चिराग पासवान के बयान से एनडीए में बढ़ी बेचैनी, 'बिहार फर्स्ट' एजेंडे का असली मतलब क्या है?

चिराग पासवान के 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' नारे और 'बिहार मुझे बुला रहा है' बयान ने आगामी विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए में हलचल मचा दी है. चिराग की सीएम पद में रुचि और बिहार केंद्रित रणनीति को लेकर सहयोगी दलों में चिंता बढ़ रही है. भाजपा और जेडीयू इसे सीट बंटवारे में दबाव की रणनीति मान रही है.;

Curated By :  नवनीत कुमार
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लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ नारे ने एक बार फिर राज्य की राजनीति को गर्मा दिया है. हालांकि इसे महज़ एक चुनावी नारा मान लेना भूल होगी. चिराग का यह नारा दरअसल उनके राजनीतिक भविष्य की एक लंबी रणनीति का हिस्सा लगता है, जहां वे खुद को एक क्षेत्रीय नेतृत्व के रूप में स्थापित करना चाहते हैं. ठीक वैसे ही जैसे उनके पिता रामविलास पासवान ने किया था.

हाल के इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “मेरा राज्य मुझे बुला रहा है.” यह वाक्य किसी साधारण भावना की अभिव्यक्ति नहीं बल्कि एक स्पष्ट राजनीतिक संकेत है कि वे अब अपनी पार्टी को दिल्ली से निकाल कर बिहार में पुनर्स्थापित करना चाहते हैं. उनके करीबी और सांसद अरुण भारती ने भी इसी ओर इशारा किया कि पार्टी कार्यकर्ता चाहते हैं कि चिराग विधानसभा चुनाव लड़ें और बड़ी ज़िम्मेदारी उठाएं.

एनडीए के भीतर है तनाव?

हालांकि चिराग की यह महत्वाकांक्षा एनडीए के भीतर तनाव का कारण बनती दिख रही है. भाजपा और जेडी(यू) दोनों को इस बात की चिंता है कि कहीं 2020 की तरह चिराग की अलग लाइन फिर गठबंधन के भीतर दरार न ला दे. पिछली बार जेडी(यू) को नुकसान और भाजपा को लाभ हुआ था. लेकिन अब जब चिराग खुद केंद्र में मंत्री हैं और पूरी ताकत से लौटे हैं, तो उनके कदमों की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

ज्यादा सीट की मांग

एलजेपी (आरवी) के एक नेता ने बताया कि चिराग का 'बिहार फर्स्ट' जोर, आगामी विधानसभा चुनाव में अधिक सीटों की मांग के लिए दबाव की रणनीति है. लेकिन अंदरखाने से यह भी संकेत मिल रहे हैं कि चिराग फिलहाल खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे, बल्कि 2030 के लिए अपनी ज़मीन तैयार कर रहे हैं. यह दीर्घकालीन सोच न केवल उन्हें जेडी(यू) के बाद एनडीए के सबसे प्रभावशाली बिहार नेता के रूप में स्थापित कर सकती है, बल्कि भाजपा के लिए भी एक विकल्प के रूप में उभर सकती है.

होंगे सीएम उम्मीदवार?

2020 में एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ना और 2024 में ज़ोरदार वापसी करना, यह दिखाता है कि चिराग अब केवल रामविलास पासवान के बेटे नहीं हैं, बल्कि अपने बूते राजनीतिक अस्तित्व साबित कर चुके हैं. वे यह दिखाना चाहते हैं कि अब वे सिर्फ़ ‘बिगाड़ने’ वाले नहीं, बल्कि ‘बनाने’ वाले भी हैं. शायद किसी दिन बिहार के मुख्यमंत्री पद के गंभीर दावेदार भी होंगे.

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