पिताजी को 10वीं बार शपथ पर बधाई... बेटे ने छुए नीतीश कुमार के पैर, पिता ने प्यार से लगाया गले, जानें जीत पर क्या बोले निशांत

बिहार की सियासत नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. पटना के गांधी मैदान में आयोजित इस भव्य समारोह में नेताओं, मंत्रियों और समर्थकों की भीड़ तो थी, लेकिन सबसे ज्यादा नजरें जिस शख्स पर टिक गईं, वह थे उनके बेटे निशांत कुमार. पिता की जीत पर निशांत ने मीडिया से बातचीत की.;

( Image Source:  instagram-@statemirrordigital )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 20 Nov 2025 6:11 PM IST

पटना के गांधी मैदान में आज इतिहास दोहराया जा रहा था. भीड़ उमड़ी हुई थी, मंच चमक रहा था, और एनडीए के बड़े चेहरे एक-एक कर सीटें संभाल रहे थे. इसी बीच पहली लाइन में बैठा एक चेहरा अचानक सभी कैमरों का ध्यान खींच लेता है. वह कोई और नहीं बल्कि नीतीश कुमार के इकलौते बेटे निशांत कुमार थे. 

यह वही निशांत हैं, जिन्हें बिहार की राजनीति में अक्सर 'रहस्यमयी उपस्थिति' कहा जाता है, न कोई राजनीतिक भूमिका, न चर्चाओं में दिलचस्पी, फिर भी आज वे अपने पिता के ऐतिहासिक 10वीं बार मुख्यमंत्री बनने के पल के साक्षी थे. इतना ही नहीं, उन्होंने अपने पिता के पैर छूए, लेकिन नीतीश कुमार ने उन्हें पैर छूने से रोका और प्यार से गले लगाया. पिता की इस जीत पर निशांत ने पहली बार खुलकर बात की है.

'मैं पिताजी को धन्यवाद देता हूं'

निशांत शायद ही कभी मीडिया से बात करते हैं, लेकिन इस मौके ने उन्हें भी खुलकर बोलने पर मजबूर कर दिया. एनडीटीवी से बातचीत में वे मुस्कुरा कर कहते हैं कि 'मैं पिता जी को 10वीं बार शपथ लेने पर बधाई देता हूं. यह सब जनता के विश्वास की वजह से संभव हुआ है. मैं भगवान का भी धन्यवाद करता हूं.'

महिलाओं के योगदान को बताया अहम

इस बार के विधानसभा चुनाव ने जेडीयू-बीजेपी गठबंधन को बड़ी जीत दिलाई. कुल 202 सीटों में से जेडीयू को 85 और बीजेपी को 89 सीटें मिलीं. निशांत ने महिलाओं के योगदान को भी बेहद अहम बताया. उनके अनुसार, पिछले 20 सालों में महिला सशक्तिकरण पर किए गए कामों ने चुनाव में बड़ा असर डाला है. यही वजह है कि महिलाओं ने बड़ी संख्या में एनडीए के पक्ष में मतदान किया और इस जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

कौन हैं निशांत?

निशांत वो नाम हैं जो बिहार की राजनीति में एक अपवाद की तरह हैं. जहां बड़े नेता अपने बच्चों को अगला वारिस बनाते हैं, वहीं निशांत सालों तक इससे दूर रहे. BIT मेसरा से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, और कहते रहे कि राजनीति में दिलचस्पी नहीं. मेरी राह अध्यात्म की है. लेकिन पिछले कुछ महीनों से वे कई बड़े आयोजनों में अपने पिता के साथ दिखने लगे हैं. पार्टी की बैठकों में भी उनका आना-जाना बढ़ गया है. जब उनसे पूछा गया कि क्या वे राजनीति में कदम रखेंगे, तो उन्होंने सिर्फ हल्की-सी मुस्कान दी, एक ऐसी मुस्कान, जिसने अटकलों को और हवा दे दी.

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