बिहार में हरियाणा वाला दांव चलने की तैयारी में BJP, लालू के 'MY' फार्मूले को ऐसे देगी सियासी मात

Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को देखते हुए बीजेपी छोटी-छोटी जातियों को साधने को जुट गई है. बीजेपी इस योजना के तहत उन जाति के लोगों पर फोकस कर रही है जिन्हें जमीनी स्तर पर यादवों से दिक्कत है. इस रणनीति के दम पर बीजेपी (BJP) उत्तर प्रदेश और हरियाणा में लगातार सत्ता में बनी हुई है.;

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By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 17 Jun 2025 4:07 PM IST

Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन की सत्ता में वापसी कराने के लिए जातीय समीकरण को साधने का काम शुरू कर दिया है. इस रणनीति के तहत बीजेपी ने आरजेडी प्रभाव वाले छोटे जातियों को अपने पक्ष में करने के लिए हरियाणा की तर्ज पर मुस्लिम-यादव यानी एमवाई फार्मूले को शिकस्त देने की योजना तैयार की है.

दरअसल, यूपी में पिछले दो विधानसभा चुनाव और तीन लोकसभा चुनावों से लगातार छोटी-छोटी जातियों को साधकर बीजेपी को सत्ता 22 साल बाद सत्ता में पहुंचने में कामयाब हुई थी. इस योजना के तहत बीजेपी ने यूपी में अपना दल की अनुराधा पटेल, एसबीएसपी के ओम प्रकाश राजभर, निषाद पार्टी के संजय निषाद और आरएलडी के जयंत चौधरी को अपने गुट में शामिल किया था. इसी का नतीजा है कि यूपी में बीजेपी दूसरी बार लगातार सत्ता में अपने दम पर वापसी करने में सफल हुई.

हरियाणा की बात करें तो वहां पर आजादी के बाद से यह माना जाता रहा है कि वहां पर सीएम जाट का ही कोई नेता बन सकता है. अगर को गैर जाट सीएम बन भी गया तो वहां पर वह टिका नहीं रह सकता है, लेकिन बीजेपी ने हरियाणा में सवर्ण, अहीर, पंजाबी और एससी-एसटी और ओबीसी वोट बैंक को साधकर जाट मतदाताओं को अहसास कराया कि लोकतंत्र में सभी के वोटों की अहमियत एक जैसी ही होती है.

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में इसका लाभ बीजेपी को हरियाणा में तीसरी बार लगातार अपनी सरकार बनाने में मिली. तीसरी बार भी बीजेपी ने किसी जाट को चेहरे को सीएम बनाने के बजाए नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया.

BJP हरियाणा-यूपी मॉडल को बनाएगी जीत का आधार 

अब बीजेपी अपनी इसी रणनीति के तहत बिहार में लागू करने में लगी है. यही वजह है कि एमवाई मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के बदले अपने कोर वोट बैंक के अलावा अत्यंत पिछड़ा वर्ग और एससी-एसटी में शामिल जातियों को साधने में जुटी है. खासकर लालू यादव की पार्टी से नाराज उनके समर्थक जातियों को अपने पक्ष में करना बीजेपी की चुनावी रणनीति के केंद्र में हैं.

बिहार जाति जनगणना 2023: जाति और धर्म के आधार पर क्या है समीकरण?

जनसंख्या के लिहाज से टॉप 12 जातियां

यादव  14.26 प्रतिशत, दुसाध 5.31 प्रतिशत, रविदास  5.2 प्रतिशत, कोइरी  4.2 प्रतिशत, ब्राह्मण 3.65 प्रतिशत, राजपूत 3.45 प्रतिशत, मुसहर 3.08 प्रतिशत, कुर्मी 2.87 प्रतिशत, भूमिहार 2.86 प्रतिशत, मल्लाह 2.60 प्रतिशत, बनिया 2.31 प्रतिशत और कायस्थ- 0.60 प्रतिशत हैं.

आरक्षण के लिए तय श्रेणियों के लिहाज से आबादी

जाति सर्वेक्षण के रिपोर्ट के मुताबिक अन्य पिछड़ा वर्ग 27.12 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत और अनारक्षित यानी सवर्ण 15.52 प्रतिशत हैं.

धार्मिक आधार समीकरण

बिहार जाति जनगणना के अनुसार धार्मिक लिहाज से हिंदुओं की आबादी 81.9 प्रतिशत मुसलमान 17.7 प्रतिशत, ईसाई 0.05 प्रतिशत, बौद्ध 0.08 प्रतिशत, जैन 0.009 प्रतिशत है. बिहार में 13.7 करोड़ आबादी में 2,146 लोग कोई धर्म नहीं मानते.

इसके अलावा, बीजेपी ने 243 विधानसभा क्षेत्रों में अलग-अलग जातियों के सम्मेलन आयोजित करने की मुहिम में पहले से ही जुटी है. हाल के दिनों में गौर करें तो बीजेपी ने विभिन्न मौके पर जातीय जमावड़े की घटना को भी अंजाम दिया है. सोमवार को भी पटना में बीजेपी बुद्धू नोनिया के जन्म शताब्दी पर जाति का सम्मेलन किया था. इसमें केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था.

बीजेपी क्यों मना रही शहीद बुद्धू नोनिया जन्म शताब्दी समारोह?

बीजेपी के रणनीतिकार ने शहीद बुद्धू नोनिया की जन्म शताब्दी मनाने का फैसला लिया है. दरअसल, शहीद बुद्धू नोनिया समुदाय आते हैं. उन्होंने अपने समाज के कल्याण और स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. अंग्रेजी हुकूमत की दमनकारी नीतियों के आगे वो झुके नहीं और शहीद होना पसंद किया. नोनिया व छोटे जातियों के बीच आज भी शहीद बुद्धू को लेकर काफी सम्मान का भाव है.

 

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