भाई की हत्या ने बनाया गैंगस्टर, एक 'बड़े सरकार' के नाम से रहे मशहूर - बाहुबली अनंत सिंह की फैमिली हिस्ट्री
1989 में मंत्रीजी के द्वारा की गई अपमानजनक बात दिलीप सिंह को भीतर तक झकझोर गई. उन्होंने 1990 के विधानसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर श्याम सुंदर सिंह 'धीरज' के खिलाफ मैदान में उतरने का फैसला किया. नतीजा यह हुआ कि दिलीप सिंह ने मंत्रीजी को करारी शिकस्त दी. इस जीत के बाद, दिलीप सिंह ने अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत कर ली.;
बाहुबली और पूर्व विधायक अनंत सिंह पर मोकामा में फायरिंग हुई और वो बाल बल बच गए. इसके बाद उनपर भी मुकदमा दर्ज हुआ. उन्होंने बाढ़ कोर्ट में सरेंडर कर दिया है. अब इस घटना के बाद उनके परिवार की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है. बताया जाता है कि वह चार भाई बिरंची सिंह, फाजो सिंह, दिलीप सिंह और अनंत सिंह थे. उनके भाई दिलीप सिंह को बड़े सरकार कहा जाता था. उनके भाई बिरंची सिंह और फाजो सिंह की हत्या की गई थी. वहीं, बड़े सरकार का निधन हो गया था. आइए जानते हैं कि क्या है उनके परिवार की कहानी.
यह कहानी 90 के दशक के शुरुआती दौर से पहले की है. पटना जिले में गंगा किनारे बसा एक कस्बा है मोकामा. उस वक्त यहां के कांग्रेस विधायक थे श्याम सुंदर सिंह 'धीरज', जिनका इलाके में खासा दबदबा था. अपने प्रभाव को कायम रखने के लिए उन्होंने दबंगों का सहारा लिया, जो चुनाव के दिन सुबह-सुबह बूथ कैप्चरिंग का काम करते थे. धीरे-धीरे श्याम सुंदर सिंह 'धीरज' बिहार सरकार में मंत्री बन गए और उनकी ताकत और बढ़ गई.
मंत्री बनने के बाद एक दिन एक व्यक्ति उनसे पटना के सरकारी आवास में मिलने गया. मंत्रीजी ने उसे देखते ही कहा, "दिन में मिलने मत आया करो. तुम शाम को आना, वो भी चुपके-चुपके." ये बात उस व्यक्ति के दिल को चुभ गई. वह व्यक्ति और कोई नहीं, बल्कि खुद दिलीप सिंह था. वही बाहुबली जो मंत्रीजी के लिए बूथ कैप्चरिंग करता था. इस अपमान के बाद, दिलीप सिंह ने अगले विधानसभा चुनावों में मंत्रीजी के खिलाफ खड़ा होने का फैसला किया.
दिलीप सिंह थे बड़े सरकार
इस कहानी की शुरुआत दिलीप सिंह के गांव लदमा से होती है, जो बाढ़ स्टेशन से थोड़ी दूरी पर स्थित है. यहां दो अगड़ी जातियों राजपूत और भूमिहार के बीच संघर्ष का इतिहास रहा है. दिलीप सिंह का परिवार इसी गांव से ताल्लुक रखता था. उनके पिता कम्युनिस्टों के समर्थक थे और उनके चार बेटे थे. बिरंची सिंह, फाजो सिंह, दिलीप सिंह, और सबसे छोटे अनंत सिंह. इस संघर्ष ने दिलीप सिंह को दबंगई के रास्ते पर ला खड़ा किया. दिलीप सिंह को प्यार से लोग बड़े सरकार कहते थे.
कामदेव की जगह ली कुर्सी
80 के दशक में, बिहार के मध्य क्षेत्र में कामदेव सिंह नाम का एक तस्कर सक्रिय था. दिलीप सिंह ने उसकी संगत पकड़ी और उसके दाहिने हाथ बन गए. कामदेव हर तरह की तस्करी करता था, लेकिन दिलीप सिंह ने केवल हथियार और जमीन कब्जाने के काम में दिलचस्पी दिखाई. धीरे-धीरे उनकी दबंगई बढ़ती गई. जब कामदेव सिंह की हत्या हुई, तो दिलीप सिंह ने उसका स्थान ले लिया. कांग्रेस विधायक श्याम सुंदर सिंह 'धीरज' ने उनकी ताकत का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए किया. वे लगातार दो बार 1980 और 1990 के बीच मोकामा से विधायक बने, लेकिन उनकी सफलता के पीछे दिलीप सिंह की बूथ कैप्चरिंग की अहम भूमिका थी.
सूरजभान ने ढहा दी थी किला
1989 में मंत्रीजी के द्वारा की गई अपमानजनक बात दिलीप सिंह को भीतर तक झकझोर गई. उन्होंने 1990 के विधानसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर श्याम सुंदर सिंह 'धीरज' के खिलाफ मैदान में उतरने का फैसला किया. नतीजा यह हुआ कि दिलीप सिंह ने मंत्रीजी को करारी शिकस्त दी. इस जीत के बाद, दिलीप सिंह ने अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत कर ली. 1995 में भी उन्होंने श्याम सुंदर को हराया. लेकिन तभी मोकामा में एक और बाहुबली का उदय हो रहा था सूरजभान सिंह. साल 2000 के चुनाव में सूरजभान ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दिलीप सिंह को 70,000 वोटों के अंतर से हरा दिया. इसके बाद दिलीप सिंह धीरे-धीरे राजनीति से दूर होते गए. 2003 में वे विधान परिषद के सदस्य बने, लेकिन उनका राजनीतिक करियर ढलान पर था. अंततः अक्टूबर 2006 में दिलीप सिंह का पटना में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया.
फाजो सिंह की हत्या
साल था 2008 और माह था दिसंबर, अनंत सिंह के बड़े भाई फाजो सिंह जो पेशे से वकील थे. पटना के महादेव शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के बाहर चार लोगों ने सरेआम गोली मारकर उनकी त्या कर दी. इस हमले में उनके ड्राइवर अवधेश सिंह की भी मौत हो गई थी. इसमें विवेका पहलवान का नाम आया था जो इनके गोतिया यानी खानदान के ही हैं.
बिरंची सिंह की हत्या
अनंत सिंह का दुनियादारी से मन उचट गया. वह साधु बनने के लिए अयोध्या और हरिद्वार घूम ही रहे थे. तभी पता चला कि उनके सबसे बड़े भाई बिरंची सिंह की हत्या हो गई. ये सुनते ही उनपर बदला लेने का भूत सवार हो गया. वे भाई के हत्यारे को लगातार ढूंढ रहे थे. एक दिन पता चला कि हत्यारा एक नदी के पास बैठा है. वह नदी पार कर उस पार पहुंचे और बदला लिया. कहा जाता है कि अनंत सिंह ने ईंट पत्थर से ही कुचलकर अपने भाई के हत्यारे की जान ले ली.
अनंत सिंह के परिवार में कौन कौन है?
अनंत के परिवार में उनकी पत्नी नीलम देवी जो वर्तमान में विधायक हैं. इसके अलावा एक बेटी शिवांगी और तीन बेटे अंकित, अभिषेक और अभिनव हैं.