Sunil Gavaskar @76: दांत दर्द से परेशान, बिना सोए जब गावस्कर ने शतक और दोहरा शतक जमाया- Happy Birthday लिटिल मास्टर
क्रिकेट के लीजेंड सुनील गावस्कर का जन्मदिन है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जन्म के वक्त उनकी अदला-बदली मछुआरे के बेटे से हो गई थी? कान के पास निशान ने उनकी पहचान वापस दिलाई. क्रिकेट ने तब जाकर पाया अपना असली हीरा. टेस्ट में 10 हज़ार रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी की ज़िंदगी की ये कहानी किसी फिल्म से कम नहीं.;
भारत के दिग्गज़ पूर्व क्रिकेटर और कमेंटेटर सुनील मनोहर गावस्कर का आज जन्मदिन है. उनसे जुड़ी क्रिकेट की कई कहानियां मशहूर हैं, जैसे कि जन्म के समय अस्पताल में मछुआरे के बच्चे के साथ उनकी अदला-बदली हो गई थी. उनके कान पर जन्म के निशान को देख चुके चाचा जब दूसरे दिन अस्पताल आए तो उन्हें बच्चे के कान के नीचे वो ही निशान नहीं दिखे तब यह ग़लती पकड़ी गई. कुछ समय बाद गावस्कर वापस मिल गए और दुनिया को मिला क्रिकेट का एक नायाब हीरा.
गावस्कर टेस्ट क्रिकेट में 10 हज़ार रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज़ बने. ढेर सारे रिकॉर्ड अपने नाम किए. इतना ही नहीं बल्लेबाज़ी की उनकी तकनीक इतनी मज़बूत थी कि क्रिकेट से रिटायर होने के 38 साल बाद भी कई युवा खिलाड़ी जब ऑउट ऑफ़ फ़ॉर्म हो जाते हैं तो उनसे बैटिंग की सलाह लेना नहीं भूलते हैं. पर आज हम आपको हम आपको सुनील गावस्कर की वो कहानी बताने जा रहे हैं जो शायद ही आपने सुनी हो.
तेज़ दांत दर्द के साथ शतक और दोहरा शतक
एजबेस्टन टेस्ट में शुभमन गिल (430 रन) ने एक टेस्ट मैच में सबसे अधिक रन बनाने का सुनील गावस्कर (344 रन) का 49 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा है. शुभमन गिल की इस पारी की खूब चर्चा भी हो रही है. तो ज़रा सोचिए गावस्कर ने जब 1971 में वेस्ट इंडीज़ दौरे पर उसके खूंखार गेंदबाज़ों के सामने पहली पारी में 124 रन और दूसरी में 220 रन बनाए थे, तब उसकी कितनी चर्चा हुई होगी. पर पोर्ट ऑफ़ स्पेन का वो टेस्ट मैच गावस्कर के लिए एक ओर जहां ख़ुशी और रिकॉर्ड का अंबार लेकर आया वहीं दूसरी ओर उस टेस्ट मैच के सभी छह दिन (तब टेस्ट मैच छह दिनों का हुआ करता था) गावस्कर दर्द से कराहते रहे और रात को लगभग बग़ैर सोए हर दिन पिच पर उतरते रहे. चलिए आपको भी बताते हैं वो पूरी कहानी जिसका ज़िक्र ख़ुद अपनी किताब सनी डेज़ में गावस्कर ने किया है.
बर्फ़ का टुकड़ा दांत के सुराख में फंस गया, और फिर...
पोर्ट ऑफ़ स्पेन की दोपहर नेट प्रैक्टिस के बाद उमस से परेशान सुनील गावस्कर जब ड्रेसिंग रूम पहुंचे तो तेज़ प्यास लग रही थी. उनकी नज़रें प्यास बुझाने के लिए ठंडे पानी तलाश रही थीं. तभी अशोक मांकड़ के पास से होते हुए कुछ लड़के ड्रिंक्स ट्रे लेकर उनकी ओर बढ़े. कंठ प्यास से सूखा जा रहा था तो गावस्कर से पानी पीने का बहुत इंतज़ार नहीं हो सका और उन्होंने मांकड़ को जग से ही पानी सीधे उनके मुंह में डालने कहा.
