी उन्हीं के हाथों में हुआ करती थी, लेकिन आज की तस्वीर कुछ और है. आरजेडी के कार्यकाल के दौरान राजपूतों को पकड़ प्रदेश की राजनीति में काफी मजबूत थी. वर्तमान में राजपूतों की स्थिति पहले जैसी नहीं है. इसके बावजूद नीतीश सरकार में 4 राजपूत मंत्री हैं.;
बिहार की राजनीति में कभी विधानसभा की कुर्सियों से लेकर मंत्री पद तक, हर जगह राजपूत नेताओं की तूती बोलती थी. लालू युग से पहले तक राजपूत नेता बिहार की सत्ता की धुरी माने जाते थे. वक्त ने करवट ली और नए राजनीतिक समीकरण बने, लेकिन इतिहास गवाह है कि ये नेता ना सिर्फ कद्दावर थे, बल्कि जनता के बीच भी उनकी गहरी पकड़ थी. इस रिपोर्ट में जानिए बिहार के टॉप 5 राजपूत नेताओं के नाम जिनका जलवा आज भी चर्चा में रहता है.
1. आनंद मोहन सिंह
बिहार की राजनीति में 'शेर-ए-बिहार' कहे जाने वाले आनंद मोहन सिंह एक करिश्माई और विवादास्पद राजपूत नेता रहे हैं. समाजवादी विचारधारा से शुरुआत करने वाले आनंद मोहन ने समता पार्टी और बाद में अपनी खुद की पार्टी ‘बिहार पीपुल्स पार्टी’ बनाई. 90 के दशक में उनकी राजनीतिक पकड़ मजबूत थी, लेकिन गंगा किनारे डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें उम्रकैद की सजा हुई. हालांकि, 2023 में उन्हें जेल से रिहा किया गया, जिससे एक बार फिर उनकी राजनीतिक वापसी की चर्चा जारी है.
2. प्रभुनाथ सिंह
सारण के छपरा से ताल्लुक रखने वाले प्रभुनाथ सिंह को बिहार की राजनीति में ‘बाहुबली’ की पहचान मिली. एक जमाने में जनता दल के मजबूत नेता रहे प्रभुनाथ बाद में आरजेडी और जेडीयू दोनों से जुड़े. वे कई बार सांसद रहे और अपनी दबंग छवि के लिए मशहूर रहे. उन पर कई आपराधिक मुकदमे रहे हैं और फिलहाल वे हत्या के एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. बावजूद इसके क्षेत्र में उनका राजनीतिक असर अब भी बरकरार है.
3. जगदानंद सिंह
आरजेडी के वरिष्ठ नेता और लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले जगदानंद सिंह बिहार के बक्सर जिले से आते हैं. वे एक सधे हुए रणनीतिकार और संगठनकर्ता माने जाते हैं. जगदानंद सिंह ने लोकसभा सदस्य के रूप में भी सेवा दी है. साल 2019 के बाद से वे राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष हैं. तेजस्वी यादव को मजबूत करने और पार्टी में अनुशासन लाने में उनकी भूमिका अहम रही है. वे अपने सख्त फैसलों के लिए जाने जाते हैं.
4. राजीव प्रताप रूडी
भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख चेहरे और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी बिहार के छपरा से आते हैं. पेशे से पायलट रहे रूडी पढ़ाई-लिखाई और भाषा शैली के कारण पार्टी के सबसे पढ़े-लिखे नेताओं में गिने जाते हैं. वे 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे और बाद में मोदी सरकार में भी स्किल डेवलपमेंट मंत्रालय संभाला. पार्टी के मॉडर्न और टेक्नोक्रेटिक चेहरे के रूप में उनकी अलग पहचान है.
5. नरेंद्र सिंह
बिहार की राजनीति में नरेंद्र सिंह एक वरिष्ठ राजपूत नेता हैं, जिन्होंने कृषि मंत्री के रूप में काम किया. वे जेडीयू और आरजेडी दोनों के साथ काम कर चुके हैं, लेकिन अपनी स्वतंत्र और बेलौस राय के लिए चर्चित रहे. उनके बेटे सुमित सिंह भी अब बिहार राजनीति में सक्रिय हैं. नरेंद्र सिंह उन गिने-चुने नेताओं में रहे उन्होंने जातीय जनाधार को राजनीति में अच्छे से भुनाया, लेकिन हमेशा सत्ता के आगे झुकने से परहेज किया.
कब-कब रहा राजपूतों का दबदबा
साल 2014 से पहले तक राजपूत समुदाय आरजेडी के साथ रहा है. फिलहाल बिहार में राजपूत समुदाय बीजेपी के कोर वोटर बन गए हैं. आजादी के बाद से बिहार में कई बड़े राजपूत नेताओं का राजनीतिक दबदबा रहा है. बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह थे. 1969 में कांग्रेस के राजपूत नेता हरिहर सिंह चार महीने के लिए सीएम बने थे. 1983 से 1985 तक एक और राजपूत नेता चंद्रशेखर सिंह कांग्रेस के सीएम रहे.
साल 2020 में 28 राजपूत बने विधायक
बिहार के 2020 के विधानसभा चुनाव में कुल 28 राजपूत विधायक जीते थे, जिनमें बीजेपी से 15, जेडीयू से 2, आरजेडी से 7, कांग्रेस से एक, वीआईपी से दो और एक निर्दलीय शामिल था. वीआईपी से जीतने वाले दोनों विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया. इस तरह बीजेपी के पास 17 राजपूत विधायक हो गए. साल 2015 में 20 राजपूत विधायक जीते थे. मतलब पिछली बार के मुकाबले 2020 में 8 अधिक राजपूत विधायक विधानसभा पहुंचे थे.
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में 4 राजपूत मंत्री हैं, जिसमें 2 बीजेपी कोटे से, एक जेडीयू से और एक निर्दलीय शामिल हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार से 6 राजपूत सांसद हैं, जिसमें 3 बीजेपी से और एक जेडीयू, एक एलजेपी (रामविलास) और एक आरजेडी से हैं. देखना होगा कि राजपूत समाज 2025 के विधानसभा चुनाव में किस पार्टी के साथ खड़ा नजर आता है.