पेशे से डॉक्टर, यूएन में संभाला हेल्थ प्रोग्राम; जानें प्रशांत किशोर की पत्नी जाह्नवी दास की कहानी

बिहार चुनाव 2025 के लिए प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी जन सुराज से पूरी तैयारी कर ली है. उनकी पत्नी जाह्नवी दास, जो पेशे से डॉक्टर हैं, राजनीतिक परिदृश्य में अब धीरे-धीरे कदम रख रही हैं. जानिए पीके और जाह्नवी की पहली मुलाकात, उनका व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन, साथ ही बिहार चुनाव में महिला वोटर्स को लुभाने और प्रचार में उनकी संभावित भूमिका. इस आर्टिकल में है उनके जीवन और राजनीति से जुड़े अनसुने पहलुओं का पूरा विवरण.;

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Curated By :  नवनीत कुमार
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बिहार चुनाव की हलचल तेज हो चुकी है और राजनीतिक दल अपने-अपने मोर्चे सजा चुके हैं. सभी पार्टी अपने चुनावी कैंपेन करने के लिए मैदान में उतर चुके हैं. कहीं तेजस्वी यादव अपनी जनसभा कर रहे हैं तो कहीं नीतीश कुमार अपनी योजनाओं के माध्यम से हर वर्ग को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. इस बीच प्रशांत किशोर (पीके) भी अपनी जन सुराज पार्टी के साथ चुनावी रण में उतरने को तैयार हैं. हाल ही में उनके दावों और बयान को लेकर बताया जा रहा है कि वह बिहार के लोगों के बीच खासा पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं.

इसके साथ ही सबकी दिलचस्पी उनके राजनीतिक करियर के साथ-साथ उनकी निजी जिंदगी भी बनी हुई है. खासतौर पर उनकी पत्नी जाह्नवी दास की कहानी ने कई लोगों का ध्यान खींचा है. आइए जानते हैं पीके और उनकी पत्नी के जीवन की कुछ दिलचस्प बातें.

कौन हैं जाह्नवी दास?

जाह्नवी दास मूल रूप से असम के गुवाहाटी की रहने वाली हैं. वे पेशे से डॉक्टर हैं और लंबे समय तक विभिन्न हेल्थ प्रोग्राम्स में शामिल रहीं. पिछले साल, पटना में आयोजित महिला संवाद कार्यक्रम में प्रशांत किशोर ने पहली बार मीडिया के सामने अपनी पत्नी का परिचय करवाया. इस दौरान जाह्नवी ने महिलाओं के साथ बातचीत भी की और अपनी सहजता और आत्मविश्वास का प्रदर्शन किया.

कैसे हुई दोनों की मुलाकात?

प्रशांत किशोर और जाह्नवी दास की मुलाकात संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के एक हेल्थ प्रोग्राम के दौरान हुई थी. उस समय दोनों का पेशा और मकसद अलग था, लेकिन बातचीत के दौरान दोस्ती गहरी हुई और धीरे-धीरे प्यार में बदल गई. इसके बाद उन्होंने शादी करने का फैसला लिया और आज दोनों का एक बेटा भी है, जो आठवीं कक्षा में पढ़ता है.

निजी और पेशेवर तालमेल

पीके ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनकी पत्नी काफी सपोर्टिव और स्मार्ट हैं. उन्होंने कहा, "मैं हार्ड वर्कर हूं, और मेरी पत्नी स्मार्ट वर्क करती हैं. हम इसमें मजाक भी करते हैं. हालांकि मैं उन्हें टाइम कम देता हूं, लेकिन धीरे-धीरे पार्टनर एक-दूसरे के काम को समझ जाते हैं." जाह्नवी की यह समझ और सहयोग पीके के राजनीतिक करियर में भी मददगार साबित होती है.

कैंपेन में निभा सकती हैं भूमिका

जाह्नवी दास आमतौर पर राजनीति से दूर रहती हैं. लेकिन बिहार चुनाव 2025 में, जब पीके की पार्टी हर सीट पर चुनाव लड़ रही है, संभावना है कि वे महिला वोटर्स को लुभाने और कैंपेनिंग में सक्रिय भूमिका निभा सकती हैं. पीके के लिए यह एक रणनीतिक कदम भी साबित हो सकता है.

महिला वोटर्स के लिए रणनीति

जाह्नवी की शिक्षा, पेशेवर पृष्ठभूमि और सहज व्यक्तित्व उन्हें महिला वोटर्स के बीच लोकप्रिय बना सकते हैं. चुनावी मैदान में उनकी उपस्थिति पीके की पार्टी की इमेज को और मजबूत कर सकती है. जाह्नवी दास न केवल पीके का सहयोग करती हैं, बल्कि वे पार्टी के सामाजिक और महिला मुद्दों पर भी ध्यान दे सकती हैं. आने वाले समय में उनकी सक्रियता बिहार के चुनावी परिणाम और जनसंवाद पर असर डाल सकती है.

हालांकि पीके और जाह्नवी दोनों ही अपने-अपने पेशे में व्यस्त हैं, लेकिन उन्होंने परिवार और राजनीति का संतुलन बनाए रखा है. बेटा उनकी खुशियों का केंद्र है और दोनों ही चाहते हैं कि उनका व्यक्तिगत जीवन भी स्वस्थ और सुदृढ़ रहे.

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