जानिए शनिदेव की 3 सबसे प्रिय राशियां, कम होता है इन पर साढ़ेसाती का असर

ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को कर्मफल दाता माना जाता है. कहा जाता है कि व्यक्ति जैसे कर्म करता है, शनिदेव उसी अनुसार फल देते हैं. जहां एक ओर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का नाम सुनते ही लोगों के मन में भय पैदा हो जाता है, वहीं दूसरी ओर कुछ राशियां ऐसी भी मानी जाती हैं, जिन पर शनिदेव की विशेष कृपा बनी रहती है. इन राशियों पर न तो साढ़ेसाती का प्रभाव ज्यादा पड़ता है और न ही जीवन में अनावश्यक बाधाएं आती हैं.;

( Image Source:  AI SORA )
By :  State Mirror Astro
Updated On : 27 Dec 2025 6:30 AM IST

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सभी ग्रहों में शनि सबसे धीमी चाल से चलने वाले ग्रह होते हैं. यह एक से दूसरी राशि में गोचर करने के लिए करीब ढाई वर्षों का समय लेते हैं. शनि की धीमी चाल से इनका शुभ या अशुभ प्रभाव काफी लंबे समय तक रहता है. ज्योतिष में शनिदेव को क्रूर और पापी ग्रह माना गया है लेकिन इसके साथ ही इन्हें न्याय का देवता और कर्मफल दाता भी माना जाता है. शनि देव व्यक्ति को उनके कर्मों के आधार पर शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं. शनि का नाम आते ही लोग उनके साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव के प्रभाव से डर जाते हैं.

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लेकिन यह सच नहीं है कि शनि हमेशा ही नकारात्मक प्रभाव ही डालते हैं. शनि व्यक्ति जहां राजा से रंक बना देते हैं तो वहीं ये व्यक्ति रंक से राजा भी बनान में थोड़ी भी दूरी नहीं करते हैं. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनि कुछ राशि वालों पर विशेष कृपा रखते हैं, जिसके कारण इन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव होने के बावजूद भी नकारात्मक प्रभाव का असर ज्यादा नहीं होता है. आइए जानते हैं शनिदेव किन राशियों पर हमेशा ही मेहरबान रहते हैं.

मकर राशि

मकर राशि पर शनि देव का आधिपत्य होता है , यानी शनिदेव इस राशि के स्वामी होते हैं. ऐसे में शनिदेव मकर राशि पर कभी भी ज्यादा क्रूर द्दष्टि नहीं रखते हैं. मकर राशि के जातकों का स्वभाव अनुशासन से भरा होता है और यह काफी मेहनती होते हैं. मकर राशि वालों के जातक धैर्यवान, दूरदर्शी और जिम्मेदार स्वभाव के होते हैं. मकर राशि वाले बहुत ही मेहनती और अपने बनाए लक्ष्यों को प्राप्त करने में जूननी होती है. जब कभी भी मकर राशि वालों के ऊपर शनि की साढ़ेसाती होती है तो इस राशि के जातकों को कष्ट तो मिलते ही लेकिन यह बहुत ही बहादुरी से उसका सामना करते हैं. शनि की साढ़ेसाती होने के बावजूद भी इनका जीवन अच्छे से बीतता है.

कुंभ राशि

कुंभ राशि के स्वामी ग्रह भी शनिदेव होते हैं और यह शनिदेव की मूल त्रिकोण राशि मानी जाती है. इस राशि के जातक बहुत दयावान, धैर्यवान और परोपकारी स्वभाव के होते हैं. ये लोग किसी का भी बुरा नहीं मानते है. शनिदेव की विशेष कृपा इस राशि के जातकों पर रहती है. ऐसे में जब भी शनि की साढ़ेसाती चलती है तो इनके ऊपर साढ़ेसाती का प्रभाव ज्यादा नहीं रहता है.

तुला राशि

तुला राशि में शनि उच्च के होते हैं यानी जब भी शनि तुला राशि में विराजमान होते हैं तो यह सबसे ज्यादा शक्तिशाली और शुभ फल देने वाले होते हैं. इस राशि के जातकों पर शनिदेव की विशेष कृपा रहती है. इन राशि पर साढ़ेसाती और ढैय्या के का प्रभााव कम ही रहता है. तुला राशि वालों के करियर में शनि देव अचानक से कोई बड़ा ही सकारात्मक असर डालते हैं जिससे बड़े पद और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है.

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