कमबैक के किंग मास्टर है विराट, जब आया खराब दौर तब-तब बल्ले से लिखा नया इतिहास

Virat kohli: कमबैक के किंग विराट ने साबित कर दिया है कि असली खिलाड़ी वही है, जो न केवल जीतता है बल्कि अपने संघर्ष और मेहनत से खुद को हर बार बेहतर बनाता है.;

Virat Kohli

विराट कोहली का नाम भारतीय क्रिकेट में उस ध्रुव तारे जैसा है, जो कभी अपनी चमक नहीं खोता. अपनी लगन और मेहनत से विराट ने हर मुश्किल दौर को पार कर एक नया इतिहास रचा है. हालांकि, किसी भी खिलाड़ी के करियर में ऐसा समय आता है, जब उनके प्रदर्शन में गिरावट देखी जाती है. विराट ने भी कई बार फॉर्म में गिरावट का सामना किया है, लेकिन हर बार उन्होंने शानदार वापसी कर अपने आलोचकों को जवाब दिया है. उन्हें ‘कमबैक का किंग’ कहना गलत नहीं होगा, क्योंकि विराट ने अपने बल्ले से बार-बार यह साबित किया है कि उनके अंदर खेल के प्रति समर्पण और जुनून का स्तर बेहद ऊंचा है.

विराट का मुश्किल दौर और वापसी की दास्तान

हाल के समय में कई बार विराट के प्रदर्शन को लेकर सवाल उठे हैं. न्यूजीलैंड के खिलाफ 3 मैचों की टेस्ट सीरीज में भारत की हार ने विराट और रोहित जैसे सीनियर बल्लेबाजों के खेल को लेकर चर्चा शुरू कर दी. आलोचकों का मानना है कि वर्तमान पीढ़ी के क्रिकेटरों ने घरेलू टूर्नामेंट जैसे रणजी ट्रॉफी और दलीप ट्रॉफी में भाग लेना छोड़ दिया है, जिससे उनके खेल में निरंतरता की कमी महसूस हो रही है. विराट कोहली, जो एक समय में घरेलू क्रिकेट में भी अपने बल्ले का जलवा दिखा चुके हैं, को इस कारण आलोचना का सामना करना पड़ता है.

पुराने दौर के खिलाड़ियों का समर्पण

आज के दौर में ‘वर्कलोड मैनेजमेंट’ एक बड़ा मुद्दा बन गया है. शीर्ष खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक खेलने के कारण आराम दिया जाता है, लेकिन पुराने खिलाड़ियों का समर्पण आज भी मिसाल है. सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, और जहीर खान जैसे खिलाड़ी अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद घरेलू मैचों में खेलते थे. उदाहरण के लिए, साल 2007 में भारतीय टीम का दक्षिण अफ्रीका दौरा समाप्त होने के तुरंत बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज हुई. इसके बावजूद, सचिन, गांगुली और जहीर रणजी ट्रॉफी में खेलने के लिए उपलब्ध रहे और उन्होंने अपने राज्य की टीमों के लिए प्रदर्शन किया.

विराट का संघर्ष 

विराट कोहली का करियर सिर्फ उनके शानदार आंकड़ों के लिए ही नहीं, बल्कि उनके संघर्ष और दृढ़ता के लिए भी जाना जाता है. जब विराट का खेल गिरता है, तो वे उस पर कड़ी मेहनत करते हैं और दोबारा शीर्ष पर लौटते हैं. उन्होंने हर मुश्किल परिस्थिति में अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास किया है. इस दौरान विराट ने घरेलू क्रिकेट में भी अपनी छाप छोड़ी है, लेकिन मौजूदा पीढ़ी में इस पहलू को लेकर बदलाव दिखता है. विराट का मैदान पर जुनून और उनकी वापसी की इच्छाशक्ति उन्हें अपने समकालीनों से अलग बनाती है.

कमबैक का जादू 

विराट कोहली की वापसी हर बार भारतीय क्रिकेट में एक नई ऊर्जा लेकर आती है. विराट के कमबैक की कहानियां केवल उनका व्यक्तिगत सफर नहीं हैं, बल्कि यह भारतीय क्रिकेट के लिए एक प्रेरणा का स्रोत हैं. जब भी उनके बल्ले से रन निकलते हैं, उनके खेल में एक नयापन और आत्मविश्वास झलकता है. उनके अनुभव और उनकी मानसिक शक्ति ने उन्हें कई बार मुश्किलों से निकाला है और उनके कमबैक ने भारतीय क्रिकेट में एक नई उम्मीद की किरण दी है.

विराट कोहली की उपलब्धियां और उनकी वापसी की गाथाएं सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह एक ऐसे खिलाड़ी की कहानी है जो हर चुनौती को अपने खेल से जीतता है. 

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