बुमराह और सिराज 32 के क़रीब, शमी 34 तो ईशांत 36 के... टीम इंडिया को नए चेहरों की तलाश, कौन भरेगा तेज गेंदबाजी का संकट?
इंग्लैंड दौरे से पहले टीम इंडिया के तेज गेंदबाजी आक्रमण के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. सीनियर पेसर जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज या तो चोटिल हैं या वर्कलोड मैनेजमेंट में हैं. बीसीसीआई को उनके समय पर फिट होने की उम्मीद है, लेकिन चयनकर्ता बैकअप के तौर पर आकाश दीप, अंशुल कम्बोज और उमरान मलिक जैसे विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. इस स्थिति ने पुराने दौर की याद दिला दी है, जब कपिल देव जैसे खिलाड़ी लंबे समय तक फिट रहते थे.;
आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट रैंकिंग में नंबर-1 गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह, इंग्लैंड में ज़ोरदार प्रदर्शन कर सबकी आंखों का तारा बने मोहम्मद सिराज़ और मोहम्मद शमी अपनी सटीक स्विंग करती सटीक गेंदबाज़ी की बदौलत टेस्ट और वनडे दोनों फ़ॉर्मेट में पिछले कई वर्षों से भारतीय टीम के तेज़ गेंदबाज़ी डिपार्टमेंट की अगुवाई कर रहे हैं, लेकिन पिछले दो सालों के दौरान बुमराह और मोहम्मद शमी बहुत अधिक चोटिल भी हुए हैं.
शमी जून 2023 के बाद से ही चोट और फिटनेस की समस्याओं की वजह से टीम से बाहर हैं... तो बुमराह इंग्लैंड में इसी महीने की शुरुआत में समाप्त हुई सीरीज़ में अपनी धारदार गेंदबाज़ी से अधिक केवल इसलिए चर्चा में रहे क्योंकि टीम मैनेजमेंट को उनका वर्कलोड कम करने के लिए उन्हें मैच में उतारने की जगह आराम देने की अधिक फ़िक़्र थी, ताकि वो दोबारा चोटिल न हों.
एंडी रॉबर्ट्स ने बताया था- क्यों चोटिल हो रहे आज के तेज़ गेंदबाज़
एक समय था जब तेज़ गेंदबाज़ नेट्स में भी उतना ही पसीना बहाया करते थे, जितना कि मैदान में टेस्ट मैचों के दौरान. वेस्टइंडीज़ के तेज़ गेंदबाज़ एंडी रॉबर्ट्स ने एक बार आज के तेज़ गेंदबाजों के चोटिल होने की वजह बताई थी. उनका कहना था कि उनके दौर में एक गेंदबाज़ जितनी गेंदबाज़ी मैदान में टेस्ट मैच के दौरान करता था उससे अधिक पसीना नेट्स पर अभ्यास के दौरान बहाया करता था. उनके समय में खिलाड़ी जिम में नहीं मैदान के चक्कर लगा कर अपनी फ़िटनेस बनाया करते थे और आज की तुलना में कम से कम चोटिल भी होते थे.
बुमराह का तीन टेस्ट खेलना पहले से था तय
इंग्लैंड के दौरे पर जाने से पहले ही यह तय हो गया था कि बुमराह केवल तीन टेस्ट ही खेलेंगे. एजबेस्टन और ओवल टेस्ट के बहुत अहम होने के बावजूद बुमराह को पहले से तय फ़ैसले के मुताबिक़ इन दोनों ही टेस्ट मैचों में नहीं उतारा गया. बेशक बुमराह दुनिया के नंबर-1 गेंदबाज़ हैं और माइकल क्लार्क जैसे ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान भी उनके बारे में कहते हैं कि बुमराह जैसे खिलाड़ी का टीम में होना बहुत मायने रखता है. उन्हें दुनिया का कोई भी कप्तान अपनी टीम में शामिल करना चाहेगा पर एक और उनके चोटिल होने का ख़तरा तो दूसरी तरफ़ बढ़ती उम्र से अब वो समय आ गया है कि उनके विकल्प की बीसीसीआई को तलाश करनी होगी. न केवल बुमराह बल्कि भारतीय टीम के अन्य सभी सीनियर गेंदबाज़ 32 या उससे ऊपर की उम्र के हो चले हैं.
किस गेंदबाज़ की कितनी उम्र?
बुमराह और सिराज 32 साल के होने वाले हैं. अगले महीने मोहम्मद शमी 35 के तो ईशांत शर्मा 37 के हो जाएंगे. वहीं 2023 के बाद से टेस्ट के लिए नहीं बुलाए गए उमेश यादव अक्टूबर में 38 साल के हो जाएंगे. वहीं 2018 के बाद से भुवनेश्वर कुमार को टेस्ट मैचों के लिए नहीं बुलाया गया है जो 35 साल के हैं. ईशांत 2021 के बाद से तो मोहम्मद शमी ने 2023 के बाद से कोई टेस्ट नहीं खेले हैं. मोहम्मद शमी, ईशांत शर्मा, भुवनेश्वर कुमार और उमेश यादव को बीसीसीआई ने सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट की सूची से भी बाहर रखा है. लिहाजा बीसीसीआई को बुमराह के साथ-साथ सिराज के भी वर्कलोड को कम करने के लिए नए विकल्पों की तलाश करने में और तेज़ी दिखानी होगी.
