Sourav Ganguly @53: डर को हराया, टीम को तराशा; एक कप्तान जिसने भारत को विदेशी ज़मीन पर जीतना सिखाया
भारतीय क्रिकेट के सबसे आक्रामक और करिश्माई कप्तानों में गिने जाने वाले सौरव गांगुली ने ना सिर्फ टीम इंडिया को नई पहचान दी, बल्कि युवाओं को मौका देकर भविष्य भी गढ़ा. कप्तान, बल्लेबाज, प्रशासक और प्रेरणा दादा की कहानी हर भारतीय के लिए गर्व का कारण है. जानिए उनकी जिंदगी, करियर, लव लाइफ और नेटवर्थ की पूरी कहानी.

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली आज 8 जुलाई 2025 को अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं. 'दादा' के नाम से मशहूर सौरव गांगुली ने मैदान पर जो जज़्बा दिखाया, उसने भारतीय क्रिकेट को नई पहचान दी. लेकिन मैदान से बाहर भी उनकी ज़िंदगी उतनी ही रोचक रही है. कभी निजी रिश्तों की सुर्खियों में, तो कभी करोड़ों की संपत्ति को लेकर...
8 जुलाई 1972 को कोलकाता के एक समृद्ध ब्राह्मण परिवार में जन्मे सौरव गांगुली बचपन से ही रॉयल लाइफ जीते आए. उनके पिता चंडीदास गांगुली प्रिंटिंग के बड़े व्यवसायी थे. शुरू में सौरव का झुकाव फुटबॉल की ओर था, लेकिन बड़े भाई स्नेहाशिष गांगुली के क्रिकेट प्रेम ने उन्हें भी इस खेल की ओर खींच लिया. गली क्रिकेट से शुरू हुआ यह सफर जल्द ही स्कूल टूर्नामेंट्स, फिर बंगाल टीम और आखिरकार भारतीय क्रिकेट टीम तक पहुंच गया.
क्रिकेट की दुनिया में धमाकेदार एंट्री
1992 में जब सौरव ने वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे डेब्यू किया, तो वो ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पाए. लेकिन 1996 में लॉर्ड्स टेस्ट में 131 रनों की शानदार पारी ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया. फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उनका बल्लेबाजी स्टाइल ग्रेसफुल था लेकिन उनका इरादा हर बार मजबूत होता था. उनका उद्देश्य था रन बनाना और टीम को जीत दिलाना.
जब भारतीय क्रिकेट को मिला एक योद्धा
2000 में जब भारतीय टीम मैच फिक्सिंग के आरोपों से घिरी हुई थी, तब सौरव गांगुली को टीम की बागडोर सौंपी गई. उन्होंने न सिर्फ टीम में नई जान फूंकी, बल्कि युवराज, सहवाग, हरभजन, जहीर और धोनी जैसे खिलाड़ियों को मौका देकर टीम को मजबूत नींव दी. 2003 वर्ल्ड कप का फाइनल और 2002 की नेटवेस्ट ट्रॉफी जीत उनकी कप्तानी के सुनहरे पन्ने हैं.
डर के आगे जीत है
2002 की नेटवेस्ट ट्रॉफी का फाइनल कौन भूल सकता है जब गांगुली ने लॉर्ड्स की बालकनी में अपनी जर्सी लहराकर जीत का जश्न मनाया था. वह लम्हा सिर्फ एक जीत नहीं थी, बल्कि भारत के क्रिकेट आत्मविश्वास की वापसी थी. गांगुली का रवैया था- 'डर के आगे जीत है' और उन्होंने भारतीय टीम को वही सिखाया.
धोनी, युवराज और सहवाग जैसे सितारों की खोज
गांगुली सिर्फ कप्तान नहीं, बल्कि एक दृष्टा भी थे. उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी को दिनेश कार्तिक पर प्राथमिकता दी और धोनी आगे चलकर भारत के सबसे सफल कप्तान बने. गांगुली की नजरों ने जिन खिलाड़ियों को तराशा, वही भारत की 2007 और 2011 वर्ल्ड कप टीम की रीढ़ बने. रोहित शर्मा को कप्तान बनाना भी गांगुली के कार्यकाल में ही तय हुआ था, जिसके नतीजे टी20 वर्ल्ड कप 2024 और चैंपियंस ट्रॉफी 2025 की जीत के रूप में सामने आए.
