फॉर्म-8 पर अखिल गोगोई ने उठाया बड़ा सवाल, जानें असम विधानसभा चुनाव से पहली किस बात का सता रहा डर

रायजोर दल के प्रमुख और शिवसागर के विधायक अखिल गोगोई ने राज्य में चल रहे मतदाता सूची सुधार विशेषकर फॉर्म 8 गंभीर सवाल उठाए हैं. उनका मानना है कि इस प्रक्रिया से स्वदेशी असमिया मतदाताओं की राजनीतिक शक्ति कमजोर हो सकती है और चुनावी संतुलन बिगड़ सकता है.;

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Edited By :  विशाल पुंडीर
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असम रायजोर दल के प्रमुख और शिवसागर के विधायक अखिल गोगोई ने राज्य में चल रहे मतदाता सूची सुधार विशेषकर फॉर्म 8 प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह सिस्टम 2026 के असम विधानसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर बाहरी हस्तक्षेप का मार्ग खोल सकता है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया से स्वदेशी असमिया मतदाताओं की राजनीतिक शक्ति कमजोर हो सकती है और चुनावी संतुलन बिगड़ सकता है.

जोरहाट प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में गोगोई ने स्पष्ट चेतावनी दी कि फॉर्म 8 में मौजूद खामियां बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों को असम की मतदान सूची में शामिल होने की अनुमति दे सकती हैं. यदि वे पहले से किसी अन्य राज्य के मतदाता हों. उनके अनुसार इसका सीधा असर कम से कम 50 विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव परिणामों पर पड़ सकता है.

फॉर्म 8 की प्रक्रिया पर सवाल

गोगोई ने दावा किया कि फॉर्म 8 के माध्यम से लागू विशेष सुधार असम की मतदाता सूची को बाहरी प्रभावों के प्रति असुरक्षित बना रहा है. उन्होंने कहा, “अगर असम के बाहर से 5 लाख बाहरी मतदाता भी जुड़ गए, तो सरकार बनाने की शक्ति असम के लोगों के पास नहीं रह जाएगी. उचित सत्यापन के अभाव वाली व्यवस्था के ज़रिए चुनाव परिणाम बदले जा सकते हैं.”

आधार नंबर की शर्त पर उठे सवाल

गोगोई ने बताया कि फॉर्म 8 के तहत दो विकल्प दिए गए है. पहला आवेदक अपना आधार नंबर प्रस्तुत करे और दूसरा फिर यह घोषित करे कि उसके पास आधार नहीं है. उन्होंने कहा “समस्या यह है कि यह सत्यापित करने की कोई व्यवस्था नहीं है कि किसी व्यक्ति के पास वास्तव में आधार कार्ड है या नहीं. बिहार, उत्तर प्रदेश या मध्य प्रदेश का कोई भी व्यक्ति बस यह कहकर विकल्प पर टिक कर सकता है कि उसके पास आधार नहीं है और असम की मतदाता सूची में नाम दर्ज करा सकता है.”

गोगोई ने चेताया कि मौजूदा प्रणाली लोगों को विभिन्न राज्यों में वोट डालने की गुंजाइश देती है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “कोई व्यक्ति उत्तर प्रदेश में वोट दे सकता है, नाम हटाकर बिहार में जोड़ सकता है, फिर वहां वोट दे सकता है, उसके बाद असम आकर यहां वोट डाल सकता है और फिर अपने गृह राज्य लौटकर दोबारा नामांकन करा सकता है. यह चुनाव सुधार नहीं, बल्कि एक संगठित वोट चोरी है”

सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का लगाया आरोप

गोगोई ने सत्तारूढ़ दल पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकारी मशीनरी का उपयोग गैर-निवासियों को असम में मतदान अधिकार देने के लिए किया जा सकता है. यदि यह प्रणाली जारी रही, तो सवाल यह नहीं रहेगा कि असम के लोग किसे सत्ता में देखना चाहते हैं, बल्कि सवाल यह होगा कि असम के भविष्य का फैसला करने के लिए किसे बाहर से लाया जा रहा है.”

सुप्रीम कोर्ट जाने की अपील

गोगोई ने कहा कि यह व्यवस्था लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करती है और असम की सांस्कृतिक-राजनीतिक पहचान पर खतरा पैदा करती है. उन्होंने विपक्षी दलों और नागरिक समाज संगठनों से एकजुट होकर इस मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय तक ले जाने की अपील की.

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