असम में पहली बार हो रहा ऐसा, 5 घोषित विदेशियों को 24 घंटे में असम छोड़ने का अल्टीमेटम, डीसी बोले - 'ये लोग हैं...'
असम में पहली बार हिमंत बिस्व सरमा सरकार ने 1950 के Immigrants Expulsion Act पर अमल करते हुए 5 घोषित विदेशी (DFN) नागरिकों को देश छोड़ने का निर्देश दिया है. इस फैसले को असम सरकार की अवैध प्रवासन के खिलाफ सख्त नीति की दिशा में एक अहम मोड़ माना जा रहा है. विदेश नागरिकों को विदेश छोड़ने का आदेश सोनितपुर जिले के डीसी ने जारी किया है. जानें इसकी वजह क्या है?
असम सरकार ने प्रदेश में रह रहे विदेशियों को देश निकाला देने के लिए जिस अप्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम, 1950 (Immigrants Expulsion Act) बनाया था, उसका पहली बार इस्तेमाल का मामला सामने आया है. सोनितपुर जिला के डीसी ने 5 घोषित विदेशियों को 24 घंटे के अंदर राज्य और पूरा देश छोड़ने का आदेश दिया है. विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा पहले ही पांचों को अवैध प्रवासी और विदेशी घोषित कर दिया था. डीसी का यह फैसला असम सरकार की अवैध प्रवासन के खिलाफ सख्त नीति की दिशा में एक अहम मोड़ माना जा रहा है.
पांचों विदेशी मौके से फरार
सोनितपुर के डीसी ने यह आदेश मंगलवार को जारी किया था. डीसी के आदेश के बाद से पुलिस कार्रवाई में जुटी है. लोकल पुलिस ने कहा कि विदेशी घोषित पांचों लोगों के ठिकाने का पता नहीं है और वे जहां रहते थे वहां से फरार हो गए हैं. स्थानीय लोगों ने पुलिस से कहा कि वे इलाका छोड़कर चले गए हैं और एक दशक से ज्यादा समय से वहां नहीं रह रहे हैं.
पुलिस के मुताबिक पांच लोगों चार महिलाएं और एक पुरुष, जो कथित तौर पर दो परिवारों से हैं की पहचान सोनितपुर जिले के धोबी काटा गांव के रहने वालों के तौर पर हुई है.
19 साल बाद आया फैसला
डिप्टी कमिश्नर (DC) आनंद कुमार दास की ओर से जारी आदेश के मुताबिक बॉर्डर पुलिस ने 2006 में उनके खिलाफ सोनितपुर में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल नंबर 2 को भेजे थे, जिसने इस साल उन्हें विदेशी घोषित करने के आदेश दिए थे. डीसी के आर्डर में कहा गया है, 'DC की राय है कि घोषित विदेशी होने के नाते असम व भारत में उनकी मौजूदगी आम जनता के हित और राज्य की अंदरूनी सुरक्षा के लिए भी नुकसानदायक है.”
सरकार कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र
डीसी के ऑर्डर में आगे कहा गया है कि अगर वे इन निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, तो सरकार उन्हें असम से हटाने के लिए उचित कार्रवाई करेगी.
सोनितपुर के एसएसपी बरुण पुरकायस्थ के मुताबिक, विदेशी घोषित पांचों लोग फरार हैं. अभी उनके ठिकाने का पता नहीं चल पाया है. हम उनकी तलाश कर रहे हैं और एक बार उनका पता चल जाने पर, हम कानून के मुताबिक उचित कार्रवाई करेंगे.'
सालों से पांचों का पता नहीं
पड़ोसी गांव के रहने वाले जाकिर हुसैन ने कहा कि स्थानीय लोगों को सालों से दोनों परिवारों के ठिकाने का पता नहीं है. उन्होंने कहा, “वे 19-20 साल पहले सेंट्रल असम में कहीं से गांव में आए और यहां बस गए. जब उन्हें शक की नजर से देखा जाने लगा तो उन्हें कुछ दिक्कतें हुईं, जिसके बाद कुछ लोकल लोगों ने बॉर्डर पुलिस को उनके बारे में बताया. वे उसी समय के आसपास वे लोग गांव छोड़कर चले गए.”
प्रवासी एक्ट 1950 सितंबर से है लागू
बता दें कि इस साल सितंबर में असम कैबिनेट ने 1950 एक्ट के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर को मंजूरी दी, जो उसी साल से बंद पड़ा है. IEAA 1950 उस समय की केंद्र सरकार का बनाया हुआ एक कानून था, जो बंटवारे के बाद के सालों में पूर्वी पाकिस्तान से माइग्रेशन को रोकने के उपायों की जरूरत के बारे में उस समय की असम सरकार के दबाव के बाद बनाया गया था.
एक्ट में कहा गया था कि अगर केंद्र सरकार की राय है कि किसी ऐसे व्यक्ति का – जो आम तौर पर भारत के बाहर किसी जगह का रहने वाला था और एक्ट के लागू होने से पहले या बाद में असम आया था - असम में रहना “भारत की आम जनता या उसके किसी हिस्से या असम में किसी अनुसूचित जनजाति के हितों के लिए नुकसानदायक है” तो उसे तय समय के अंदर असम या भारत से हटाने का निर्देश जिला प्रशासन के अधिकारी दे सकते हैं. इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार यह पावर केंद्र या असम सरकार के किसी भी अधिकारी को दे सकती है.
डिपोर्टेशन की फॉर्मल प्रक्रिया में आपसी वेरिफिकेशन के बाद दूसरे देश के अधिकारियों को सौंपना शामिल है कि कोई व्यक्ति दूसरे देश का नागरिक है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि 1950 के एक्ट के अधिकारी नियमानुसार कार्रवाई के लिए स्वतंत्र हैं.





