बिहार में 78 साल में हुए 17 बार हुए चुनाव, 23 CM बने, कितनी बार प्रदेश में लगा राष्ट्रपति शासन?
बिहार की राजनीति हमेशा से उतार-चढ़ाव और सियासी अस्थिरताओं से भरी रही है. आजादी के बाद से अब तक राज्य में 17 विधानसभा चुनाव हुए हैं. 23 नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ चुके हैं. कई बार हालात ऐसे बने जब बहुमत का संकट, राजनीतिक अस्थिरता, दल-बदल या कानून-व्यवस्था की बदहाली के कारण राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा.;
बिहार की सियासत हमेशा से अस्थिरता और बदलाव की मिसाल रही है. 1947 से अब तक यहां 78 साल में 17 विधानसभा चुनाव हुए और 23 नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे. बार-बार सरकार टूटने और गठबंधनों के बिखरने से बिहार में कई बार राष्ट्रपति शासन भी लगाए गए. आइए जानते हैं, कब कौन बने सीएम और प्रदेश में कितनी बार और किन परिस्थितियों में राष्ट्रपति शासन केंद्र सरकार को लगाने पड़े.
भारत के संविधान लागू होने के बाद बिहार विधानसभा का पहली बार चुनाव 1952 में हुआ. चुनाव बाद कांग्रेस की सरकार बनी. स्वतंत्रता के बाद 1951 से 2020 तक कुल 17 विधानसभा चुनाव आयोजित किए गए हैं. सबसे आखिरी चुनाव 2020 में संपन्न हुआ था. दो महीने बाद नवंबर में एक बार फिर विधानसभा चुनाव होना है. प्रदेश में कई बार राष्ट्रपति शासन भी लगे. अस्थिरता की वजह से साल 2005 में आखिरी बार राष्ट्रपति शासन लगाए गए थे. 2005 मेंत्र एक ही वर्ष में दो बार चुनाव कराए गए.
अब तक कौन-कौन बने सीएम?
बिहार सबसे पहले श्रीकृष्ण सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. उसके बाद प्रदीप नारायण सिंह, बिनोदानंद झा, कृष्ण बल्लभ सहाय, महामाया प्रसाद सिन्हा, सतीश प्रसाद सिंह, बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल, भोला पासवान शास्त्री, हरिहर सिंह, केदार पांडे, अब्दुल गफूर, जगन्नाथ मिश्र, चंद्रशेखर सिंह, बिंदेश्वरी दुबे, भागवत झा आजाद, सत्येन्द्र नारायण सिन्हा, लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी प्रदेश के सीएम बने. सबसे ज्यादा बाद नीतीश कुमार 9 बार सीएम बने. उसके बाद श्रीकृष्ण सिंह, जगन्नथ मिश्रा और राबड़ी देवी तीन-तीन बार सीएम बने. जबकि लालू प्रसाद यादव बिहार के दो बार सीएम बने. मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल में नीतीश कुमार का कार्यकाल (लगभग 18 वर्ष 351 दिन) सबसे लंबा है, इसके बाद श्रीकृष्ण सिंह का कुल कार्यकाल 17 वर्ष 51 दिन है.
बिहार में कितनी बार और क्यों लगे राष्ट्रपति शासन?
आजादी के बाद बिहार की राजनीति में लगातार उठापटक होती रही. कभी कांग्रेस का दबदबा, कभी क्षेत्रीय दलों का उभार और कभी गठबंधन की मजबूरी ने यहां सत्ता को अस्थिर बनाए रखा. यही कारण है कि प्रदेश में कई बार राष्ट्रपति शासन की नौबत आ गई. पहली बार 1968 में और आखिरी बार 2005 में राष्ट्रपति लगा था. बिहार में अब तक कुल 8 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है. हर बार इसकी वजह रही राजनीतिक अस्थिरता, सरकार का बहुमत खो देना या कानून-व्यवस्था का बिगड़ना.
1968 - कांग्रेस के टूटने और बहुमत संकट के बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया.
1969 - फिर से सत्ता संकट गहराया और राष्ट्रपति शासन लागू हुआ.
1972 - चुनाव बाद बहुमत को लेकर विवाद, राष्ट्रपति शासन.
1977 - इमरजेंसी के बाद कांग्रेस की हार और सत्ता संकट.
1980 - इंदिरा गांधी ने कानून के दुरुपयोग पर विपक्षी दल की सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाया.
1989 - कांग्रेस सरकार के पतन के बाद राष्ट्रपति शासन.
1995 - विधानसभा के कार्यकाल से पहले चुनाव संपन्न न होने पर राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था.
1999 - राबड़ी देवी सरकार के दौरान कानून-व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देकर लगाया गया, लेकिन बाद में वापस ले लिया गया.
2005 - विधानसभा चुनाव नतीजों में किसी दल को बहुमत न मिलने पर सरकार न बनने पर राष्ट्रपति शासन लगाया गया.