7 सितंबर को लगेगा पूर्ण चंद्र ग्रहण, क्या भारत में दिखाई देगा या नहीं और जानिए मान्यताएं

पूर्ण चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा बिल्कुल एक रेखा में आ जाते हैं और पृथ्वी का छाया चंद्रमा पर पूरी तरह से पड़ती है. इस दौरान चंद्रमा का पूरा आकार अंधेरे में लुप्त हो जाता है और वह एक लाल या नारंगी रंग में बदल जाता है, जिसे "ब्लड मून" भी कहा जाता है.;

( Image Source:  Canva )
By :  State Mirror Astro
Updated On : 30 Aug 2025 6:00 PM IST

साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को लगेगा.इस चंद्र ग्रहण को भारत में देखा जा सकेगा और यह साल 2025 का पहला ग्रहण होगा जिसे भारत में देख जा सकेगा.ऐसे में ग्रहण का सूतक काल भारत में मान्य रहेगा.चंद्र ग्रहण में सूतक ग्रहण के लगने के पहले 9 घंटे शुरू हो जाता है.

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि पर यह चंद्र ग्रहण लगेगा.इस तिथि पर पितृ पक्ष भी शुरू हो जाएंगे और यह ग्रहण शनि की राशि में कुंभ में होगा.7 सितंबर को चंद्र ग्रहण फिर 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण लगेगा लेकिन इस सूर्य ग्रहण को भारत में नहीं दिखेगा.

चंद्र ग्रहण 2025 की तिथि और समय

साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 7 और 8 सितंबर 2025 की रात को लगेगा.यह ग्रहण एक ब्लडमून होगा.भारतीय समय के अनुसार साल का यह चंद्रग्रहण 7 सितंबर को रात 09 बजकर 57 मिनट से आरंभ होगा जो 8 सितंबर की आधी रात को 01 बजकर 26 मिनट तक चलेगा.इस चंद्र ग्रहण की कुल अवधि लगभग चार घंटे होगी.7 सितंबर को रात 11 बजकर 09 मिनट पर इसका स्पर्श काल शुरू होगा, जो रात 11 बजकर 42 मिनट पर इसका मध्यकाल होगा और रात 12 बजकर 23 मिनट पर इसका मोक्ष काल शुरू होगा.

भारत में यह चंद्र ग्रहण दिखेगा

भारत में इस चंद्र ग्रहण को देखा जा सकेगा.यह पूर्ण चंद्र ग्रहण को एशिया, हिंद महासागर, अंटार्कटिका, आस्ट्रेलिया और यूरोप में दिखाई देगा.भारत में साल का आखिरी चंद्र ग्रहण दिल्ली, मुंबई, कोलकात, पुणे, लखनऊ, हैदराबाद और चंडीगढ़ में साफ-तौर पर देखा जा सकेगा.ऐसे में इसका सूतक काल भी मान्य रहेगा.

कब लगता है चंद्र ग्रहण

ग्रहण एक खगोलीय घटना होती है.चंद्र ग्रहण की स्थिति तब बनती है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा तीनों ही एक सीख में आ जाते हैं.ऐसे में पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है, तब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है.ऐसी स्थिति में चंद्रमा पूरी तरह से या फिर आंशिक रूप से ढंका हुआ दिखाई देने लगाता है.चंद्र ग्रहण तीन तरह के होते हैं.पूर्ण चंद्र ग्रहण- जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से ढ़क जाता है तो ऐसे स्थिति पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं इसे ब्लड मून भी कहते हैं जिसमें चंद्रमा लालिमा लिए होता है.वहीं दूसरी तरफ आंशिक चंद्र ग्रहण में चंद्रमा का कुछ हिस्सा पृथ्वी की छाया में आ जाता है.तीसरा उपछाया चंद्र ग्रहण होता है जिसमें चंद्रमा पर पृथ्वी की हल्की छाया में आता है, इससे चांद धुंधला सा दिखाई देता है.

ग्रहण से जुड़ी मान्यताएं

चंद्र ग्रहण पर सूतक काल ग्रहण के शुरू होने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है और ग्रहण के खत्म होने के साथ ही यह सूतक भी खत्म हो जाता है.सूतक काल में भगवान की पूजा करना वर्जित होता है.ऐसे में इस दौरान मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं.ग्रहण के दौरान मंत्रों का लगातार जाप करना बहुत ही शुभ होता है.ग्रहण के खत्म होने के बाद मंदिर और घर के हर एक हिस्से में गंगाजल से छिड़काव किया जाता है.

Similar News