क्या वाकई वोटर ID, आधार और राशन कार्ड भरोसेमंद नहीं? चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में रखे ये तर्क

बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन (SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने कहा कि आधार, राशन कार्ड और वोटर ID जैसे दस्तावेज नागरिकता या मतदाता बनने की गारंटी नहीं हैं. आयोग ने विपक्षी दलों की याचिकाओं को खारिज करने की मांग की और कहा कि यह प्रक्रिया फर्जी मतदाताओं को हटाने के लिए संवैधानिक रूप से जरूरी है.;

( Image Source:  ANI & sci.gov.in )
Curated By :  नवनीत कुमार
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बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर मचे राजनीतिक हंगामे के बीच भारत के चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह संवैधानिक है और इसका मकसद फर्जी मतदाताओं को हटाना है. आयोग का कहना है कि वह मतदाता सूची को साफ और विश्वसनीय बनाना चाहता है, जिससे लोकतंत्र मजबूत हो. आयोग ने यह भी कहा कि इस अभियान से आम मतदाता को कोई असुविधा नहीं हो रही है और यह संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत उसकी ज़िम्मेदारी है.

सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में चुनाव आयोग ने कहा कि आधार कार्ड, वोटर ID और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज मतदाता बनने की पात्रता सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. आयोग ने स्पष्ट किया कि आधार सिर्फ एक पहचान का दस्तावेज है, न कि नागरिकता या पात्रता का प्रमाण. इसी तरह, राशन कार्डों की विश्वसनीयता पर भी आयोग ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं, यह कहते हुए कि देश में इनकी फर्जी संख्या बहुत ज्यादा है.

क्या SIR से नागरिकता खतरे में है?

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में किसी का नाम न होना न तो उसकी नागरिकता खत्म करता है, न ही उसके मौलिक अधिकारों को छीनता है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा गया कि यह पूरी प्रक्रिया पात्रता की जांच के लिए है, और किसी को नागरिक के तौर पर बाहर नहीं किया जा रहा. साथ ही आयोग ने बताया कि राशन कार्डों की व्यापक फर्जी उपस्थिति को देखते हुए इसे 11 मान्य दस्तावेजों की सूची में शामिल नहीं किया गया है, जिससे सूची की शुद्धता बनी रहे.

किन दस्तावेज़ों को अविश्वसनीय बताया आयोग ने?

  • आधार कार्ड: इसमें बायोमेट्रिक डेटा होता है, लेकिन यह नागरिकता का प्रमाण नहीं.
  • राशन कार्ड: कई राज्यों में फर्जी राशन कार्ड पाए गए हैं, इसलिए यह पात्रता की जांच के लिए अनफिट है.
  • वोटर ID: यह एक बार जारी होने के बाद अपडेट नहीं होता, और कई मामलों में डुप्लिकेट भी निकल आते हैं.
  • आयोग ने साफ किया कि इन दस्तावेज़ों पर निर्भरता रखने से SIR अभियान निष्क्रिय हो जाएगा.

चुनाव आयोग ने कोर्ट में क्या संवैधानिक तर्क दिए?

  • अनुच्छेद 67 और 68 के तहत आयोग मतदाता सूची को अपडेट करने का अधिकारी है.
  • कोई व्यक्ति यदि सूची से बाहर होता है, तो यह उसकी नागरिकता समाप्त नहीं करता.
  • आयोग ने कहा कि SIR प्रक्रिया मौलिक अधिकारों का हनन नहीं करती.
  • 11 दस्तावेजों की सूची तय की गई है पात्रता जांच के लिए- राशन कार्ड इसमें शामिल नहीं है.
  • मतदाता सूची संशोधन की यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और नागरिक हित में है.

आयोग ने की याचिका खारिज करने की मांग

चुनाव आयोग ने कोर्ट से अनुरोध किया कि 11 विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों द्वारा दायर याचिकाएं खारिज की जाएं. इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि SIR प्रक्रिया से लाखों वोटरों को नामांकन से बाहर किया जा रहा है, जो अलोकतांत्रिक है. याचिकाकर्ताओं ने यह भी मांग की थी कि बिहार चुनाव पुरानी (दिसंबर 2024) वोटर लिस्ट के आधार पर कराए जाएं. आयोग ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि SIR प्रक्रिया सभी नागरिकों के साथ समान रूप से लागू की जा रही है.

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