Krishna Janmashtami 2025: जानें देवकी के आठवें पुत्र के रूप में ही श्री कृष्ण के जन्म लेने के पीछे क्या था कारण

जन्माष्टमी हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. यह पर्व भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को रात्रि के समय मनाया जाता है, क्योंकि श्रीकृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था. धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्रीकृष्ण विष्णु के आठवें अवतार हैं.;

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Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 16 Aug 2025 4:31 PM IST

श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं, जिन्होंने धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए मथुरा में जन्म लिया था. हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण का जन्म एक बहुत ही विशेष और दिव्य घटना मानी जाती है, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. जन्माष्टमी पर भक्त व्रत रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं, और रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाते हैं.

लेकिन एक बड़ा सवाल यह उठता है कि श्रीकृष्ण ने देवकी के आठवें पुत्र के रूप में ही जन्म क्यों लिया? इसके पीछे धार्मिक, पौराणिक और आध्यात्मिक कारण छिपे हैं.

कंस का अत्याचार

देवकी और वासुदेव की शादी के समय आकाशवाणी हुई थी कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा. यह सुनते ही कंस डर गया और उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया. उसने एक-एक करके उनके सातों बच्चों की हत्या कर दी. इसलिए श्रीकृष्ण ने आठवें पुत्र के रूप में जन्म लिया, क्योंकि यही वह रूप था जो कंस का अंत कर सकता था.

8 अंक का आध्यात्मिक महत्त्व

संख्या 8 का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व है. इसे अष्ट कहा जाता है, जो अनंतता, पुनर्जन्म और ब्रह्मा के सृष्टि चक्र से जुड़ी है. श्रीकृष्ण ने इस विशेष संख्या को चुनकर यह दर्शाया कि उनका जन्म केवल एक मनुष्य के रूप में नहीं, बल्कि ईश्वर के रूप में अधर्म के नाश के लिए हुआ है.

श्रीहरि की योजना

भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लेकर धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने का संकल्प लिया था. देवकी और वासुदेव जैसे पुण्य आत्माओं को उन्होंने अपने माता-पिता के रूप में चुना. उन्होंने सटीक आठवें स्थान पर जन्म लेकर यह दिखाया कि ईश्वर की योजना कभी असफल नहीं होती है.

जन्माष्टमी क्यों मनाते हैं? 

धार्मिक दृष्टिकोण से जन्माष्टमी केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि यह जीवन में धर्म, न्याय और सत्य की स्थापना का प्रतीक है. भगवद्गीता में श्रीकृष्ण का उपदेश मानव जीवन को दिशा देने वाला माना जाता है. इस दिन भक्तजन श्रीकृष्ण की बाल और युवा लीलाओं का स्मरण करते हुए उन्हें अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं.


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