Dibrugarh Fish: असम के ब्रह्मपुत्र में खोजी गई मछली की नई नस्ल, जानें साइंटिस्ट ने किस शहर के नाम पर रखा उसका नाम?

Dibrugarh Fish News Today: आईसीएआर और सीआईएफआरआई के वैज्ञानिकों ने डिब्रूगढ़ के पास ब्रह्मपुत्र नदी में साइप्रिनिड परिवार की नई मछली की प्रजाति खोजी है. इसका नाम 'पेथिया डिब्रूगढ़ेंसिस' यानी डिब्रूगढ रखा है. अनूठी पहचान वाली यह मछली काले धब्बे वाली है. इस रंग रूप और चाल चलन अपने रिश्तेदारों से अलग है.;

( Image Source:  Fish in the News/@FishInTheNews )
Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 8 July 2025 9:38 AM IST

Dibrugarh Fish News Assam: दक्षिण एशियाई देश खासकर इंडिया को समुद्री जैव विविधता के क्षेत्र में सबसे बेहतर क्षेत्र माना जाता है. उसी दिशा में पूर्वोत्तर भारत के असम की नदियों की जैव विविधता को लेकर एक बड़ी खोज सामने आई है. ब्रह्मपुत्र नदी की तलहट्टी में वैज्ञानिकों को मछली की एक नई प्रजाति मिली है. मछली की नई प्रजाति को ‘पिथिया डिब्रूगढ़ेन्सिस’ (Pethia Dibrugarhensis) नाम दिया गया है.

वैज्ञानिकों ने मछली का नाम असम के डिब्रूगढ़ जिले की उस जगह के नाम पर रखा गया है, जहां इसे खोजा गया है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक यह खोज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (CIFRI) की गुवाहाटी और बैरकपुर स्थित टीम तथा मणिपुर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मिलकर की है. यह सर्वे ब्रह्मपुत्र नदी में मीठे पानी के जीवों की खोज मिशन के तहत किया गया था. मछली नई प्रजाति पर आधारित शोध हाल ही में स्प्रिंगर नेचर के अंतरराष्ट्रीय जर्नल नेशनल एकेडमी साइंस लेटर्स में प्रकाशित हुआ है.

जलीय विविधिता में सूची में शामिल हुई डिब्रूगढ़ फिश

ICAR और CIFRI के वैज्ञानिकों की यह खोज असम और पूर्वोत्तर भारत के जलीय जैवविविधता में पाई जाने वाली अनोखी प्रजातियों की बढ़ती सूची में जुड़ गई है. नई मछली ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली की पारिस्थितिक समृद्धि को उजागर करती है. मछली की पूंछ के पास एक काला धब्बा है. शरीर के साथ थोड़ा ऊपर और नीचे की ओर फैला होता है.

अपने रिश्तेदारों से अलग है डिब्रूगढ़ मछली

नई मछली की 'पेथिया डिब्रूगढ़ेंसिस' नाम की यह प्रजाति साइप्रिनिड परिवार से संबंधित है, जिसमें कार्प और मिनो शामिल हैं जो दुनिया की सबसे मीठे पानी की मछलियों में से कुछ हैं. इस मछली की खोज ब्रह्मपुत्र बेसिन में जलीय जैवविविधता के चल रहे सर्वेक्षण के दौरान की गई थी. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह मछली कई महत्वपूर्ण तरीकों से अपने रिश्तेदारों से अलग है. इस मछली के पूंछ क्षेत्र के चारों ओर 10 तराजू की उपस्थिति और शरीर पर विशिष्ट तराजू के पैटर्न शामिल हैं.

नदियों की गहराई में बहुत कुछ है, जिसे जानना बाकी है - शोधकर्ता

स्टडी टीम में शामिल शोधकर्ताओं का कहना है कि यह नई प्रजाति ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली की पारिस्थितिक समृद्धि और इसे संरक्षित करने की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के वैज्ञानिक अध्ययनों से हमें मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर ढंग से समझने और कम ज्ञात प्रजातियों को प्रदूषण जैसे खतरों से बचाने में मदद मिलती है.

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