गावस्कर लिखते हैं, “मुझे अपने इस कदर बेचैन होने का ख़ामियाजा तुरंत ही भुगतना पड़ा. पानी के साथ मुंह में गया बर्फ़ का एक छोटा टुकड़ा मेरे दांत के सुराख में फंस गया. मेरे दांत में वो सुराख तो बहुत पहले से था पर अब तक उसने मुझे परेशान नहीं किया था तो मैंने भी उसे वैसे ही पड़े रहने दिया था. पर उस दिन जैसे जैसे वो बर्फ़ पिघलता गया मेरे दांत में दर्द होने लगा और यह लगातार तेज़ होता गया.” गावस्कर को लगा कि वो दर्द कुछ देर में ठीक हो जाएगा पर दर्द बढ़ता ही गया. वो लिखते हैं, “मैं रात भर कराहता रहा और कमरे में सो रहे विश्वनाथ मेरी आवाज़ से परेशान होते रहे.”
टॉस में हुई गड़बड़ी
अगले दिन से मैच शुरू हो रहा था. गावस्कर रात भर सोए नहीं थे और दर्द में भी कोई कमी नहीं आई थी. कप्तान अजित वाडेकर टॉस करने गए तो वहां टॉस को लेकर एक गड़बड़ी हो गई. वाडेकर और वेस्ट इंडीज़ के कप्तान गैरी सोबर्स दोनों को लगा कि टॉस उन्होंने जीता है. छह दिनों के टेस्ट मैच में टॉस बहुत अहम होता है. गैरी सोबर्स ने खेल भावना दिखाते हुए टॉस का निर्णय वाडेकर को करने दिया. और वाडेकर ने पहले बल्लेबाज़ी ले ली.
गावस्कर लिखते हैं, “वाडेकर का टॉस जीतना मेरे लिए और मुश्किल ले कर आया क्योंकि पारी की शुरुआत मुझे करनी थी. पिच पर गेंद दोनों ओर घूम रही थी. सैयद आबिद अली (10 रन) जल्दी आउट हो गए. वाडेकर आए तो बाउंसर से उनका स्वागत किया गया. लंच से पहले वाडेकर (28 रन) भी आउट हो गए.”
मराठी में लॉयड से बोले सरदेसाई
इसके बाद गावस्कर ने दिलीप सरदेसाई के साथ शतकीय साझेदारी निभाई. उसी दौरान गावस्कर ने देखा कि दिलीप सरदेसाई के पैड का फ़ीता ढीला हो गया तो उन्होंने उसे बांध लेने की सलाह दी. सरदेसाई ने पास ही में वेस्ट इंडीज़ के क्लाइव लॉयड को देखा तो उनसे मराठी में फ़ीता बांधने को बोले. फिर जब दिलीप को अपनी ग़लती का अहसास हुआ तो उन्होंने वापस अंग्रेज़ी में उनसे आग्रह किया.
हालांकि जल्द ही दिलीप सरदेसाई (75 रन) आउट हो गए के बाद जल्दी जल्दी गुंडप्पा विश्वनाथ (22 रन), एम जयसिम्हा (शून्य) और एकनाथ सोलकर (3 रन) बना कर आउट हो गए.
पहली पारी में शतक जमाया
इस दौरान गावस्कर को जब जब रन लेने के लिए दौड़ना पड़ता उनके दांत का दर्द और बढ़ जाता. हालांकि वो लिखते हैं कि “इससे गेंद पर प्रहार करने की मेरी सहज प्रक्रिया बहुत पैनी हो गई. जैसे ही मैंने 90 का स्कोर पार किया विश्वनाथ और जयसिम्हा जल्दी-जल्दी आउट हो गए. लेकिन मैंने अपना शतक पूरा किया और दिन का खेल ख़त्म होने तक मेरे 102 रन बन गए थे.”
टीम मैनेजर ने दांत उखड़वाने से मना किया
पहले दिन का खेल ख़त्म होने के बाद गावस्कर ने जब टीम मैनेजर केकी तारापोर से दांत उखड़वाने की बात कही तो उन्होंने साफ़ मना कर दिया. वो बोले, “टेस्ट के दौरान नहीं, और न कोई पेन किलर और न ही कोई इंजेक्शन लेनी है, उनसे पिच पर नींद आएगी.”
