फ्लाईओवर साइट पर मौत का खेल, करंट लगने से हुई एक मजदूर की मौत, APDCL- PWD कौन है जिम्मेदार?
गुवाहाटी के मजदूर हर दिन मौत के साए में काम कर रहे हैं. सिलपुखुरी में एक मजदूर की करंट लगकर मौत हो गई. फ्लाईओवरों का जाल शहर को ट्रैफिक से राहत देगा, लेकिन उसके लिए जानें गंवाना किस हद तक जायज़ है? सवाल यह भी है कि जब नियम और प्रोटोकॉल मौजूद हैं, तो उनकी अनदेखी क्यों की जा रही है?;
गुवाहाटी शहर के ऊपर से गुजरती बिजली की तारें और नीचे दौड़ती निर्माण मशीनें. दोनों का टकराव अक्सर जानलेवा साबित होता है. दिसंबर से अब तक राजधानी के अलग-अलग फ्लाईओवर निर्माण स्थलों पर दो मजदूरों की मौत हो चुकी है और पांच घायल हुए हैं.
ताजा मामला सिलपुखुरी इलाके से सामने आया है, जहां एक मजदूर की करंट लगने से मौत हो गई. वजह एक ही,सुरक्षा नियमों की अनदेखी. सवाल यह है कि आखिर इन हादसों की जिम्मेदारी किसकी है? और क्यों बार-बार मौत की छाया इन निर्माण स्थलों पर मंडरा रही है?
सिलपुखुरी में शख्स की मौत
हाल ही में सिलपुखुरी इलाके में जीएनबी रोड पर बन रहे फ्लाईओवर साइट पर एक दर्दनाक हादसा हुआ. मजदूरों का एक दल काम कर रहा था. उनमें से एक शख्स ऊपर से गुजर रही 11kV की हाई-वोल्टेज तार से टकरा गई. तेज करंट का झटका उसके शरीर को झुलसा गया और वह अधूरे फ्लाईओवर से नीचे जा गिरा. मौके पर ही उसकी मौत हो गई. उसके साथ खड़े दो अन्य मजदूर भी करंट की चपेट में आ गए. वे किसी तरह बच तो गए, लेकिन गंभीर चोटों के साथ अस्पताल पहुंचाए गए. मौत, चीख और अफरा-तफरी, यह नजारा बताता है कि किस तरह सुरक्षा की मामूली चूक ज़िंदगी को लील लेती है.
जिम्मेदारी से बचते विभाग
हादसे के बाद असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (APDCL) ने पुलिस और चीफ इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर ऑफिस को सूचना दी. पुलिस ने एक अननेचुरल डेथ केस (UD केस) दर्ज कर औपचारिक कार्रवाई पूरी कर दी. लेकिन, यहां से कहानी ठहर गई. ना कोई गहन जांच हुई और ना ही किसी को जिम्मेदार ठहराया गया.
चीफ इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर का कार्यालय कहता है कि वह सिर्फ 11kV से ऊपर की लाइन वाले हादसों की जांच करता है, और वह भी तभी जब सरकार आधिकारिक तौर पर आदेश दे. दूसरी ओर, APDCL का कहना है कि उनकी जिम्मेदारी मीटर तक सीमित है. इसके बाद का दायित्व उपभोक्ता या फिर निर्माण एजेंसी का है. यानी मजदूरों की मौत और घायल होने के बाद भी जिम्मेदार एजेंसियां सिर्फ एक-दूसरे पर उंगली उठाने में व्यस्त हैं.
धीमी रफ्तार और अधूरी तैयारी
चांदमारी–बामुनिमैदाम मार्ग पर बिजली के खंभों को सुरक्षित दूरी पर हटा दिया गया है. लेकिन चांदमारी–अंबारी मार्ग पर यह काम बेहद धीमी रफ्तार से चल रहा है. सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) कहता है कि उन्हें खंभे हटाने का जिम्मा मिला है, पर प्रक्रिया समय ले रही है. APDCL का दावा है कि यदि ठेकेदार पहले से सूचना देते तो वे बिजली काटकर हादसे रोक सकते थे. लालगंज इलाके में उन्होंने कई बार घंटों के लिए बिजली काटकर काम सुरक्षित ढंग से करवाया है. लेकिन सिलपुखुरी साइट पर ठेकेदार या PWD ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया.
सुरक्षा उपकरणों की अनदेखी
PWD ने मजदूरों के लापरवाह रवैये पर भी सवाल उठाए. विभाग का कहना है कि हेलमेट, दस्ताने, जैकेट और सेफ्टी हार्नेस जैसे बुनियादी सुरक्षा उपकरण मजदूर अक्सर पहनना नहीं चाहते हैं. हादसे वाले दिन मृतक मजदूर ने भी सुरक्षा गियर नहीं पहना था. नतीजा यह हुआ कि छड़ बिजली की लाइन से छू गई और झटका खाते ही वह फ्लाईओवर से नीचे गिर पड़ा. अगर उसने हार्नेस पहना होता, तो शायद गिरने से बच जाता. यही नहीं, बाकी दो मजदूर इसलिए बच गए क्योंकि वे नीचे नहीं गिरे, वरना तीनों की मौत तय थी.