आखिर क्यों अपने महल के बजाय रावण ने माता सीता के रहने के लिए चुनी थी अशोक वाटिका?
लक्ष्मण ने रावण की बहन शूर्पणखा की नाक काट दी थी. इसका बदला लेने के लिए रावण ने माता-सीता का अपरहण किया था. रावण अपना भेष बदल कर सीता का हरण कर लंका लेकर गया था.;
रावण ने माता सीता का अपरहण करने के लिए चाल चली थी. उसने अपने पुत्र मयासुर से एक स्वर्ण मृग (सोनारे) की आकृति बनाई, जो बहुत ही सुंदर और आकर्षक थी.रावण ने इस मृग को सीता के पास भेजा, ताकि वह उसे पकड़ने के लिए श्रीराम से उसे जंगल में पकड़ने का आग्रह करें. सीता ने इसे देखा और श्रीराम से इसे पकड़ने की विनती की, क्योंकि वह मृग के सौंदर्य से मोहित हो गई थीं.
श्रीराम ने सीता की इच्छा पूरी करने के लिए मृग का पीछा किया, लेकिन वह मृग था रावण का छल.जब श्रीराम मृग का पीछा कर रहे थे, तो रावण ने मौका पाया और सीता का अपहरण करने की योजना बनाई. जब श्रीराम मृग के पीछे दौड़ रहे थे, तब रावण ने अपने सजीव रूप में अपहरण के लिए एक अवसर का लाभ उठाया. रावण ने भिक्षुक का रूप धारण किया और सीता के पास आया. सीता ने उसे दीन-हीन भिक्षुक समझा और उसे आहार देने के लिए बुलाया. रावण ने अपने असली रूप में प्रकट होकर सीता को अपने रथ में खींच लिया. वह सीता को लंका की ओर ले गया. लेकिन रावण ने उन्हें अपने महल में रखने के बजाय अशोक वाटिका में रखा. चलिए जानते हैं इसका कारण.
अप्सरा रंभा का किया था अपहरण
पौराणिक कथाओं के मुताबिक रावण ज्ञानी होने के साथ-साथ दुराचारी भी था. सीता से पहले रावण ने रंभा का अपहरण किया था, जो एक अप्सरा थीं. रावण रंभा का हरण कर उन्हें अपने महल में ले गया था. जहां रावण ने रंभा की मर्यादा का मान नहीं रखा. बता दें कि रंभा रावण के भाई नलकुबेर की पुत्र वधु यानी बहु है. यह बात रंभा के बताने के बावजूद रावण ने अभद्रता की सीमा पार कर दी थी.
नलकुबेर ने दिया था रावण को श्राप
जब इस बात की खबर भाई नलकुबेर को लगी, तो उन्होंने रावण को गुस्से में आकर श्राप दिया. नलकुबेर ने रावण को श्राप दिया था कि अगर भविष्य में रावण बिना स्त्री की इच्छा के उन्हें महल में ले जाने की कोशिश करता है. ऐसे में रावण पर काल आ जाएगा और वह मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा. इस श्राप के चलते जब रावण ने मां सीता का हरण किया था, तो उन्हें वाटिका में लेकर गया. कथाओं की मानें, तो कहा जाता है कि अशोक वाटिका में भी रावण माता सीता से दूरी बनाकर ही बात करता था.