ईशांत, शमी, बुमराह और सिराज का रिकॉर्ड
2007 में टेस्ट करियर शुरू करने वाले ईशांत शर्मा ने अब तक 105 टेस्ट मैचों की 188 पारियों में 311 विकेट लिए हैं. वहीं 80 वनडे में ईशांत ने 115 विकेट चटकाए हैं. 100 या उससे अधिक टेस्ट मैच खेलने वाले ईशांत (कपिल देव के बाद) केवल दूसरे भारतीय गेंदबाज़ हैं. 2013 में टेस्ट करियर शुरू करने वाले मोहम्मद शमी ने 64 टेस्ट मैचों की 122 पारियों में 27.7 की औसत से 229 विकेट लिए हैं. वहीं 108 वनडे मैचों में उनके नाम 206 विकेट दर्ज हैं.
बात अगर बुमराह की करें तो उनका टेस्ट करियर 2018 में शुरू हुआ था और इन सात सालों में उन्होंने 48 टेस्ट मैचों की 91 पारियों में 19.8 की औसत से 219 विकेट लिए हैं. बुमराह ने 98 वनडे में 149 विकेट भी चटकाए हैं. वहीं, मोहम्मद सिराज ने 2020 में टेस्ट करियर की शुरुआत करने के बाद से अब तक 41 मैचों की 76 पारियों में 31.1 की औसत से 123 विकेट लिए हैं. तो 44 वनडे में उनके नाम 71 विकेट दर्ज हैं.
बुमराह, सिराज के अलावा गेंदबाज़ी में पैनेपन का अभाव
इंग्लैंड में इसी महीने समाप्त हुई तेंदुलकर एंडरसन-सिरीज़ को ही देखें तो केवल तीन टेस्ट मैचों के बाद ही भारत की पेस बैटरी मंद पड़ने लगी थी. 28 साल के आकाश दीप चोटिल होकर ओल्ड ट्रैफ़र्ड टेस्ट से बाहर हो गए तो 26 साल के अर्शदीप सिंह भी चोट की वजह से टेस्ट में डेब्यू नहीं कर सके वहीं 22 साल के नीतीश रेड्डी को घुटने में ऐसी चोट लगी कि उन्हें भारत वापस आना पड़ गया. ये सभी वो गेंदबाज़ हैं जिन्हें बीसीसीआई ने नए विकल्पों के रूप में मौक़ा दिया है. इन गेंदबाज़ों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभी शुरुआत ही है पर बुमराह और सिराज की तुलना में युवा होने के बावजूद ये चोटिल हो रहे हैं.
23 वर्षीय हर्षित राणा ने पिछले साल ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर टेस्ट में डेब्यू किया था. दो टेस्ट भी खेले थे. पर इंग्लैंड के दौरे के लिए टीम में उनका चयन नहीं हुआ था. वो इंडिया ए टीम के साथ इंग्लैंड में ही थे, जब पहले टेस्ट के लिए उन्हें बैकअप के तौर पर रखा गया था पर राणा को टीम के साथ लीड्स से बर्मिंघम नहीं ले जाया गया. हेड कोच गौतम गंभीर की ओर से ये संकेत दिया गया कि टीम में कोई चोटिल नहीं है तो बैकअप की ज़रूरत फ़िलहाल नहीं है. हालांकि जब टीम के कई खिलाड़ी चोटिल हुए, तब भी हर्षित राणा की जगह अंशुल कंबोज को बुलाया गया.
डेब्यू के बाद के टेस्ट मैचों में प्रभावहीन दिखे आकाश
आकाश दीप ने एजबेस्टन में अपने डेब्यू टेस्ट में कमाल किया. पर लॉर्ड्स में उनके प्रदर्शन में एजबेस्टन टेस्ट की छाप भर दिखी. ओल्ड ट्रैफ़र्ड में मामूली सी चोट की वजह से नहीं खेल सके. जब ओवल टेस्ट के लिए टीम में लौटे तो उनकी तेज़ी और सटीक गेंदबाज़ी पूरी तरह से गुम हो चुकी थी. जिन गेंदबाज़ों को मौक़ा दिया गया उनमें प्रसिद्ध कृष्णा भी शामिल थे.
आईपीएल 2025 में सबसे अधिक विकेट चटका कर ऑरेंज कैप हासिल करने वाले कृष्णा शुरुआती मैचों में बिल्कुल निस्तेज (प्रभावहीन) दिखे. बस ओवल में उन्होंने थोड़ी बेहतर गेंदबाज़ी की. पर कृष्णा की उम्र भी 28 साल है. यानी युवा गेंदबाज़ों में उनकी गिनती नहीं की जा सकती है. शार्दुल ठाकुर को इंग्लैंड में प्रभावहीन गेंदबाज़ी के कारण बाहर बिठाना पड़ा और संभव है कि यह उनका आखिरी टेस्ट सीरीज़ भी हो. वैसे भी वो जल्द ही 34 साल के हो जाएंगे.
