दिल्ली-NCR ही नहीं, असम पर भी पड़ रही प्रदूषण की भयंकर मार; 11 जिले सबसे प्रदूषित जिलों में शामिल
जहां दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण से हर कोई चिंतित है, तो वहीं असम भी प्रदूषण के मामले में पीछे नहीं है. दिल्ली के 11 जिलों के साथ असम के भी 11 जिले सबसे प्रदूषित जिलों की लिस्ट में शामिल हैं. CREA की रिपोर्ट ने साफ किया है कि असम अब उन राज्यों में शामिल हो चुका है, जहां सालभर वायु प्रदूषण राष्ट्रीय मानकों से ऊपर बना रहता है.;
जहां पूरा देश दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण से चिंतित है, उसी बीच असम में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता ने विशेषज्ञों और प्रशासन की चिंता और बढ़ा दी है. नवीनतम उपग्रह-आधारित PM2.5 आकलन के अनुसार, असम के 11 जिले देश के टॉप 50 सबसे प्रदूषित जिलों की लिस्ट में शामिल हैं.
ऊर्जा एवं स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र (CREA) की रिपोर्ट ने साफ किया है कि असम अब उन राज्यों में शामिल हो चुका है, जहां सालभर वायु प्रदूषण राष्ट्रीय मानकों से ऊपर बना रहता है. चिंताजनक बात यह है कि असम के सभी 34 जिले 2024 में NAAQS मानकों से अधिक प्रदूषण स्तर पर पहुंचे, जो खतरे का संकेत है.
देश के सबसे प्रदूषित जिलों में असम के जिले भी शामिल
CREA की रिपोर्ट के अनुसार "सबसे प्रदूषित जिले कुछ ही राज्यों में केंद्रित हैं. इस लिस्ट में दिल्ली और असम के 11-11 जिले शामिल हैं. इसके बाद बिहार और हरियाणा के 7–7 जिले, जबकि यूपी, त्रिपुरा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़, मेघालय और नागालैंड के कुछ जिले भी लिस्ट में शमिल हैं.
रिपोर्ट के अनुसार जिन राज्यों में सभी निगरानी वाले जिले राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS) से ऊपर पाए गए, उनमें दिल्ली, असम, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं. असम के लिए यह स्थिति और गंभीर है क्योंकि यहां 34 में से 34 जिले मानकों को पार कर चुके हैं.
मानसून में भी नहीं मिलता प्रदूषण से छुटकारा
आमतौर पर मानसून के दौरान भारत में हवा साफ हो जाती है, लेकिन CREA की रिपोर्ट बताती है कि यह नियम असम पर लागू नहीं होता. रिपोर्ट के अनुसार "असम, दिल्ली, पंजाब और त्रिपुरा में मानसून के दौरान भी PM2.5 स्तर मानकों से ऊपर बना रहता है."
मानसून में प्रदूषण मानक से ऊपर बने जिलों की संख्या
- असम – 21 जिले
- दिल्ली – 9 जिले
- पंजाब – 15 जिले
- त्रिपुरा – 6 जिले
CREA ने सुझाव दिया है कि राज्य सरकारें अब उपग्रह डेटा आधारित जिला-स्तरीय कार्ययोजनाएं तैयार करें. जिसमें वायु प्रदूषण हॉटस्पॉट की पहचान, उच्च जोखिम वाली आबादी को प्राथमिकता, संसाधनों का कुशलतापूर्वक आवंटन और स्थानीय प्रदूषण स्रोतों को लक्ष्य बनाना शामिल होना चाहिए.