अगली सुबह जब गावस्कर और एकनाथ सोलकर बैटिंग के लिए उतरे तो सोलकर ने उनसे मज़ाक में कहा कि “मेरी बल्लेबाज़ी देखकर सीखना.” पर सोलकर केवल तीसरी गेंद पर ही आउट हो गए. इसके बाद गावस्कर भी 124 रन बना कर आउट हो गए और श्रीनिवास वेंकटराघवन की अर्धशतकीय पारी की बदौलत भारत ने पहली पारी में 360 रन बनाए.
जवाब में वेस्ट इंडीज़ ने चार्ल्स डेविस और कप्तान गैरी सोबर्स के शतक और मॉरिस फोस्टर की 99 रनों की पारियों की बदौलत 526 रन बना कर 166 रनों का लीड ले लिया.
मैच के बीच में दर्शक ने गावस्कर से लगाई शर्त
इसी बीच जब फ़ोस्टर 99 पर खेल रहे थे तो एक और मज़ेदार वाकया हुआ. गावस्कर लिखते हैं, “जब फ़ोस्टर 99 पर बैटिंग कर रहे थे तो मैं थर्ड मैन बाउंड्री पर फ़ील्डिंग कर रहा था. तभी एक दर्शक मेरे पास दौड़ता हुआ आया और मुझसे शर्त लगाई कि फ़ोस्टर शतक पूरा नहीं कर सकेंगे. अगर फ़ोस्टर ने शतक बनाया तो उसने 100 डॉलर मुझे देने का वादा किया, अगर फ़ोस्टर 99 पर आउट हो गए तो मुझे 100 डॉलर उसे देने होंगे. उस पारी में फ़ोस्टर 99 पर ही आउट हो गए. जब मैं टीब्रेक में पवेलियन वापस आया तो मैंने 100 डॉलर लिए और उसे दे दिए.”
दांत दर्द से गावस्कर ठीक से कुछ खा भी नहीं रहे थे लिहाजा जब भारत ने दोबारा बल्लेबाज़ी की तो उन्हें कमज़ोरी हो रही थी. अब तक वो कई रात लगभग बिना सोए गुज़ार चुके थे. पिच पर उतरते ही आबिद अली केवल तीन रन बना कर आउट हो गए. गावस्कर ने कप्तान वाडेकर के साथ दूसरे विकेट के लिए 148 रनों की साझेदारी निभाई. वाडेकर 54 रन बनाकर आउट हुए. फिर गावस्कर ने दूसरी पारी में भी अपना शतक पूरा किया.
सुनील गावस्कर तब टेस्ट की दोनों पारियों में शतक जमाने वाले भारत के केवल दूसरे बल्लेबाज़ थे. गावस्कर से 24 साल पहले विजय हज़ारे, सर डॉन ब्रैडमैन के नेतृत्व वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम के ख़िलाफ़ दोनों पारियों में शतक जमाने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर थे.
सरदेसाई ने गावस्कर को ये सलाह दी
जब गावस्कर ने शतक पूरा किया तो दिलीप सरदेसाई ने पास आकर उन्हें एक सलाह दी. गावस्कर लिखते हैं, “जब मैंने उस टेस्ट में दूसरा शतक पूरा किया तो दूसरी छोर से दिलीप सरदेसाई मेरे पास आए, मुझे बधाई दी और एक सलाह भी दे डाले. वो बोले – मैं जानता हूं तुम अच्छे से नहीं सो रहे हो, तो विकेट पर सो जाओ और आउट नहीं होना. लेकिन दिलीप मेरे साथ बहुत देर तक पिच पर नहीं रहे. फिर मैंने और विश्वनाथ ने मिलकर 99 रन जोड़े. पांचवें दिन मैं 180 रन बनाकर नाबाद था.”
