कुंडली में इन दो ग्रहों की मजबूती के बिना विवाह में आती हैं बाधाएं, जानिए ज्योतिषीय उपाय

भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह न सिर्फ दो लोगों का मिलन होता है, बल्कि यह दो कुंडलियों का भी सामंजस्य होता है. कई बार व्यक्ति योग्य होने के बावजूद विवाह में देरी, अड़चन या बार-बार रिश्ते टूटने जैसी समस्याओं का सामना करता है. ऐसी स्थिति में कुंडली में ग्रहों की स्थिति को समझना बेहद जरूरी हो जाता है.;

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By :  State Mirror Astro
Updated On : 10 Jun 2025 6:03 PM IST

हिंदू धर्म में विवाह संस्कार जिसे पाणिग्रहण संस्कार भी कहते हैं, जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. ज्योतिष शास्त्र में विवाह के लिए ग्रहों का शुभ योग बहुत ही जरूर होता है. बिना योग के विवाह संभव ही नहीं है. किसी जातक या जातिका की कुंडली में विवाह के लिए कई तरह के योग बनते हैं. वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में लग्नेश का गोचर अगर सप्तम भाव में हो तो विवाह के योग बनते है.

इसके कुंडली में लग्नेश और सप्तमेश की महादशा व अंतर्दशा चलने पर भी विवाह के योग बनते हैं. इसके अलावा कुंडली में विवाह के लिए दो ग्रहों की विशेष भूमिका होती है, जिनके बिना विवाह के योग नहीं बनते हैं. ये ग्रह हैं- शुक्र और देवगुरु बृहस्पति. कुंडली में अगर ये दो ग्रह मजबूत नहीं पाये जाते तो विवाह के योग नहीं बनते हैं या फिर विवाह में अड़चनें आती हैं. कुंडली में अगर शुक्र या देवगुरु बृहस्पति कमजोर है तो विवाह में देरी और बाधाएं आती हैं. ऐसे में इन दोनों ही ग्रहों को मजबूत करने के लिए उपाय बहुत ही जरूरी होते हैं.

शुक्र और गुरु ग्रह को करें मजबूत

देवगुरु बृहस्पति

ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु को सबसे शुभ और विवाह का कारक ग्रह माना जाता है. अगर किसी जातक या जातिका की कुंडली में गुरु मजबूत स्थिति में है, तो विवाह में कोई किसी भी तरह की कोई बाधा नहीं होती है. सही समय पर विवाह होता है. इसके गुरु के बली होने पर दांपत्य जीवन खुशहाल और सुखमय रहता है. वहीं अगर कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत नहीं है तो विवाह में बाधाएं आती हैं. कमजोर गुरु को मजबूत करने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताए गए हैं. अगर गुरु कमजोर है तो व्यक्ति को पीली चीजों का दान करना चाहिए. गुरुवार के दिन व्रत रखना चाहिए. गुरु के मंत्रों का जाप किसी योग्य ज्योतिषी के परामर्श से पुखराज धारण करना चाहिए. इससे विवाह में अड़चनें दूर होती हैं और वैवाहिक सुख के आनंद की प्राप्ति होती है.

विवाह में शुक्र ग्रह का प्रभाव

गुरु की तरह ही कुंडली में अगर शुक्र की स्थिति अच्छी है तो विवाह के योग बनते हैं, वहीं अगर शुक्र की स्थिति कमजोर हैं तो विवाह में बाधाएं आती है. शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए शुक्रवार के दिन सफेद चीजों का दान करना शुभ होता है और शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं.

कुंडली में सप्तम भाव

किसी भी जातक या जातिका के विवाह के लिए जन्म कुंडली के सप्तम भाव यानी सातवें घर से विचार किया जाता है. जन्मकुंडली का यह भाव विवाह, जीवनसाथी और साझेदारी को बताता है. ऐसे में कुंडली का सप्तम भाव मजबूत होने पर विवाह के योग बनते हैं. सप्तम भाव में शुभ ग्रहों मौजूद होने पर या फिर इस भाव पर शुभ ग्रहों की द्दष्टि से विवाह के योग बनते हैं और विवाह सफल व सुखमय होता है. वहीं अगर कुंडली का सप्तम भाव पीड़ित हो या फिर अशुभ ग्रह इसमें मौजूद हो तो विवाह में देर होती है या फिर संबंधों में परेशानियां आती हैं.

सप्तमेश

जन्म कुंडली के सातवें भाव में जो राशि होती है और उसका जो स्वामी ग्रह होता है वह सप्तमेश कहलाता है. इस तरह से सातवें भाव के अलावा सप्तमेश की भी भूमिका विवाह के लिए खास होती है. कुंडली में सप्तमेश की स्थिति मजूबत होने पर विवाह सफल और सुखद बनता है.

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