चरागाह जमीन का विवाद बना बारूद! पश्चिम कार्बी आंगलोंग में भीड़ ने जलाया भाजपा नेता का घर, पुलिस-CRPF तैनात

असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में चरागाह भूमि से अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन हिंसा में बदल गया. भूख हड़ताल कर रहे प्रदर्शनकारियों को इलाज के लिए हटाए जाने को गिरफ्तारी समझ लिया गया, जिसके बाद उग्र भीड़ ने BJP नेता और KAAC प्रमुख तुलिराम रोंगहांग के पैतृक घर में आग लगा दी. हालात बेकाबू होने पर पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा और इलाके में CRPF की तैनाती के साथ निषेधाज्ञा लागू की गई. यह हिंसा छठी अनुसूची के तहत आदिवासी क्षेत्रों में जमीन, पहचान और अधिकारों से जुड़े पुराने तनाव को उजागर करती है.;

( Image Source:  X/@Choudhury4x )
Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On :

असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में बेदखली की मांग को लेकर सुलग रहा असंतोष अब हिंसक विस्फोट में बदल गया है. जिस आंदोलन की शुरुआत आदिवासी जमीन और चरागाहों की रक्षा की मांग से हुई थी, वही सोमवार को आगजनी, पथराव और कानून-व्यवस्था की बड़ी चुनौती बन गया. हालात इतने बिगड़े कि प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने एक सत्तारूढ़ भाजपा नेता के पैतृक घर को आग के हवाले कर दिया.

इस हिंसा ने न सिर्फ राज्य प्रशासन को हिलाकर रख दिया, बल्कि छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त पहाड़ी जिले में जमीन, पहचान और अधिकारों को लेकर लंबे समय से चले आ रहे तनाव को भी उजागर कर दिया. भूख हड़ताल, पुलिस कार्रवाई और गलतफहमी से भड़की भीड़ इन सबने मिलकर पश्चिम कार्बी आंगलोंग को आग की लपटों में झोंक दिया.

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कैसे भड़की हिंसा?

हिंसा की जड़ें 16 दिनों से जारी भूख हड़ताल में थीं. नौ प्रदर्शनकारी VGR (Village Grazing Reserve) और PGR (Professional Grazing Reserve) जमीनों से कथित अवैध कब्जा हटाने की मांग कर रहे थे. सोमवार को जब पुलिस ने स्वास्थ्य कारणों से इन भूख हड़तालियों को हटाया, तो इसे गिरफ्तारी समझ लिया गया और गुस्सा भड़क उठा

BJP नेता तुलिराम रोंगहांग के घर पर हमला

उग्र भीड़ ने Tuliram Ronghang, जो Karbi Anglong Autonomous Council (KAAC) के चीफ एग्जीक्यूटिव मेंबर हैं, के डोंगकामुकाम स्थित पैतृक घर में आग लगा दी. हालांकि प्रशासन ने स्पष्ट किया कि वे वहां रहते नहीं हैं और वर्तमान में जिला मुख्यालय दीफू में रहते हैं

CRPF तैनात, दो जवान घायल

स्थिति बेकाबू होते देख पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा. पथराव और आगजनी में कम से कम तीन लोग घायल हुए, जबकि एक पुलिसकर्मी और एक CRPF जवान के भी जख्मी होने की खबर है. हालात काबू में करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल, कमांडो और Central Reserve Police Force (CRPF) तैनात किए गए और निषेधाज्ञा लागू की गई

गिरफ्तारी नहीं, इलाज था: प्रशासन की सफाई

IGP (लॉ एंड ऑर्डर) अखिलेश सिंह ने कहा कि भूख हड़तालियों को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज इलाज के लिए भेजा गया था, क्योंकि 15 दिनों से अनशन के बाद उनकी हालत बिगड़ सकती थी. लेकिन इलाके में यह संदेश गिरफ्तारी के रूप में फैला, जिससे हिंसा भड़क गई.

गलतफहमी ने बढ़ाया तनाव

तुलिराम रोंगहांग ने मीडिया से कहा कि यह पूरी घटना एक गलतफहमी का नतीजा है. उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों को बातचीत के लिए परिषद कार्यालय बुलाया गया था और सोमवार शाम बैठक भी तय थी. लेकिन इलाज के लिए ले जाने को गिरफ्तारी मान लिया गया, जिससे हालात बिगड़ गए

खेरोनी में दूसरी लहर की हिंसा

डोंगकामुकाम के बाद हिंसा खेरोनी इलाके तक फैल गई. यहां पुलिस स्टेशन के पास पथराव हुआ और दूसरी समुदायों खासकर बिहारी और नेपाली लोगों पर हमले की कोशिश की गई. इसके बाद सुरक्षा बलों ने इलाके में फ्लैग मार्च और एरिया डोमिनेशन शुरू किया.

जमीन का विवाद: पुराना घाव

यह विवाद अचानक नहीं उठा. फरवरी 2024 में रोंगहांग ने PGR और VGR जमीनों से अतिक्रमण हटाने की घोषणा की थी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ हवाईपुर मौजा में 1983 परिवार और फुलोनी सर्कल में 103 परिवार चरागाह भूमि पर बसे बताए गए थे. हालांकि गुवाहाटी हाई कोर्ट में PIL लंबित होने के कारण बेदखली रोक दी गई थी

छठी अनुसूची, अस्मिता और भविष्य की चुनौती

कार्बी आंगलोंग और पश्चिम कार्बी आंगलोंग संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त क्षेत्र हैं. यहां के आदिवासी संगठनों का कहना है कि आरक्षित जमीनों पर बाहरी कब्जे से उनकी पहचान और आजीविका खतरे में है. मौजूदा हिंसा ने साफ कर दिया है कि अगर संवाद और भरोसे की बहाली नहीं हुई, तो यह जमीन विवाद आने वाले समय में और बड़े टकराव का रूप ले सकता है.

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