नगमा के साथ अफेयर और ब्रेकअप
सौरव गांगुली की लव लाइफ भी खूब चर्चा में रही. जब सौरव क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ रहे थे, तभी उनका नाम एक्ट्रेस नगमा से जुड़ा. खबरों के मुताबिक, दोनों ने करीब दो साल तक एक-दूसरे को डेट किया। सौरव पर यह भी आरोप लगे कि वह अपनी पत्नी डोना को तलाक देना चाहते थे, लेकिन बात बढ़ने से पहले उन्होंने पीछे हटना बेहतर समझा. 2001 में दोनों का ब्रेकअप हो गया, और सौरव अपनी फैमिली लाइफ में लौट आए. सौरव बाद में अपनी पत्नी डोना के साथ रहे और उनकी एक बेटी सना है.
रिटायरमेंट से लेकर BCCI अध्यक्ष तक का सफर
2008 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद गांगुली ने क्रिकेट को अलविदा कहा, लेकिन 2019 में बीसीसीआई अध्यक्ष बनकर उन्होंने खेल से फिर नाता जोड़ा. उनके कार्यकाल में भारत ने मजबूत घरेलू ढांचा, आईपीएल का और विस्तार और खिलाड़ियों के अधिकारों पर खास ध्यान दिया.
113 टेस्ट और 311 वनडे मैच खेले
दादा ने 113 टेस्ट में 7212 रन और 311 वनडे में 11,363 रन बनाए. वनडे में 22 शतक और 72 अर्धशतक, जबकि टेस्ट में 16 शतक उनके नाम हैं. वनडे में सचिन तेंदुलकर के साथ उनकी जोड़ी ने 6609 रन बनाकर इतिहास रच दिया, जो आज भी एक कीर्तिमान है. उनकी बल्लेबाजी स्टाइल में एक खास आकर्षण था- सौम्यता में लिपटी आक्रामकता.
कितनी है दादा की संपत्ति?
क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद भी सौरव गांगुली की कमाई में कोई कमी नहीं आई. आज उनकी कुल नेटवर्थ लगभग 700 करोड़ रुपये है। कोलकाता में उनका 7 करोड़ का पुश्तैनी बंगला है और लंदन में भी एक फ्लैट है. साथ ही उन्होंने कई कंपनियों में निवेश किया है और ब्रांड एंडोर्समेंट से भी मोटी कमाई करते हैं. सौरव गांगुली को लग्जरी कारों का शौक है. उनके पास ऑडी, बीएमडब्ल्यू और मर्सिडीज जैसी गाड़ियां हैं. वे ‘माय सर्कल 11’, ‘डाबर’, और ‘सेन्को गोल्ड’ जैसे ब्रांड्स का प्रचार करते हैं, जो उनकी कमाई का एक बड़ा स्रोत हैं. BCCI अध्यक्ष रहते हुए भी उन्होंने बड़े फैसले लेकर खुद को निर्णायक प्रशासक के रूप में स्थापित किया.
मैदान पर लड़ा हर एक मुकाबला
गांगुली की कप्तानी में भारत ने विदेशों में जीतना सीखा, टीम को आत्मविश्वास मिला और आक्रामकता की नई परिभाषा गढ़ी गई. 2000 से 2005 तक के कार्यकाल में भारत ने 49 टेस्ट में 21 जीते और 147 वनडे में 76 फतह हासिल की. सौरव गांगुली केवल एक कप्तान नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट की रीढ़ बन चुके एक युग का नाम हैं. उन्होंने भारतीय क्रिकेट को नए मायने दिए, खिलाड़ियों को आत्मबल दिया और दुनिया को दिखाया कि भारत सिर्फ खेलता नहीं, जीतना भी जानता है.