13 या 14 इस साल कब मनाई जाएगी होली, जानें होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

होली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है. इस दिन पूरा देश रंगों में रंगा होता है. यह कत्योहार हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है. वृंदावन-मथुरा से लेकर नंदगांव-बरसाना में बसंत पंचमी से होली का त्योहार शुरू हो जाता है. करीब 40 दिन तक यह त्योहार चलता है.;

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Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 8 March 2025 5:09 PM IST

होली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है. इस दिन पूरा देश रंगों में रंगा होता है. यह त्योहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. वृंदावन-मथुरा से लेकर नंदगांव-बरसाना में बसंत पंचमी से होली का त्योहार शुरू हो जाता है. करीब 40 दिन तक यह त्योहार चलता है. 

इस बार होली की तारीख को लेकर भम्र है. कुछ लोगों का कहना है कि 13 मार्च की होली है. वहीं, अन्य 14 मार्च की बता रहे हैं. चलिए जानते हैं कब मनाई जाएगी होली और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है.

कब है होली?

हिंदू पंचाग के मुताबिक इस बार यह तिथि 13 मार्च सुबह 10:25 से शुरू होकर अगले दिन यानी 14, 12: 23 तक रहेगी. ऐसे में होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा, जबकि 13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. 

क्यों किया जाता है होलिका दहन?

हिरण्यकश्यप नामक राक्षस ने भगवान से अमरता का वरदान प्राप्त किया था और उसने अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए अपने पुत्र प्रहलाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से मना किया. प्रहलाद ने भगवान विष्णु की पूजा जारी रखी, जिससे हिरण्यकश्यप गुस्से में आ गया. उसने अपनी बहन होलिका की मदद से प्रहलाद को जलाने की योजना बनाई, क्योंकि होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जल सकती थी. लेकिन जब होलिका प्रहलाद के साथ आग में बैठी, तो वह जल गई, जबकि प्रहलाद सुरक्षित बच गए. इस घटना को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन होलिका दहन (अग्नि में बुराई जलाने का प्रतीक) किया जाता है और अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है.

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

इस साल 13 मार्च को होलिका जलाई जाएगी. वहीं, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 14 मार्च 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगा. 

क्यों मनाई जाती है होली?

माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल में राधा और अन्य गोपियों के साथ रंगों की होली खेली थी. कृष्ण के रंग-बिरंगे खेल और उनके साथ राधा का प्रेम इस दिन को रंगों के पर्व के रूप में प्रतिष्ठित करता है. यह प्रेम और एकता का प्रतीक है.

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