Varuthini Ekadashi 2025: कब है वरुथिनी एकादशी, जानें विष्णु जी को किस चीज का लगाएं भोग

भगवान विष्णु हिंदू धर्म के त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और शिव) में से एक हैं. जहां ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता हैं, शिव जी संहारक हैं, वहीं विष्णु जी पालक माने जाते हैं. वे इस संसार की रक्षा और संतुलन बनाए रखने वाले देवता हैं.;

Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 18 April 2025 6:00 AM IST

वरुथिनी एकादशी हिंदू धर्म की एक पवित्र तिथि है, जो वैशाख महीने में आती है. यह एकादशी विष्णु जी को समर्पित होती है और इसका नाम "वरुथिनी" का मतलब होता है "सुरक्षा देने वाली". मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से जीवन में सुख, समृद्धि और पापों से मुक्ति मिलती है. इस साल 24 अप्रैल को वरुथिनी एकादशी मनाई जाएगी. 

यह व्रत पापों का नाश करने वाला और मोक्ष देने वाला माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में नकारात्मकता दूर होती है और भाग्य चमकता है. दान-पुण्य का भी बहुत महत्व होता है.

कैसे किया जाता है वरुथिनी एकादशी व्रत?

व्रत की शुरुआत दशमी तिथि की रात को ही हो जाती है, जब व्रती सात्विक भोजन करता है और व्रत का संकल्प लेता है. सूरज निकलने से पहले उठकर स्नान करें. भगवान विष्णु की पूजा करें, दीपक जलाएं और विष्णु सहस्त्रनाम या गीता का पाठ करें. दिन भर उपवास रखें. कुछ लोग निर्जला (बिना पानी) व्रत करते हैं और कुछ फलाहार लेते हैं. द्वादशी के दिन (अगले दिन) व्रत खोलते हैं.

इस दिन क्या करें और क्या न करें?

भगवान विष्णु का ध्यान करें और भक्ति में मन लगाएं. खासकर अन्न, वस्त्र, और धन जैसी चीजें जरूरतमंदों को दान दें. सात्विक भोजन करें, वाणी और व्यवहार को शांत रखें. मांस-मदिरा और तामसिक भोजन से बचें. क्रोध, झूठ, निंदा, छल-कपट जैसी बातों से दूर रहें. बाल कटवाना, दांत साफ करना, नींद में आलस्य से भी बचने की सलाह दी जाती है.

वरुथिनी एकादशी का फल

पौराणिक मान्यता के अनुसार, वरुथिनी एकादशी व्रत करने से पुराने पाप मिट जाते हैं. पुण्य की प्राप्ति होती है. आने वाले संकटों से सुरक्षा मिलती है. मोक्ष की प्राप्ति भी संभव है.

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