गुरु ग्रह हुए अस्त, इन 4 राशि वालों को 9 जुलाई तक रहना होगा संभलकर

देवगुरु बृहस्पति वृषभ राशि वालों की कुंडली में आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी होते हैं और अब मिथुन राशि में अस्त होकर यह आपके दूसरे भाव में रहेंगे. कन्या राशि वालों के लिए गुरु चौथे और सातवें भाव के स्वामी होते हैं और गुरु के मिथुन राशि में अस्त यह आपके दशम भाव होंगे.;

By :  State Mirror Astro
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ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति ग्रह का विशेष महत्व होता है. यह सभी ग्रहों में सबसे बड़े और शुभ फल देने वाले और जीव कारक ग्रह हैं. गुरु ग्रह का गोचर एक साल में एक बार होता है और वहीं गुरु साल में एक बार ही अस्त होते हैं. गुरु अभी मिथुन राशि में अतिचारी होकर भ्रमण कर रहे हैं. गुरु ग्रह 10 जून से लेकर 07 जुलाई तक अस्त रहेंगे, वहीं कुछ पंचांग में भेद के कारण 12 जून से लेकर 09 जुलाई तक गुरु के अस्त होने की बात कही जा रही है.

गुरु के अस्त होने पर सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं. वैदिक ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह को संतान, भाग्य, शिक्षा, धन, विवाह और धार्मिक कार्य का कारक माना जाता है. देवगुरु बृहस्पति का अस्त होना सभी 12 राशियों पर प्रभाव अवश्य ही पड़ेगा लेकिन कुछ चार राशियां ऐसी हैं जिनके ऊपर गुरु के अस्त होने का प्रभाव सबसे ज्यादा नकारात्मक रूप से देखने को मिलेगा. ऐसे में इन चार राशि के लोगों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है. आइए जानते हैं कौन सी हैं वे चार राशियां.

इन चार राशियों को रहना होगा सावधान

वृषभ राशि

देवगुरु बृहस्पति वृषभ राशि वालों की कुंडली में आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी होते हैं और अब मिथुन राशि में अस्त होकर यह आपके दूसरे भाव में रहेंगे. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दूसरे भाव से धन का विचार किया जाता है और गुरु धन के कारक ग्रह भी है ऐसे में यह धन के मामले में कुछ कमजोर परिणाम देने वाले साबित होंगे. गुरु के अस्त होने से आपकी आमदनी पर बुरा प्रभाव डालेंगे. आय के साधनों की कमी हो सकती है और खर्चों में इजाफा हो सकता है. वहीं गुरु के अस्त होने से आपके पारिवारिक मामलों में भी कुछ तनाव और मनमुटाव की स्थिति पैदा हो सकती है. परिवार जनों से वाद-विवाद की संभावना है. जो लोग व्यापारी हैं उनके कामकाज में कमी आ सकती है और नौकरपेशा जातकों को गुरु के अस्त होने पर वाणी में कठोरता आ सकती है. बेवजह के विवाद बढ़ सकते हैं. ऐसे में आपको संयम और धैर्य बनाए रखना होगा.

कन्या राशि

कन्या राशि वालों के लिए गुरु चौथे और सातवें भाव के स्वामी होते हैं और गुरु के मिथुन राशि में अस्त यह आपके दशम भाव होंगे. गुरु का दशम भाव में अस्त होना अच्छा नहीं माना जाता है. दशम भाव कर्म और करियर से संबंधित होता है. ऐसे में यह आपके कामकाज में रुकावटें और मान-सम्मान में गिरावट ला सकता है. नौकरीपेशा लोगों को इस दौरान अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी. वहीं व्यापार के लिए भी गुरु का अस्त होना अच्छा नहीं कहा जा सकता. इस दौरान आपको यात्रा करने से बचना होगा.

वृश्चिक राशि

आपकी कुंडली के लिए देवगुरु बृहस्पति दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी होते हैं और अब मिथुन राशि में अस्त होने से यह आपके अष्टम भाव को प्रभावित करेंगे. आठवें भाव में गुरु का अस्त होना या फिर गोचर अच्छा नहीं माना जाता है. ऐसे में आपको इस दौरान स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझना पड़ सकता है. कार्य में रुकावटें और तरह की बाधाएं आ सकती है. मन में नकारात्मकता पैदा हो सकती है. धनन के मामले में आपको कुछ बड़ा नुकसान भी देखने को मिल सकता है. ऐसे में अधिक सतर्कता बरतनी होगी.

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए देवगुरु बृहस्पति आपकी कुंडली के दूसरे और लाभ भाव के स्वामी होते हैं और अब गुरु आपके पंचम भाव में गोचर करते हुए अस्त हुए हैं. पंचम भाव में गुरु का होना अच्छा माना जाता है. पंचम भाव शिक्षा और संतान से जुड़ा हुआ होता है. ऐसे में गुरु का अस्त होना यानी कमजोर होना इस भावों से संबंधित फलों में कमी करेगा. संतान की चिंता आपको सता सकती है. शिक्षा में कुछ रुकावटें आ सकती हैं. इस दौरान आपको शेयर मार्केट या सट्टा बाजार में कोई जोखिम उठाना अच्छा नहीं रहेगा और उधार के लेनदेन से बचना होगा.

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