Bihar Election: वीणा देवी बनीं ‘खर्च की रानी’, दिव्या गौतम ने सबसे कम में लड़ा चुनाव; किसने उड़ाए सबसे ज़्यादा पैसे?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पटना जिले में पैसों की राजनीति चर्चा में रही. 149 प्रत्याशियों में 46 अपराधी पृष्ठभूमि के थे, जबकि प्रचार खर्च की सीमा 40 लाख तय थी. मोकामा से वीणा देवी ने सबसे ज़्यादा 19.52 लाख रुपये खर्च किए, वहीं दीघा की दिव्या गौतम ने सिर्फ़ 2.15 लाख में चुनाव लड़ा. जानिए किसने कितना खर्च किया और आयोग ने क्या नियम बनाए.;
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पटना जिला इस बार चर्चा में है. मुद्दों के लिए नहीं, बल्कि उम्मीदवारों की जेब की मोटाई के लिए. कुल 149 प्रत्याशियों में से 46 उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि सामने आई है. वहीं, चुनाव आयोग ने प्रचार और खर्च की सीमा 40 लाख रुपये तय की थी, ताकि धनबल पर रोक लगाई जा सके. लेकिन दिलचस्प यह है कि कई प्रत्याशियों ने इस सीमा को छू लिया, जबकि कुछ ने बेहद कम खर्च में प्रचार किया.
पटना की चुनावी जंग में सबसे अधिक खर्च करने वाली उम्मीदवार रहीं वीणा देवी, जो बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी हैं. मोकामा सीट से आरजेडी प्रत्याशी वीणा देवी ने लगभग 19.52 लाख रुपये खर्च किए. वहीं, दूसरे स्थान पर बाढ़ से कर्मवीर सिंह (RJD) रहे, जिन्होंने करीब 19.11 लाख रुपये का प्रचार खर्च दिखाया. इसके विपरीत, दीघा से सीपीआई (एमएल) प्रत्याशी दिव्या गौतम ने महज 2.15 लाख रुपये में पूरा चुनाव लड़ा, जिससे वह “लो बजट उम्मीदवार” के रूप में सुर्खियों में हैं.
खर्च का हिसाब और सख्त नियम
चुनाव आयोग ने सभी प्रत्याशियों को निर्देश दिया था कि परिणाम घोषित होने से पहले उन्हें तीन बार अपने खर्च का विवरण जमा करना होगा. पटना समाहरणालय में 24 अक्टूबर से 5 नवंबर तक चले सत्यापन अभियान में प्रत्याशियों के सभी खर्चों की जांच की गई. प्रत्येक उम्मीदवार को अपने सभी भुगतान के पक्के बिल और बैंक ट्रांजैक्शन दिखाने पड़े.
तीन रंग के पन्नों में छिपा चुनावी लेखा-जोखा
खर्च की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आयोग ने एक विशेष “दैनिक व्यय रजिस्टर” जारी किया. इसमें तीन रंगों के पन्ने थे.
- पीला पन्ना: बैंक से किए गए खर्चों का रिकॉर्ड,
- गुलाबी पन्ना: नकद लेन-देन की डिटेल,
- सफेद पन्ना: कुल दैनिक खर्चों का सारांश.
प्रत्येक प्रत्याशी को जीरो बैलेंस बैंक अकाउंट से ही खर्च करने का आदेश था, ताकि नकदी के जरिए होने वाले गुप्त खर्च पर नियंत्रण रखा जा सके.
मनेर से एलजेपी प्रत्याशी पर सवाल
मनेर विधानसभा क्षेत्र में एलजेपी (रामविलास) के प्रत्याशी जितेंद्र यादव का खर्च विवरण अधूरा पाया गया है. पटना समाहरणालय के व्यय प्रेक्षक ने बताया कि जितेंद्र यादव ने कई खर्चों के बिल समय पर जमा नहीं किए. आयोग ने इस मामले पर रिपोर्ट तलब की है. यह भी संभव है कि भविष्य में उनके खिलाफ खर्च की सीमा उल्लंघन पर कार्रवाई हो.
कौन कितना खर्चीला?
- मोकामा: वीणा देवी (19.52 लाख) बनाम अनंत सिंह (13.14 लाख)
- बाढ़: कर्मवीर सिंह (19.11 लाख) बनाम सियाराम सिंह (14.60 लाख)
- दीघा: दिव्या गौतम (2.15 लाख) बनाम संजीव चौरसिया (9.11 लाख)
- दानापुर: रामकृपाल यादव (17.66 लाख) बनाम रितलाल राय (11.76 लाख)
- फतुहा: रामानंद यादव (18.60 लाख) बनाम रूपा कुमारी (15.3 लाख)
- बिक्रम: सिद्धार्थ सौरव (13.51 लाख) बनाम अनिल कुमार (5.03 लाख)
बाकी सीटों पर खर्च औसतन 5 से 15 लाख के बीच रहा, जो यह दिखाता है कि पटना जिला में चुनाव प्रचार पूरी तरह धनबल के प्रभाव से अछूता नहीं रहा.
कहां दिखा सादगी vs पैसा?
जहां एक ओर वीणा देवी और कर्मवीर सिंह जैसे प्रत्याशी प्रचार में भारी निवेश करते दिखे, वहीं दिव्या गौतम जैसी उम्मीदवारों ने यह संदेश दिया कि जनता का दिल जीतने के लिए करोड़ों नहीं, सादगी और ईमानदारी काफी है. उनके सादे प्रचार ने कई युवाओं को प्रभावित किया.
पारदर्शिता vs ताकत की जंग
पटना का यह चुनाव न केवल राजनीतिक दलों की परीक्षा थी, बल्कि ईमानदारी बनाम ताकत की भी टक्कर थी. आयोग की पारदर्शी व्यवस्था ने यह साबित किया कि अब जनता भी यह जानना चाहती है कि उनके प्रतिनिधि अपने प्रचार पर कितना खर्च करते हैं और कहां से करते हैं. चुनाव नतीजे चाहे जैसे हों, पटना का यह “पैसे वाला रण” बिहार की राजनीति में लंबे समय तक चर्चा में रहेगा.