बिहार में यात्रा बनाम सम्मेलन: महागठबंधन-NDA और जन सुराज में किसका पलड़ा भारी, कौन बनेगा गेम चेंजर?

चुनाव आयोग द्वारा बिहार में असेंबली इलेक्शन की घोषणा से पहले वहां की राजनीति में इस समय "यात्रा बनाम सम्मेलन" का दौर चल रहा है. एक ओर विपक्ष जनता के बीच पहुंचने के लिए यात्राओं का सहारा ले रहा है तो दूसरी ओर सत्ता पक्ष बड़े-बड़े सम्मेलनों के जरिए शक्ति प्रदर्शन कर रहा है. सियासी शतरंज की इस बिसात पर कौन किसके खिलाफ मोहरा चला रहा है और इसका असर चुनावी समीकरणों पर कैसा पड़ेगा, यह बड़ा सवाल है.;

By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 31 Aug 2025 1:51 PM IST

बिहार की राजनीति हमेशा से रणनीतियों, बयानों और शक्ति प्रदर्शन के इर्द-गिर्द घूमती रही है. इस बार चुनावी माहौल बनने से पहले ही राजनीतिक दलों ने 'यात्रा बनाम सम्मेलन' का दांव खेलना शुरू कर दिया है. जनता तक सीधा संदेश पहुंचाने के लिए विपक्ष की ओर से यात्रा का दौर जारी है तो एनडीए खेमे में शामिल दल बड़े पैमाने पर सम्मेलन कर अपनी ताकत दिखा रहे हैं. फिलहाल, बिहार में तीन प्रमुख राजनीतिक धाराएं - महागठबंधन, एनडीए और जन सुराज्य पार्टी पूरी ताकत के साथ चुनावी मोड में आ चुकी हैं. महागठबंधन के नेता वोटर अधिकार यात्रा पर निकले हुए हैं तो एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन के जरिए वोटरों तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है. तीसरी तरफ प्रशांत किशोर बिहार बदलाव यात्रा कर रहे हैं. ऐसे में यह मुकाबला अब सिर्फ वोट बैंक का नहीं बल्कि राजनीतिक मनोबल और जनता के विश्वास का भी हो गया है.

महागठबंधन: जनता से सीधा संवाद

विपक्षी दल यात्राओं के जरिए सीधे जनता तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं. ये यात्राएं न सिर्फ गांव-गांव जाकर संवाद बनाने का माध्यम हैं, बल्कि उन्हें सरकार की नाकामियों को उजागर करने का बड़ा मंच भी माना जा रहा है. कांग्रेस, राजद और लेफ्ट जैसे दल अपनी अलग-अलग यात्राओं के जरिए जनता के बीच माहौल बनाने में जुटे हैं. इसका मकसद लोगों के बीच विपक्ष ज्ञ का जनाधार बढ़ाना है. साल 2020 में गठबंधन सरकार बनाने से चूक गया था, लेकिन इस बार वह एनडीए को सत्ता से बाहर करने के लिए पूरा जोर लगा रही है.  

पढ़ाई, दवाई, कमाई वाली बनाएं सरकार - तेजस्वी

आरा की सभा में आरजेडी नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “पीएम मोदी और नीतीश कुमार का वादा बच्चे की नाव जैसा होता है, जिसे वे फूंककर उड़ा देते हैं. इसलिए आप सब लोग एकजुट होइए और महागठबंधन की सरकार बनाइए. पढ़ाई, दवाई, कमाई, सिंचाई, कार्रवाई और सुनवाई वाली सरकार बनाइए.”

एनडीए का शक्ति प्रदर्शन

दूसरी ओर एनडीए खेमे के दल सम्मेलन और बड़ी सभाओं पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा से लेकर स्थानीय नेताओं तक के सम्मेलन पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने और जनता तक पहुंचने का जरिया बन गए हैं. सम्मेलन के जरिए सियासी दल शक्ति प्रदर्शन का भी संदेश दिया जा रहा है.

जेडीयू, बीजेपी और एलजेपीआर के सम्मेलन में राज्य से लेकर केंद्र तक के बड़े नेता शामिल हो रहे हैं. एनडीए के नेता  तेजस्वी और राहुल गांधी को निशाना बना रहे हैं. पीएम मोदी और नीतीश कुमार के नेतृत्व में सत्ता में वापसी का दावा भी कर रहे हैं. सत्ताधारी दलों के नेता सम्मेलनों में कहते हैं, 'मोदी जी आ गए हैं. (विपक्ष के) ये लोग मुद्दा विहीन हो गए हैं. अब ये लोग अफवाह फैला रहे हैं कि वोट चोरी हो जाएगा. ये लोग गाली-गलौज पर उतर आए हैं. बिहार की जनता इसका जवाब देगी.”

जनसुराज: बिहार बदलाव यात्रा

महागठबंधन और एनडीए के इतर जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी चुनाव को त्रिकोणीय मुकाबला बनाने में जुटी है. इसके लिए प्रशांत किशोर बिहार 'बदलाव यात्रा' निकाल रहे हैं. पीके अपनी सभाओं में एनडीए और महागठबंधन को पलायन, खराब शिक्षा, बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. वह सरकार बनाने का दावा भी कर रहे हैं.

कौन किसके खिलाफ?

बिहार में यह साफ दिख रहा है कि यात्रा बनाम सम्मेलन की यह जंग सीधे विपक्ष बनाम सत्ता की लड़ाई है. विपक्ष जनता को यह संदेश देना चाहता है कि सत्ता ने वादे पूरे नहीं किए. जबकि सत्ता पक्ष यह साबित करने में जुटा है कि विकास और सुशासन की गाड़ी पटरी पर है. इसके पीछे असली लक्ष्य 2025 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा समीकरणों को साधना है. 

किसका असर ज्यादा?

इस बीच सबसे अहम सवाल यह है कि जनता पर यात्राओं और सम्मेलनों में से किसका असर ज्यादा है. क्या सीधा संवाद जनता के मन में जगह बनाएगा या फिर संगठन की ताकत और सत्ता का रिपोर्ट कार्ड वोटरों को प्रभावित करेगा? सियासी जानकारों का कहना है कि चुनाव आयोग कसे डुगडुगी बजाने दीजिए, सब कुछ साफ हो जाएगा.

Full View

Similar News