जिन विकल्पों पर नज़र, उनमें धार की कमी
वहीं आनन-फानन में इंग्लैंड बुला कर ओवल में डेब्यू कराए गए कंबोज में न तो तेज़ी दिखी न ही वो डेफ़्थ ही दिखा जिसकी तलाश थी. इंग्लैंड की पिचों पर उनकी गेंदें मुश्किल से 130 किलोमीटर की तेज़ी तक ही पहुंच सकी. बता दें कि टेस्ट क्रिकेट में तेज़ गेंदबाज़ी का मतलब कम-से-कम 135 किलोमीटर, तो 140 किलोमीटर के रफ़्तार से ऊपर की गेंदबाज़ी अच्छी मानी जाती है. अंशुल कंबोज, हर्षित राणा, अर्शदीप सिंह के अलावा कुलदीप सेन, आवेश ख़ान और ख़लील अहमद जैसे विकल्प भी मौजूद हैं. इनकी गेंदबाज़ी आईपीएल में चार ओवरों की गेंदबाज़ी तक तो ठीक है पर इनमें से कोई भी टेस्ट मैचों के मानदंड पर खड़ा उतरने की स्थिति में फिलहाल तो नहीं दिख रहा है.
तो क्या तेज़ गेंदबाज़ी के नहीं हैं विकल्प?
वहीं उमरान मलिक अपनी तेज़ी की वजह से आईपीएल से चर्चा में आए तो ज़रूर पर जल्द ही इंजरी की चपेट में भी आ गए और जब लौटे तो उनकी धार भी कुंद ही दिखी. घरेलू क्रिकेट में कुछ खिलाड़ियों ने अपनी तेज़ गेंदबाज़ी से चयनकर्ताओं को प्रभावित तो किया है पर वो अंशुल कंबोज की तरह ही कच्चे हैं. इनमें मुकेश कुमार और सिमरजीत सिंह जैसे खिलाड़ी मौजूद हैं. सेलेक्टर्स को अभी इन्हें मांजने की ज़रूरत है. लिहाजा इन्हें और इनके जैसे अन्य विकल्पों को लेकर कई सारे विशेष कैंप के आयोजन करने की ज़रूरत है, ताकि ये अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रभाव छोड़ने के लिए निखारे जा सकें.
कुल मिलाकर स्थिति यही दिखती है कि बुमराह, सिराज भले ही 32 के होने वाले हैं पर टीम इंडिया के पास इस समय विकल्पों की ठीक वैसी ही कमी है जैसा 90 के दशक में था. जब भी बुमराह टीम में नहीं होते हैं उनकी जगह एक नए गेंदबाज़ को नई गेंद पकड़ा दी जाती है. यह कुछ वैसा ही है जब नब्बे के दशक में जवागल श्रीनाथ के चोटिल होने पर विकल्प के तौर पर सौरव गांगुली को गेंद पकड़ा दी जाती थी.
सही प्रबंधन से अभी तीन चार साल और खेल सकते हैं बुमराह
बुमराह और सिराज की उम्र भले ही 32 साल के क़रीब है, पर अगर वो आगे कम चोटिल होते हैं या टीम प्रबंधन उनका वर्कलोड अच्छे से मैनेज कर पाता है तो वो भी 1983 वर्ल्ड कप विजेता टीम के कप्तान कपिल देव की तरह अपना करियर लंबा खींच सकते हैं. 1994 में क्रिकेट से संन्यास लेने के समय कपिल देव की उम्र 35 साल थी. ख़ुद ईशांत शर्मा की उम्र इस समय 36 साल है. लिहाजा बुमराह और सिराज जैसे खिलाड़ियों से अगले तीन साल और खेलने की उम्मीद तो की जानी चाहिए.
कपिल से सीखें फ़िटनेस
हां, उन्हें टेस्ट और वनडे क्रिकेट में सबसे अधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड कायम करके रिटायर होने वाले दिग्गज भारतीय ऑलराउंडर कपिल देव से ये ज़रूर सीखना चाहिए कि फ़िटनेस कैसे कायम रखें क्योंकि कपिल अपनी असाधारण फ़िटनेस के लिए जाने जाते थे. कपिल की फ़िटनेस का सबसे बड़ा सबूत तो यही है कि वो अपने करियर में 131 टेस्ट मैच खेले और उस दौरान भारतीय टीम ने उनसे केवल एक अधिक 132 टेस्ट मैच खेला. ऐसा नहीं था कि कपिल कभी चोटिल ही नहीं हुए पर उनमें जल्दी ठीक होकर टीम के लिए अपनी भूमिका निभाने का जबरदस्त जज़्बा था. कई बार तो ऐसा भी हुआ कि चोट के बावजूद वो इंजेक्शन लेकर मैदान में उतरे. बीसीसीआई नए गेंदबाज़ों की तलाश जारी रखे और साथ ही वर्कलोड का सही से प्रबंधन किया जाए, तो बुमराह और सिराज जैसे हुनरमंद क्रिकेटर अभी कम से कम तीन या चार साल और अपनी सेवाएं दे सकते हैं.