छठे दिन जब दोहरा शतक लगा
छठे दिन जब गावस्कर उठे तो उन्हें अंदर से ख़ुशी महसूस हो रही थी. वो लिखते हैं, “ये ख़ुशी इस बात की नहीं थी कि मैं दोहरा शतक बनाने के कगार पर था बल्कि इसलिए क्योंकि यह छठा दिन था और अब मैं अपने दांत को उखड़वा सकता था. एक कवर ड्राइव शॉट के साथ मैंने अपना दोहरा शतक पूरा किया. स्टैंड से दर्शक दौड़ते हुए मैदान में पहुंचे और मुझे कंधे पर उठा लिया. एक भारतीय दर्शक ने मेरे हाथ में तिरंगा थमा दिया. वो दर्शक मेरे चारो ओर घूम घूम कर नाच रहे थे. यह बिल्कुल दिल को छूने वाला दृश्य था. लेकिन मुझे साथ ही थोड़ा डर भी लग रहा था क्योंकि जश्न के नशे में वो दर्शक अपने होश में नहीं थे. मुझे डर ये लग रहा था कि अगर किसी ने मेरे मसूड़े को छू दिया तो मैं परेशानी में पड़ जाता.
हालांकि ऐसा हुआ नहीं पर उन्होंने मुझे अपने कंधों से तेज़ी से नीचे उतारा तो ज़ोर का झटका लगा. इससे न केवल मेरा वो दांत बल्कि पूरा का पूरा जबड़ा हिल गया. पर दोहरा शतक जमाने की ख़ुशी ने दर्द को कुछ हल्का कर दिया." गावस्कर तब क्रिकेट में केवल दूसरे ऐसे बल्लेबाज़ बने थे जिन्होंने एक टेस्ट की दो पारियों में शतक औऱ दोहरा शतक जमाया था. उनसे पहले ऑस्ट्रेलिया केडी वॉल्टर्स ने भी वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ सिडनी टेस्ट 1968-69 में ऐसा किया था.
पर वो टेस्ट ड्रॉ पर छूटा
इसके बाद गावस्कर 220 रन बनाकर आउट हो गए और स्टेडियम में मौजूद सभी लोगों ने खड़े होकर उनका सम्मान किया. गावस्कर इसे देखकर भावुक हुए और साथ ही उन्हें इस बात की ख़ुशी थी कि अब उनके दांत का इलाज हो जाएगा. पवेलियन लौटते ही उन्हें फ़ौरन दांत उखड़वाने के लिए ले जाया गया.
भारत ने दूसरी पारी में 427 रन बनाकर वेस्ट इंडीज़ के सामने जीत के लिए 262 रनों का लक्ष्य रखा. लेकिन जो वेस्ट इंडीज़ पूरे टेस्ट में भारतीय टीम पर भारी पड़ रही थी उसकी दूसरी पारी लड़खड़ा गई और 165 रन बनने तक उसने आठ विकेट गंवा दिए. लेकिन अंत में वह टेस्ट मैच ड्रॉ हो गया और भारत पांच मैचों की यह टेस्ट सिरीज़ 1-0 से जीत गया क्योंकि भारत इसी वेन्यू पर हुआ दूसरा टेस्ट जीत चुका था.
गावस्कर के रिकॉर्ड को तोड़ने के क़रीब हैं शुभमन गिल
उस टेस्ट के वर्षों बाद एक कार्यक्रम में गावस्कर से जब उस दिन के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “जब आप अपने देश के लिए खेल रहे होते हैं, तो ऐसा ही होता है. आप बाहरी चीज़ों को भूल जाते हैं- दर्द, थकान, या कुछ और जो आपको परेशान कर सकता है, उन सभी को आप भूल जाते हैं क्योंकि देश के लिए खेलना ही सबसे बड़े गौरव की बात होती है. उस दिन यही सोच मुझे आगे बढ़ाती रही क्योंकि तब मुझे यह अहसास था कि मैं फ़ॉर्म में हूं और टीम को मेरी ज़रूरत है."
साथ ही गावस्कर ने ये भी कहा, “हमने वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ पहली बार कोई सिरीज़ जीती. पूरी टीम के लिए यह बहुत ख़ुशी और गर्व से भरा पल था. लेकिन उस जीत के साथ ही उम्मीदों का दबाव भी हमारे कंधों पर आ गया.” गावस्कर ने अपनी उस पहली सिरीज़ में ही चार मैचों की आठ पारियों में तीन शतक, एक दोहरा शतक समेत 154.80 की औसत से 774 रन बनाए थे, जो आज भी एक रिकॉर्ड है. इस समय इंग्लैंड में खेल रहे टीम इंडिया के वर्तमान कप्तान शुभमन गिल, सुनील गावस्कर के उसी रिकॉर्ड को तोड़ने के बहुत क़रीब पहुंच गए हैं.