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कौन थे मासूम शाह मियां, जिनकी उत्तराखंड में 100 साल पुरानी मजार पर चला बुल्डोजर

उत्तराखंड में धामी सरकार का बुलडोजर एक्शन एक बार फिर देखने को मिला. सुबह करीब 4 बजे उधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर स्थित इंदिरा चौक पर बनी मासूम शाह मियां की मजार को जिला प्रशासन और पुलिस बल की मौजूदगी में गिरा दिया गया. यह मजार वक्फ बोर्ड में पंजीकृत थी.

कौन थे मासूम शाह मियां, जिनकी उत्तराखंड में 100 साल पुरानी मजार पर चला बुल्डोजर
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( Image Source:  x-farookahmed001 )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 22 April 2025 1:46 PM IST

उत्तराखंड की धामी सरकार का बुलडोजर अभियान थमने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा मामला उधम सिंह नगर जिले से सामने आया है, जहां मंगलवार की सुबह प्रशासन ने भारी पुलिस बल की मौजूदगी में एक पुरानी मजार को ध्वस्त कर दिया. यह मजार मासूम शाह मियां की बताई जा रही है, जो लगभग 100 साल पुरानी थी.

संभावित विरोध को ध्यान में रखते हुए इलाके में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है. फिलहाल किसी तरह के विरोध प्रदर्शन की सूचना नहीं मिली है. ऐसे में चलिए जानते हैं आखिर सरकार ने यह एक्शन क्यों लिया और कौन थे मासूम शाह मियां.

सुबह 4 बजे चला बुल्डोजर

उत्तराखंड में धामी सरकार का बुलडोजर एक्शन एक बार फिर देखने को मिला. सुबह करीब 4 बजे उधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर स्थित इंदिरा चौक पर बनी मासूम शाह मियां की मजार को जिला प्रशासन और पुलिस बल की मौजूदगी में गिरा दिया गया. यह मजार वक्फ बोर्ड में पंजीकृत थी.

क्यों लिया गया एक्शन?

प्रशासन का कहना है कि यह मजार नेशनल हाईवे को चौड़ी करने में बाधा बन रही थी. सरकार 4 लेन हाईवे को चौड़ा कर 6 लेन बनाने का काम कर रही है. इसके चलते ट्रैफिक की समस्या कम होगी.

कौन थे मासूम शाह मियां

मीर मुहम्मद मासूम शाह बखरी जिन्हें सैयद निज़ामुद्दीन मीर मुहम्मद मासूम शाह के नाम से भी जाना जाता है. वह 16वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध सिंधी मुस्लिम इतिहासकार थे. उनका संबंध बखर, सिंध (जो अब आधुनिक पाकिस्तान में स्थित है) से था.

लिखा था तारीख-ए-सिंध

मासूम शाह मियां विशेष रूप से सिंध के इतिहास पर आधारित ग्रंथ "तारीख-ए-सिंध" के लिए जाने जाते हैं. यह ऐतिहासिक किताब लगभग 1600 ईस्वी में प्रकाशित हुई थी और उस काल की सामाजिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक परिस्थितियों का महत्वपूर्ण दस्तावेज मानी जाती है.

कुशल सैन्य अधिकारी थे मासूम शाह मियां

इतिहासकार होने के साथ-साथ मीर मासूम शाह एक कुशल सैन्य अधिकारी भी थे. वे मुगल सम्राट अकबर के विश्वासपात्र लेफ्टिनेंट थे. लगभग 1595 में उन्होंने क्वेटा के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में स्थित पन्नी अफगानों के गढ़ सिबी के खिलाफ अकबर की सेना का नेतृत्व किया. इस सफल अभियान के परिणामस्वरूप बलूचिस्तान को मुगल साम्राज्य में शामिल कर लिया गया. इसके कुछ वर्षों बाद 1598 में सम्राट अकबर ने उन्हें सिंध और सिबी का गवर्नर नियुक्त किया.

उत्तराखंड न्‍यूज
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