ऑस्ट्रेलिया को चढ़ा हिंदी-पंजाबी का खुमार, BGT टेस्ट सीरीज के लिए शुरू की दोनों भाषाओं में कवरेज
BGT test series: इस सीरीज में कई दिलचस्प सवाल भी होंगे. क्या टीम इंडिया अपने विजयी क्रम को जारी रख पाएगी, या ऑस्ट्रेलिया इस बार बाजी मार लेगा? क्या विराट कोहली एक यादगार सीरीज खेलेंगे? किसके स्पिनरों का जादू चलेगा – अश्विन या नाथन लायन? इन सवालों का जवाब आने वाले मैचों में मिलेगा, लेकिन यह तय है कि इस बार BGT में रोमांच चरम पर होगा.;
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच का क्रिकेट मुकाबला अब एक खास पहचान बन चुका है, जिसे दोनों देशों में बड़ी उत्सुकता से देखा जाता है. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच की एशेज सीरीज को लंबे समय से टेस्ट क्रिकेट की सबसे प्रतिष्ठित प्रतियोगिता माना जाता था, लेकिन अब भारत-ऑस्ट्रेलिया की भिड़ंत भी उतनी ही रोमांचक मानी जा रही है. इस बार की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) को लेकर ऑस्ट्रेलिया के मीडिया में खास रुझान देखा जा रहा है. खास बात यह है कि इस बार ऑस्ट्रेलिया की मीडिया ने हिंदी और पंजाबी भाषाओं में भी कवरेज शुरू कर दी है, ताकि वहां बसे भारतीय प्रशंसकों को सीधे तौर पर जोड़ा जा सके.
ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख मीडिया संस्थान न्यूज कॉर्प ने BGT सीरीज के लिए 8 पन्नों का विशेष संस्करण निकाला है, जिसमें भारतीय क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ियों के साथ-साथ नए उभरते सितारों के बारे में विस्तार से लिखा गया है. यह संस्करण न केवल अंग्रेजी में बल्कि हिंदी और पंजाबी में भी प्रकाशित हुआ, ताकि वहां के भारतीय समुदाय से जुड़े क्रिकेट प्रेमियों तक बेहतर ढंग से पहुंचा जा सके. यह पहल सिडनी में "द डेली टेलीग्राफ," मेलबर्न में "हेराल्ड सन," ब्रिसबेन में "द कुरियर मेल" और एडिलेड में "द एडवर्टाइजर" द्वारा की गई है.
हिंदी और पंजाबी का चढ़ा खुमार
यह प्रयास केवल यहीं नहीं रुकता; 17 नवंबर को 16 पन्नों की एक लॉन्च गाइड भी प्रकाशित की जाएगी, जो पूरी तरह से हिंदी और पंजाबी में होगी. इसमें खिलाड़ियों के जीवन से जुड़े किस्से और उनके संघर्ष की कहानियां होंगी, जो दर्शकों को इस सीरीज के साथ और गहराई से जोड़ देंगी.
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने इस सीरीज को "युगों की लड़ाई" का नाम दिया है, जो कि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है. मीडिया द्वारा इसे एक ऐतिहासिक टकराव के रूप में पेश किया गया है, और विराट कोहली की तस्वीरों से अखबारों के पहले पन्ने सजे हुए हैं. इससे यह साफ हो गया है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच का यह मुकाबला अब सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि गर्व और प्रतिष्ठा की भी लड़ाई बन गया है.