माता पार्वती से जुड़ी है सिंदूर लगाने की प्रथा, भगवान शिव ने बताया था सुहाग की निशानी का महत्व

हिंदू धर्म में सुहागन महिलाएं मंगलसूत्र पहनती हैं और सिंदूर लगाती हैं. ये चीजें सुहाग की निशानी मानी जाती है. खासतौर पर महिलाओं के लिए सिंदूर लगाना अनिवार्य माना जाता है.;

Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 7 May 2025 1:30 PM IST

6 मई की रात भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया. इसके चलते हिंदुस्तान ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला लिया. इस ना-पाक हरकत के चलते कई महिलाओं का सिंदूर छीन लिया गया. 

हिंदू धर्म में सिंदूर कोई श्रृंगार का सामान नहीं, बल्कि विवाह, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. हिंदू धर्म में सिंदूर उस पवित्र बंधन की पहचान है, जो एक स्त्री को उसके सुहाग से जोड़ता है. माना जाता है कि सिंदूर लगाने से पति की उम्र लंबी होती है. चलिए जानते हैं हिंदू धर्म में सिंदूर लगाने की परंपरा कैसे शुरू हुई. 

देवी पार्वती और सिंदूर की उत्पत्ति

मान्यता है कि देवी पार्वती ने पहली बार अपनी मांग में सिंदूर लगाया था. कहते हैं जब भगवान शिव ने माता पार्वती को सिंदूर का महत्व बताया, तभी से यह परंपरा हजारों वर्षों से हर सुहागन की पहचान बन गई. मांग में भरा सिंदूर, नारी के श्रृंगार की अंतिम रेखा नहीं, बल्कि उसकी आस्था, शक्ति और सौभाग्य का प्रतीक बन गया है.

जब भगवान शिव ने बताया महत्व

एक बार देवी पार्वती ने भगवान शिव से पूछा, प्रभु यह सिंदूर जो मैं अपने मांग में भरती हूं, इसका इतना महत्व क्यों है? इस पर भगवान शिव मुस्कराए और बोले, हे पार्वती यह सिंदूर केवल सौंदर्य का आभूषण नहीं, बल्कि तुम्हारे पति के प्रति तुम्हारे प्रेम, समर्पण और शुभकामनाओं का प्रतीक है. यह तुम्हारी आस्था को शक्ति देता है और मुझे दीर्घायु प्रदान करता है.

देवी पार्वती का संकल्प

इस बात को जानने के बाद देवी पार्वती ने एक संकल्प लिया कि जब तक वह जीवित रहेंगी, अपने मांग में सिंदूर भरेंगी और हर स्त्री को यही वरदान देंगी कि वह भी अपने पति के लिए सिंदूर लगाए और उसका सौभाग्य बना रहे. मान्यता है कि तब से ही सिंदूर सौभाग्य का प्रतीक बन गया और हर विवाहित स्त्री ने देवी पार्वती के इस आशीर्वाद को अपनाया.

मां सीता से जुड़ी है कथा

हिंदू महाकाव्यों में भी सिंदूर के बारे में बताया गया है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि माता सीता भगवान राम के लिए सिंदूर लगाती थीं. एक बार जब हनुमान जी ने इसका कारण पूछा, तो माता सीता ने बताया कि यह लगाने से श्री राम की उम्र लंबी होती है. ऐसे में हनुमान जी ने भी अपना शरीर सिंदूर से रंग लिया था.

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