दोस्ती में दरार पर बड़ा फैसला, तेजस्वी इसलिए नहीं करेंगे 4 सीटों पर प्रचार, Congress-CPI ने बढ़ाई मुश्किलें

बिहार चुनाव 2025 के बीच तेजस्वी यादव ने ऐसा कदम उठाया है जिसने सियासी हलचल मचा दी है. उन्होंने महागठबंधन के अंदरूनी टकराव से बचने के लिए चार सीटों पर प्रचार नहीं करने का निर्णय लिया है. जानें कौन-सी हैं वो सीटें और क्यों लिया गया ये बड़ा फैसला. किस बात का महागठबंधन के सीएम फेस को डर सता रहा है.;

( Image Source:  ANI )

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठने लगे हैं. 12 सीटों पर सहयोगी दल ही आपस में एक-दूसरे के खिलाफ हैं. इस बीच चार अन्य सीटों आपसी कलह की वजह से आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने प्रचार न करने का फैसला लिया है. इन सीटों पर सहयोगी दल (कांग्रेस और भाकपा) के प्रत्याशी आमने-सामने हैं. सूत्रों के मुताबिक, इन सीटों पर तेजस्वी ने 'दोस्ती में दरार न पड़े' इसलिए खुद प्रचार न करने का निर्णय लिया है.

धर्म संकट में तेजस्वी, किसका करें समर्थन?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जिन चार विधानसभा सीटों पर तेजस्वी यादव प्रचार नहीं करेंगे, वे बछवाड़ा (Begusarai), करगहर (Rohtas), राजापाकर (Vaishali) और बिहारशरीफ (Nalanda) शामिल हैं. इन चारों सीटों पर कांग्रेस और वामदल (CPI) के बीच तालमेल नहीं बन पाया है. दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं, जिससे महागठबंधन के भीतर 'फ्रेंडली फाइट' की नौबत बन गई है.

गठबंधन की साख दांव पर

तेजस्वी यादव के करीबी सूत्र बताते हैं कि उन्होंने गठबंधन की साख बचाने के लिए इन सीटों पर प्रचार न करने का निर्णय लिया है। दरअसल, अगर तेजस्वी इनमें से किसी एक दल के उम्मीदवार के समर्थन में जाते, तो दूसरे दल को नाराज करने का खतरा था.

बिहार के सियासी राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह फैसला तेजस्वी की राजनीतिक परिपक्वता दिखाता है. वह नहीं चाहते कि कुछ सीटों पर तात्कालिक फायदा उठाने के चक्कर में लंबे समय तक गठबंधन प्रभावित हो.

महागठबंधन के सहयोगी दलों में आपसी रार का फायदा उठाते हुए भाजपा और एनडीए विरोधी गठबंधन पर हमलावर है. उनका कहना है कि महागठबंधन अब बिखर रहा है. हालात यह है कि तेजस्वी को खुद अपने सहयोगियों से डर लगने लगा है.

इसलिए नहीं करेंगे प्रचार

राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआई-एमएल  और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के बीच कम से कम 12 सीटों पर दोस्ताना मुकाबला है. यही वजह है कि एनडीए को महागठबंधन की एकता पर सवाल उठा रहा है.

आरजेडी उन विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार करने से परहेज कर रहा है जहां कांग्रेस और सीपीआई एक-दूसरे के खिलाफ दोस्ताना मुकाबला लड़ रहे हैं. करगहर और राजापाकर में 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीती थी. बछवाड़ा में भाकपा दूसरे स्थान पर रही थी. 2020 में बिहारशरीफ में न तो कांग्रेस और न ही भाकपा ने चुनाव लड़ा था. आरजेडी  प्रत्याशी 66 हजार से अधिक वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहा था. अबकी बार आरजेडी ने बिहारशरीफ में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस और भाकपा दोनों ने विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव से इन निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार करने का अनुरोध किया है. तेजस्वी के सामने अहम सवाल यह है कि वो समर्थन किसका करें, दोनों सहयोगी हैं. दोनों में किसी को तेजस्वी ने अभी तक प्रचार के लिए अपनी सहमति नहीं दी है. राजद ने अपनी स्थानीय इकाइयों को आदेश दिया है कि वे जीत की संभावनाओं का आकलन करने के बाद ही किसी एक उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने की अपील करें.

Similar News